समाजवादी पार्टी के संरक्षक और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के निधन से उनके समर्थकों को काफी धक्का लगा है। परिवार से लेकर पार्टी तक में मायूसी सी छा गई है। मुलायम परिवार और पार्टी में इकलौते ऐसे शख्स थे जो सबको साथ लेकर चलते थे।
मुलायम लगातार कोशिश करते रहे कि किस तरह से परिवार में पड़ी फूट को रोका जा सके। सबको एकजुट रखा जाए, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। अब उनके निधन से एक बड़ा सवाल उठ रहा है कि क्या अखिलेश अपने पिता का ये सपना पूरा कर पाएंगे? शिवपाल सिंह यादव का क्या कहना है? आइए समझते हैं…
पहले जानिए मुलायम का सपना
दरअसल 2012 में जब समाजवादी पार्टी पूर्ण बहुमत के साथ सरकार में आई थी, तब शिवपाल सिंह यादव भी मुख्यमंत्री बनने की रेस में थे। ऐसे समय मुलायम ने अपने बेटे अखिलेश को आगे बढ़ाया और मुख्यमंत्री बना दिया। शिवपाल सिंह यादव को तब मंत्री पद से ही संतोष करना पड़ा। कुछ दिनों तक ठीक चला, लेकिन बाद में शिवपाल और अखिलेश के रिश्तों में खटास आने लगी।
उसी दौरान से मुलायम दोनों के बीच के रिश्ते को ठीक करने की कोशिश करते रहे। मुलायम चाहते थे कि पूरा परिवार एकजुट होकर रहे और आगे की लड़ाई लड़े, लेकिन 2017 आते-आते इसमें बड़ा दरार पड़ गई। अखिलेश यादव और शिवपाल सिंह यादव के रास्ते अलग-अलग हो गए। फिर 2022 आते-आते परिवार में कई और फूट पड़ गई। मुलायम के कई रिश्तेदारों ने उनका साथ छोड़ दिया। यहां तक ही उनकी बहू अपर्णा यादव भी भाजपा में शामिल हो गईं। मुलायम का सपना टूट रहा था, लेकिन उन्होंने परिवार को एकजुट करने की कोशिश नहीं छोड़ी। विश्लेषकों का कहना है कि अब ये दारोमदार अखिलेश यादव पर है।
अखिलेश-शिवपाल ने एकजुट होने की तरफ किया इशारा?
मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है। इसमें अखिलेश यादव और शिवपाल एक साथ नजर आ रहे हैं। वीडियो में दिख रहा है कि अखिलेश अपने सैफई स्थित आवास पर हैं। उनके साथ रामगोपाल यादव भी हैं। इस बीच, सामने से चाचा शिवपाल सिंह यादव भी आते हैं और अखिलेश के पास जाकर कुछ इशारा करते हैं। इसके बाद अखिलेश और शिवपाल सिंह यादव आपस में कुछ बात करने लगते हैं। इसके कुछ देर बाद तीनों कार्यकर्ताओं से मिलने लगते हैं।
शिवपाल सिंह यादव ने क्या कहा?
मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद मीडिया ने शिवपाल सिंह यादव से इसको लेकर सवाल पूछा। इस पर उन्होंने कहा, ‘नेताजी का अक्स अखिलेश यादव में दिखाई पड़ता है।’ दूसरा सवाल जब मैनपुरी से चुनाव लड़ने की अटकलों पर हुआ तो उन्होंने कहा, ‘अभी हम उस स्थिति में नहीं हैं। मुझे क्या करना है या क्या नहीं करना है। ये सब बातें तो जब मौका आएगा तो की जाएंगी। इसलिए इस समय कोई फैसले की बात नहीं है। देखिए क्या जिम्मेदारी मिलती है, क्या करना है।’
तो क्या मुलायम का सपना पूरा हो पाएगा?
हमने ये समझने के लिए वरिष्ठ पत्रकार प्रमोद कुमार सिंह से बातचीत की। उन्होंने कहा, ‘समाजवादी पार्टी और परिवार को एकजुट करने में मुलायम सिंह यादव की भूमिका सबसे अहम थी। मुलायम ऐसे नेता थे, जिनके रिश्ते विपक्षी दलों के नेताओं से भी अच्छे थे। वैचारिक मदभेद के बावजूद विपक्षी दल के नेता उनका सम्मान करते थे। अखिलेश भले ही मुलायम के उत्तराधिकारी हैं, लेकिन उनकी कई खूबियां उनके भाई शिवपाल सिंह यादव में है। शिवपाल ने भी वैचारिक मतभेद के बावजूद विपक्षी दलों के नेताओं से अच्छे रिश्ते बनाए हैं। अखिलेश यादव अगर पिता का सपना पूरा करना चाहते हैं, तो उन्हें सबसे पहले चाचा शिवपाल सिंह यादव को साथ लाना होगा। चाचा शिवपाल के आने से न केवल पार्टी, बल्कि परिवार में भी एकजुटता आ सकती है।’