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उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले के हैदरगढ़ में पूर्वांचल एक्सप्रेसवे पर नरेंद्रपुर मदहरा गांव के पास सोमवार सुबह साढ़े 4 बजे हादसे का दर्दनाक मंजर देख लोगों का कलेजा कांप उठा। दोनों बसों के परखच्चे उड़ गए थे। जो बस टकराई थी उसका बायां हिस्सा गायब हो गया था। कुछ लोग बस के ही पास सड़क पर लहूलुहान होकर शांत पड़े थे जो कुछ अर्द्धबेहोशी में मदद की गुहार लगा रहे थे। जहां सड़क हादसा हुआ वहां सड़क खून से लाल हो गई थी। पति चित्तनरायण के शव के सामने बैठी महिला बौवा देवी का यह दृश्य देखकर मानसिक संतुलन बिगड़ गया था। करीब आधे घंटे बाद राहत कार्य शुरू हुआ तो एक्सप्रेसवे से लेकर हैदरगढ़ सीएचसी तक कोहराम मचा रहा। एक डॉक्टर, एक फार्मासिस्ट व चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों को भी सीएचसी में एक साथ इतने घायल आने की उम्मीद नहीं थी। पूर्वांचल एक्सप्रेसवे पर यह पहला बड़ा सड़क हादसा था।
पूर्वांचल एक्सप्रेसवे पर नरेंद्रपुर मदरहा गांव के पास सोमवार की भोर करीब साढ़े चार बजे खेतों में काम रहे किसान धड़ाम की तेज आवाज से चौंक पड़े। लोग दौड़कर एक्सप्रेसवे पर पहुंचे तो दर्दनाक मंजर सामने था। इसी दौरान उधर से गुजरने वाले वाहन भी रुकने लगे।
साढ़े पांच बजे तक पुलिस व स्वास्थ्य विभाग की एंबुलेंस पहुंचने लगी। देखते ही देखते 26 लहूलुहान लोग सीएचसी में पहुंच गए। तब केंद्र पर मात्र एक चिकित्सक डॉ. जयशंकर पांडेय, फार्मासिस्ट अंबरीश मिश्रा व वार्ड ब्वाय मौजूद थे।
डॉक्टरों की कमी पूरी करने के लिए कॉलोनी में मौजूद तृतीय व चतुर्थ श्रेणी स्टाफ को बुलाकर व्यवस्था संभालने का प्रयास शुरू हुआ। घायलों के लिए पर्याप्त स्ट्रेचर व बेड की व्यवस्था नहीं होने से उन्हें कंक्रीट की बेंच व फर्श पर लिटाया गया। जबकि अन्य स्टाफ घायलों को एंबुलेंस से उतारकर नाम-पता नोट कर प्राथमिक उपचार देकर फिर उन्हें एंबुलेंस से लखनऊ भेजने में लगा रहा।
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