Online Workshop: आगरा जोन के एडीजी ने पुलिसकर्मियों को बताए पॉक्सो एक्ट और जेजे एक्ट के मूलभूत सिद्धांत

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सार

ऑनलाइन कार्यशाला में आगरा जोन के 161 थाने में तैनात बाल कल्याण अधिकारी, स्पेशल जुवेनाइल पुलिस यूनिट के प्रभारी और अन्य कर्मचारी जुड़े। एडीजी ने सभी को पॉक्सो एक्ट और जेजे एक्ट के मूल सिद्धांतों का पाठ पढ़ाया। 

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आगरा जोन के एडीजी राजीव कृष्ण ने गुरुवार को ऑनलाइन कार्यशाला में पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों को पॉक्सो एक्ट और जेजे एक्ट (जुवेनाइल जस्टिस एक्ट) के मूलभूत सिद्धांतों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि 18 साल से कम उम्र के किसी बच्चे को अपराध में संलिप्त पाया जाए तो प्रथम दृष्टया उसे निर्दोष मानकर विचारण (सुनवाई) करना चाहिए। प्रत्येक बच्चे के सम्मान का विशेष ध्यान रखना चाहिए। 

उन्होंने कहा कि बच्चों के प्रति लिए जाने वाले निर्णयों में बच्चे और अभिभावक को शामिल किया जाना चाहिए। बच्चे के हित को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। यह जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के कुछ महत्वपूर्ण सिद्धांत हैं। ऑनलाइन कार्यशाला में जोन के 161 थाने में तैनात बाल कल्याण अधिकारी, स्पेशल जुवेनाइल पुलिस यूनिट के प्रभारी और अन्य कर्मचारी जुड़े। 

जेजे एक्ट के हैं 16 मूल सिद्धांत 

एडीजी ने कहा कि किशोर और बच्चों के अधिकारों के न्याय के संरक्षण में पुलिस की भूमिका प्रथम प्रक्रियादाता के रूप में होती है। कार्यशाला में उन्होंने पॉक्सो एक्ट और जुवेनाइल जस्टिस एक्ट 2015 की जानकारी दी। बताया कि जेजे एक्ट में पुलिस की जिम्मेदारी, दायित्व, योगदान और कार्यों को वर्णित किया गया है। इस एक्ट के 16 मूलभूत सिद्धांत भी हैं। कार्यशाला में विशेषज्ञ के रूप में सैय्यद इमरान मुताली, कुशी कुशलप्पा, विक्रम श्रीवास्तव, सैय्यद रिजवान अली मौजूद थे। 

यह भी दी जानकारी

  • किसी बच्चे के खिलाफ शिकायत प्राप्त होती है और उसे गिरफ्तार किया जाता है तो उसे बाल कल्याण अधिकारी और बाल कल्याण समिति को सूचित किया जाना चाहिए। जुवेनाइल मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया जाए।
  • इस एक्ट में पुलिस और संस्थाएं बच्चों की पहचान जैसे नाम, पता, स्कूल, फोटो आदि को कहीं भी उजागर नहीं करेंगी।
  • बच्चे के बालिग होने की दशा में उसके हक में चरित्र प्रमाण पत्र निर्गत किया जाएगा। उसके खिलाफ प्रकाश में आए किशोर मामलों का उल्लेख नहीं किया जाएगा।
  • बच्चों के प्रति क्रूरता, भिक्षावृत्ति करवाना, वेंडिंग और हॉकर केरूप में उपयोग, कर्मचारी व नौकर के रूप में प्रताड़ित करना, बच्चों को खरीदा और बेचा जाना अपराध की श्रेणी में आता है।
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विस्तार

आगरा जोन के एडीजी राजीव कृष्ण ने गुरुवार को ऑनलाइन कार्यशाला में पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों को पॉक्सो एक्ट और जेजे एक्ट (जुवेनाइल जस्टिस एक्ट) के मूलभूत सिद्धांतों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि 18 साल से कम उम्र के किसी बच्चे को अपराध में संलिप्त पाया जाए तो प्रथम दृष्टया उसे निर्दोष मानकर विचारण (सुनवाई) करना चाहिए। प्रत्येक बच्चे के सम्मान का विशेष ध्यान रखना चाहिए। 

उन्होंने कहा कि बच्चों के प्रति लिए जाने वाले निर्णयों में बच्चे और अभिभावक को शामिल किया जाना चाहिए। बच्चे के हित को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। यह जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के कुछ महत्वपूर्ण सिद्धांत हैं। ऑनलाइन कार्यशाला में जोन के 161 थाने में तैनात बाल कल्याण अधिकारी, स्पेशल जुवेनाइल पुलिस यूनिट के प्रभारी और अन्य कर्मचारी जुड़े। 

जेजे एक्ट के हैं 16 मूल सिद्धांत 

एडीजी ने कहा कि किशोर और बच्चों के अधिकारों के न्याय के संरक्षण में पुलिस की भूमिका प्रथम प्रक्रियादाता के रूप में होती है। कार्यशाला में उन्होंने पॉक्सो एक्ट और जुवेनाइल जस्टिस एक्ट 2015 की जानकारी दी। बताया कि जेजे एक्ट में पुलिस की जिम्मेदारी, दायित्व, योगदान और कार्यों को वर्णित किया गया है। इस एक्ट के 16 मूलभूत सिद्धांत भी हैं। कार्यशाला में विशेषज्ञ के रूप में सैय्यद इमरान मुताली, कुशी कुशलप्पा, विक्रम श्रीवास्तव, सैय्यद रिजवान अली मौजूद थे। 

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