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न्यूज डेस्क, अमर उजाला, कानपुर
Published by: शिखा पांडेय
Updated Thu, 31 Mar 2022 03:32 PM IST
सार
इस नवरात्र माता घोड़े पर सवार होकर आएंगी। ऐसे में अस्थिरता, तनाव, दुर्घटना, भूकंप आदि की स्थिति उत्पन्न होती है। इसलिए इस नवरात्र पर माता का पूजन-अर्चन क्षमा प्रार्थना के साथ किया जाना आवश्यक है। इससे मां दुर्गा की कृपा बनी रहेगी।
चैत्र नवरात्र दो अप्रैल शनिवार से शुरू हो रहे हैं। इस अवसर पर लोग अपने घरों में कलश स्थापना कर माता की पूजा करते हैं। हालांकि कलश स्थापना के लिए सही दिशा का चयन बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। पं. दीपक पांडेय बताते हैं कि घर में उत्तर-पूर्व दिशा में इशान कोण में किसी जगह का चयन कर उसे गंगाजल से शुद्ध करें और तब कलश स्थापना करें।
पं. गौरव तिवारी ने बताया कि कलश स्थापना के लिए सुबह 6:22 मिनट से 8:31 मिनट तक शुभ मुहूर्त है। इसके बाद दोपहर 12 से 12:50 बजे तक दूसरा मुहूर्त है। पंचांग के मुताबिक चैत्र नवरात्रि के दौरान रवि योग, सर्वार्थ सिद्घि योग और रवि पुष्प नक्षत्र के शुभ संयोग बन रहे हैं।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सर्वार्थ सिद्घि योग का संबंध मां लक्ष्मी से है। इस योग में किए गए कार्य शुभ परिणाम देते हैं। उन्होंने बताया कि इस नवरात्र मंगल और शनि एक साथ रहेंगे। शनि-मंगल के इस योग से पराक्रम में वृद्धि होगी।
पं. मनोज कुमार द्विवेदी ने बताया कि इस नवरात्र माता घोड़े पर सवार होकर आएंगी। ऐसे में अस्थिरता, तनाव, दुर्घटना, भूकंप आदि की स्थिति उत्पन्न होती है। इसलिए इस नवरात्र पर माता का पूजन-अर्चन क्षमा प्रार्थना के साथ किया जाना आवश्यक है। इससे मां दुर्गा की कृपा बनी रहेगी।
मंदिरों में तैयारियां शुरू
नवरात्र को लेकर शहर के सभी प्रमुख देवी मंदिरों में तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। बिरहाना रोड स्थित तपेश्वरी मंदिर, मनीराम बगिया स्थित बुद्धा देवी मंदिर, बारादेवी मंदिर, किदवईनगर स्थित जंगली देवी मंदिर, गोविंदनगर के दुर्गा मंदिर, दामोदर नगर के वैष्णो देवी मंदिर में नवरात्र पर रोजाना हजारों भक्त पहुंचते हैं। इसे देखते हुए यहां सुरक्षा पर भी विशेष जोर रहेगा। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए बैरिकेडिंग की भी व्यवस्था की जाएगी।
विस्तार
चैत्र नवरात्र दो अप्रैल शनिवार से शुरू हो रहे हैं। इस अवसर पर लोग अपने घरों में कलश स्थापना कर माता की पूजा करते हैं। हालांकि कलश स्थापना के लिए सही दिशा का चयन बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। पं. दीपक पांडेय बताते हैं कि घर में उत्तर-पूर्व दिशा में इशान कोण में किसी जगह का चयन कर उसे गंगाजल से शुद्ध करें और तब कलश स्थापना करें।
पं. गौरव तिवारी ने बताया कि कलश स्थापना के लिए सुबह 6:22 मिनट से 8:31 मिनट तक शुभ मुहूर्त है। इसके बाद दोपहर 12 से 12:50 बजे तक दूसरा मुहूर्त है। पंचांग के मुताबिक चैत्र नवरात्रि के दौरान रवि योग, सर्वार्थ सिद्घि योग और रवि पुष्प नक्षत्र के शुभ संयोग बन रहे हैं।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सर्वार्थ सिद्घि योग का संबंध मां लक्ष्मी से है। इस योग में किए गए कार्य शुभ परिणाम देते हैं। उन्होंने बताया कि इस नवरात्र मंगल और शनि एक साथ रहेंगे। शनि-मंगल के इस योग से पराक्रम में वृद्धि होगी।
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