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रौद्र रूप धारण कर चुकी गंगा-यमुना रविवार की रात खतरे के निशान से एक मीटर ऊपर बहने लगीं। गंगा तटवर्ती मंदिरों, मार्गों और भवनों के ऊपर से बह रही है। बड़े हनुमान मंदिर का परिसर पूरी तरह जलमग्न हो गया है। अब हनुमान मंदिर की सिर्फ पताका ही नजर आ रही है। गंगा-यमुना के कछार में अब तक करीब पांच लाख से परिवार बाढ़ की चपेट में आ चुके हैं। बाढ़ से घिरे घरों को छोड़कर राहत शिविरों में या फिर रिश्तेदारों के यहां शरण लेने के अलावा कोई चारा नहीं बचा है।
गंगा-यमुना की बाढ़ की वजह से हर तरफ जलाप्लावन की स्थिति बन गई है। रविवार को गऊघाट इलाके में भी कई मकानों की पहली मंजिल डूब गई। कहीं टीवी के सिर्फ एंटीना नजर आ रहे हैं तो कहीं छतों पर गृहस्थी बचाने की जद्दोजहद में जुटे लोग। दो दर्जन से अधिक कॉलोनियां जहां जलमग्न हो गई हैं। वहीं, सैकड़ों परिवारों ने राहत शिविरों में शरण ले ली है।
बाढ़ नियंत्रण कक्ष की ओर से रात आठ बजे जारी बुलेटिन के मुताबिक, गंगा-यमुना एक-एक सेंमी प्रति घंटा की रफ्तार से बढ़ रही हैं। इस अवधि तक फाफामऊ में गंगा 85.83 मीटर और नैनी में यमुना भी 85.83 मीटर पर बहती रहीं। इन स्थानों पर खतरे के निशान 84.73 मीटर से 1.10 मीटर ऊपर बह रही हैं। हालांकि यमुना की सहायक नदियों केन ,बेतवा और चंबल के जलस्तर में कमी दर्ज की जा रही है।
इससे यमुना की रफ्तार थमने के संकेत मिलने लगे हैं। लेकिन, गंगा में बैराजों से रविवार को भी पानी छोड़ा गया। हरिद्वार बैराज से 38,448 क्यूसेक, नरोरा बैराज से 28,701 क्यूसेक और कानपुर बैराज से 1,28,396 क्यूसेक पानी गंगा में छोड़े जाने की सिंचाई बाढ़ खंड के अफसरों ने पुष्टि की। कहा जा रहा है कि अगर पहाड़ों पर फिर तेज बारिश नहीं हुई और जल दबाव फिर से नहीं बढ़ा तो अगले 24 घंटे में गंगा-यमुना शांत हो सकती हैं।
गंगा-यमुना की रफ्तार में लगतार कमी दर्ज की जा रही है। जिस तरह ऊपर से जल दबाव कम हो रहा है, उससे सोमवार की दोपहर तक जलस्तर स्थिर होने की उम्मीद है। – सिद्धार्थ कुमार सिंह, अधीक्षण अभियंता, सिंचाई बाढ़ खंड, प्रयागराज।
गंगा की बाढ़ से घिरे दर्जनों गांव
गंगा की बाढ़ की विभीषिका की चपेट में रविवार को पीरदल्लू, झिंगहा, शहजादपुर समेत कई और गांव आ गए। मोती लाल का पूरा व बुद्धू का पूरा, महाराजपुर, नरहा, दादनपुर, अलीमपुर, दानिशपुर, झिंगहा का संपर्क मार्ग पानी में डूब चुका है। रविवार को दादनपुर, नरहा, झिंगहा आदि गांवों से ग्रामीण निकलते रहे। जबकि सिंघापुर, शहजादपुर, मटरू का पूरा आदि गांवों के किनारों पर पानी पहुंच गया है।
इसके साथ ही हजारों एकड़ की फसल डूब गई है। बाढ़ को देखते हुए बिजली विभाग ने इन गांवों विद्युत आपूर्ति ठप कर दी है। शनिवार की देर रात मोती लाल का पूरा, महराजपुर, बुद्धू का पूरा नरहा आदि गांवों के लिए पांच नावें गांव पहुंचने पर ग्रामीणों ने राहत की सांस ली। झिंगहा के राम कैलाश पटेल, पीरदल्लू के पन्ना लाल प्रधान कहते हैं कि रेरुआ सुल्तानपुर की सड़क की ऊंचाई बढ़ने से बाढ़ का असर कम है। आशंका है कि सोमवार सुबह तक मकदूमपुर और शहजादपुर चौराहा के साथ ही गुलकइयापुर, भीखपुर में भी बाढ़ का पानी पहुंच जाएगा।
मुबारकपुर पूरन कछार में पहुंची पांच नावें
शनिवार की रात मुबारकपुर पूरन कछार में पांच नावें लेकर नाविक पहुंचे। इससे ग्रामीणों नेराहत की सांस ली। ग्राम प्रधान मुखिया यादव कहते हैं कि आबादी के अनुसार नावों की संख्या कम है। इसे और बढ़ाना जरूरी है।
बाढ़ से बंद हुए दर्जनों विद्यालय
बाढ़ से दर्जनों गांवों में स्थित विद्यालयों में पानी भर गया है। इनमें शहजादपुर स्थित विवेकानंद पब्लिक स्कूल, एसपीएस आईटीआई कॉलेज, राष्ट्रीय ग्रामोदय विकास विद्यालय, एपीएम हायर सेकेंड्री स्कूल तथा विभिन्न परिषदीय प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालय शामिल हैं।
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