Nagar Nigam: लापरवाही बढ़ा रही नगर निगम की कंगाली, 9 करोड़ रुपये की सालाना लग रही चपत

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Luckow Nagar Nigam is bearing loss of 9 crore every year.

– फोटो : अमर उजाला

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जनता के काम करवाने में हमेशा कंगाली का रोना रोने वाले नगर निगम को उसकी ही लापरवाही सालाना नौ करोड़ से अधिक की चपत लगवा रही है। शहर में दशकों पुरानी 1800 दुकानों का डीएम सर्किल रेट के बजाय गृहकर दरों पर किराया तय करने का चार साल पहले नियम बनाया गया था, जिससे व्यापारियों पर बोझ कम पड़े। फिर भी 60 प्रतिशत दुकानदार किराया नहीं जमा कर रहे। उधर, इसके बाद भी नगर निगम इन पर कार्रवाई नहीं कर रहा। इतना ही नहीं किराया बढ़ाने वाले प्रस्ताव को ही खारिज करने की कोशिश जारी है।

छह दशक पहले आवंटित इन दुकानों का किराया चार साल पहले तक महज 20, 30 और 50 रुपये महीना ही था। शहर की सबसे प्राइम लोकेशन पर दुकानें होने पर भी किराया नहीं बढ़ रहा था। निगम प्रशासन ने कई बार कोशिश की, लेकिन दुकानदारों के विरोध के कारण इसे लागू नहीं कर पाया। चार साल पहले शासन से व्यावसायिक संपत्ति कर निर्धारण नियमावली जारी होने के बाद इनका किराया तय किया। व्यापारियों ने विरोध किया तो सदन में कमेटी बनी और फिर मोहन मार्केट का 10 रुपये प्रति वर्गफीट की दर से किराया लागू किया गया। चारबाग व अन्य बाजारों का भी किराया तय किया गया, लेकिन 60 फीसदी दुकानदार कोई न कोई अड़ंगा लगाकर किराया ही नहीं जमा कर रहे हैं।

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सालाना 65 लाख रुपये ही जमा हो पा रहा किराया
चारबाग में गुरुनानक मार्केट की होटल बन चुकीं दुकानों का किराया पुरानी दर (37.50 रुपये महीना) पर ही जमा किया जाने को लेकर सदन में प्रस्ताव लाया गया। गनीमत रही कि सपा और कांग्रेस पार्षदों के विरोध से यह पास नहीं हो पाया। फिर भी इसके लिए जोर दिया गया तो पार्षदों ने जानकारी मांगी कि कमेटी ने जो प्रस्ताव पास किया था, उसमें और पुराने किराये में कितना अंतर है। बताया गया कि गुरुनानक मार्केट की दुकान का डीएम सर्किल रेट के हिसाब से 26,670 रुपये किराया बनता। कमेटी ने गृहकर की दर पर 8,280 रुपये महीना किराया तय किया था। शहर में निगम की करीब 1800 व्यावसायिक संपत्तियां हैं। नई दर से इनका सालाना किराया नौ करोड़ से अधिक बनता है। हालांकि, इसमें से 65 लाख के करीब ही जमा हो रहा है। वहीं, डीएम सर्किल रेट से किराया लगता तो यह करीब 30 करोड़ रुपये होता।

– रिवर बैंक कॉलोनी में 251 मकान व 18 दुकानें हैं। विवाद कोर्ट में है, जिस कारण पुराना ही किराया जमा हो रहा है।
– बादशाह नगर में 22 में से 12 दुकानों का ही किराया जमा किया जा रहा है।
– आलमबाग में मौनी बाबा मंदिर के पास 26 दुकानें हैं, लेकिन किराया 12 का ही जमा हो रहा है।  
– अमीनाबाद के फल बाजार में 58 दुकानों में से 46 का ही किराया मिल रहा।
– त्रिलोक नाथ रोड की सभी 21 दुकानें नया किराया दे रही हैं।
– कैलाश कुंज में आठ दुकानें हैं, लेकिन किराया एक से ही मिल रहा है।
– भोपाल हाउस में 33 में से 10 दुकानों का ही किराया जमा हो रहा है।
– तुलसीदास मार्ग पर 28 मकान में 18 ने जमा किया किराया। 102 दुकानों में से 40 ने ही दिया किराया।
– तालकटोरा रोड आलमबाग में 331 में से 13 दुकानें ही जमा कर रही हैं किराया।
– गड़बड़झाला मार्केट में 209 दुकानें हैं, पर किराया 192 का ही जमा हो रहा।

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सदन के निर्णय पर लेंगे किराया
नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह ने कहा कि सदन ने किराया कम करने का प्रस्ताव पास नहीं किया है। पहले भी कमेटी ने किराया संशोधित किया था। सदन के निर्णय के आधार पर किराया जमा कराया जाएगा।

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जनता के काम करवाने में हमेशा कंगाली का रोना रोने वाले नगर निगम को उसकी ही लापरवाही सालाना नौ करोड़ से अधिक की चपत लगवा रही है। शहर में दशकों पुरानी 1800 दुकानों का डीएम सर्किल रेट के बजाय गृहकर दरों पर किराया तय करने का चार साल पहले नियम बनाया गया था, जिससे व्यापारियों पर बोझ कम पड़े। फिर भी 60 प्रतिशत दुकानदार किराया नहीं जमा कर रहे। उधर, इसके बाद भी नगर निगम इन पर कार्रवाई नहीं कर रहा। इतना ही नहीं किराया बढ़ाने वाले प्रस्ताव को ही खारिज करने की कोशिश जारी है।

छह दशक पहले आवंटित इन दुकानों का किराया चार साल पहले तक महज 20, 30 और 50 रुपये महीना ही था। शहर की सबसे प्राइम लोकेशन पर दुकानें होने पर भी किराया नहीं बढ़ रहा था। निगम प्रशासन ने कई बार कोशिश की, लेकिन दुकानदारों के विरोध के कारण इसे लागू नहीं कर पाया। चार साल पहले शासन से व्यावसायिक संपत्ति कर निर्धारण नियमावली जारी होने के बाद इनका किराया तय किया। व्यापारियों ने विरोध किया तो सदन में कमेटी बनी और फिर मोहन मार्केट का 10 रुपये प्रति वर्गफीट की दर से किराया लागू किया गया। चारबाग व अन्य बाजारों का भी किराया तय किया गया, लेकिन 60 फीसदी दुकानदार कोई न कोई अड़ंगा लगाकर किराया ही नहीं जमा कर रहे हैं।

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सालाना 65 लाख रुपये ही जमा हो पा रहा किराया

चारबाग में गुरुनानक मार्केट की होटल बन चुकीं दुकानों का किराया पुरानी दर (37.50 रुपये महीना) पर ही जमा किया जाने को लेकर सदन में प्रस्ताव लाया गया। गनीमत रही कि सपा और कांग्रेस पार्षदों के विरोध से यह पास नहीं हो पाया। फिर भी इसके लिए जोर दिया गया तो पार्षदों ने जानकारी मांगी कि कमेटी ने जो प्रस्ताव पास किया था, उसमें और पुराने किराये में कितना अंतर है। बताया गया कि गुरुनानक मार्केट की दुकान का डीएम सर्किल रेट के हिसाब से 26,670 रुपये किराया बनता। कमेटी ने गृहकर की दर पर 8,280 रुपये महीना किराया तय किया था। शहर में निगम की करीब 1800 व्यावसायिक संपत्तियां हैं। नई दर से इनका सालाना किराया नौ करोड़ से अधिक बनता है। हालांकि, इसमें से 65 लाख के करीब ही जमा हो रहा है। वहीं, डीएम सर्किल रेट से किराया लगता तो यह करीब 30 करोड़ रुपये होता।



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