Muzaffaranagar: शुक्रताल गंगा मेले में पशुओं के क्रय-विक्रय पर प्रशासन ने लगाई रोक, इस कारण लिया फैसला

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शुक्रताल में टहलता गायों का झुंड।

शुक्रताल में टहलता गायों का झुंड।
– फोटो : अमर उजाला

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पश्चिमी उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में  लंपी बीमारी के प्रकोप को देखते हुए प्रशासन ने शुक्रताल में पांच से नौ नवंबर तक आयोजित होने वाले गंगा स्नान मेले में  पशुओं के साथ एकत्र होने, पशुओं के  क्रय-विक्रय पर रोक लगा दी गई है। इसके अलावा  जनपद से पशुओं के बाहर जाने और बाहर से पशुओं के आने पर रोक रहेगी। 

सोमवार को डीएम चंद्रभूषण सिंह ने आदेश जारी कर दिए हैं।  अगर किसी श्रद्वालु ने आदेश का अनुपालन नहीं किया  तो उसे मेले में प्रवेश नहीं करने दिया जाएगा।  पशुओं में फैलने वाली घातक वायरल बीमारी लंपी स्किन डिजीज को रोकने के लिए यह कदम उठाया गया है।

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मेले का मुख्य स्नान आठ नवंबर को होगा। मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. एमपी सिंह की रिपोर्ट के बाद डीएम ने आदेश जारी किए हैं। उन्होंने बताया कि  मेले में पशुओं के एक स्थान पर एकत्र होने से लक्षणविहीन, लेकिन  रोग के वाहक पशुओं के द्वारा यह बीमारी अन्य  स्वस्थ पशुओं के लिए भी घातक साबित हो सकती है। हापुड़ में बीमारी के फैले होने का हवाला भी दिया गया है।

गोवंशीय पशुओं के लिए खतरनाक बीमारी
बीमारी में पशुओं की त्वचा पर गांठनुमा फफोले और घाव हो जाते हैं। पशुओं को तेज बुखार बना रहता है। पशु चारा खाना बंद कर देता है। यही नहीं गर्भित पशुओं में गर्भपात हो जाता है।  पशु बांझपन के शिकार हो जाते है। दुधारू पशुओं का दूध लगभग समाप्त हो जाता है।

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यह बीमारी तीन से छह सप्ताह बनी रहती है। इलाज के बाद पशु के पूर्ण स्वस्थ होने में तीन से चार माह का समय लगता है। यह बीमारी वर्तमान में गोवंशीय पशुओं में है, लेकिन  अन्य प्रजाति के पशुओं में भी होने की संभावना है।  

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पश्चिमी उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में  लंपी बीमारी के प्रकोप को देखते हुए प्रशासन ने शुक्रताल में पांच से नौ नवंबर तक आयोजित होने वाले गंगा स्नान मेले में  पशुओं के साथ एकत्र होने, पशुओं के  क्रय-विक्रय पर रोक लगा दी गई है। इसके अलावा  जनपद से पशुओं के बाहर जाने और बाहर से पशुओं के आने पर रोक रहेगी। 

सोमवार को डीएम चंद्रभूषण सिंह ने आदेश जारी कर दिए हैं।  अगर किसी श्रद्वालु ने आदेश का अनुपालन नहीं किया  तो उसे मेले में प्रवेश नहीं करने दिया जाएगा।  पशुओं में फैलने वाली घातक वायरल बीमारी लंपी स्किन डिजीज को रोकने के लिए यह कदम उठाया गया है।

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