समाजवादी पार्टी का राज्य सम्मेलन बुधवार को लखनऊ में हुआ। इसमें प्रदेश कार्यकारिणी के सारे पदाधिकारी और सदस्य जुटे। राष्ट्रीय नेताओं ने भी सम्मेलन में शिरकत की। इसमें नरेश उत्तम को फिर से पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष चुना गया।
सपा महासचिव प्रो. रामगोपाल यादव ने कहा कि प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए केवल नरेश उत्तम का नामांकन आया। उनके विरोध में कोई नहीं खड़ा हुआ, इसलिए उन्हें निर्विरोध प्रदेश अध्यक्ष चुन लिया जाता है। इस दौरान सपा मुखिया अखिलेश यादव भी मौजूद रहे। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी की सरकार पर जमकर निशाना साधा।
अब सवाल ये उठ रहा है कि आखिर नरेश उत्तम को ही दोबारा प्रदेश अध्यक्ष क्यों बनाया गया? इसके पीछे समाजवादी पार्टी की क्या रणनीति है? अखिलेश यादव ने 2024 के लिए क्या योजना है?
पहले जानिए नरेश उत्तम हैं कौन?
नरेश उत्तम पटेल समाजवादी पार्टी की स्थापना के समय से ही पार्टी से जुड़े हैं। 10 जनवरी 1956 को उनका जन्म फतेहपुर के जहानाबाद के लहुरी सराय में हुआ था। उन्होंने कानपुर विश्वविद्यालय से परास्नातक तक की पढ़ाई की है। नरेश उत्तम ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत जनता दल से की। साल 1989 से 1992 के बीच उन्होंने जनता दल के कार्यकर्ता के रूप में काम किया। इस दौरान वह मुलायम सिंह यादव के करीबियों में शामिल हो गए। साल 1989 में जब मुलायम मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने नरेश उत्तम पटेल को उप मंत्री बनाया।
नरेश ने फतेहपुर के जहानाबाद विधानसभा क्षेत्र से साल 1989 में पहली बार चुनाव जीता था। वह तीन बार विधायक रहे। साल 2006 में उन्हें सपा ने विधान परिषद का सदस्य बनाया। साल 2017 में जब अखिलेश यादव और शिवपाल यादव के बीच विवाद हुआ तो नरेश को इसका फायदा मिल गया। अखिलेश यादव ने अपने चाचा शिवपाल सिंह यादव को अध्यक्ष पद से हटाकर नरेश को कुर्सी सौंप दी।
नरेश उत्तम ही क्यों बनाए गए सपा प्रदेश अध्यक्ष?
नरेश उत्तम के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद से सपा दो बार विधानसभा चुनाव हार चुकी है और एक बार लोकसभा चुनाव में बुरी तरह से मात मिली। ऐसे में सवाल उठता है लगातार मिल रही हार के बाद भी नरेश उत्तम अपने पद पर कैसे बरकार हैं?
इसे समझने के लिए हमने राजनीतिक विश्लेषक प्रो. अजय कुमार सिंह से बात की। उन्होंने कहा, ‘नरेश उत्तम सपा प्रमुख अखिलेश यादव के करीबी हैं और संगठन में उनका अनुभव काफी अच्छा है। वह उन दिनों से सपा में हैं, जब इसकी स्थापना हुई थी। ऐसे में अखिलेश उनपर पूरा भरोसा कर सकते हैं। हालांकि, बड़ा कारण ये भी है कि वह कुर्मी जाति से आते हैं। यूपी में कुर्मी वोटर्स की आबादी करीब सात प्रतिशत है। इस बार विधानसभा चुनाव में अखिलेश ने केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल की बहन पल्लवी पटेल और मां कृष्णा पटेल को अपने साथ लाकर चुनाव लड़ाया था। इसका उन्हें फायदा भी मिला। पल्लवी ने सिराथू से डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को मात दे दी थी। यही कारण है कि नरेश उत्तम को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर रखने से अखिलेश को फायदा दिख रहा है।’
प्रो. अजय आगे कहते हैं, ‘नरेश की पकड़ कुर्मी के अलावा अन्य ओबीसी जातियों में भी है। इसलिए सपा इसका फायदा उठाना चाहती है। शांत स्वभाव के नरेश उत्तम जमीन से जुड़े नेता हैं। सपा केवल परिवार की पार्टी कही जाती है। ऐसे में अखिलेश परिवार के किसी सदस्य को ये पद देकर इस टैग को और मजबूत नहीं करना चाहते थे। वहीं, अन्य पिछड़े वर्ग में कोई ऐसा नेता नहीं है, जो अखिलेश का विश्वसनीय हो। स्वामी प्रसाद मौर्य, रामअचल राजभर जैसे नेता कई पार्टियां बदल चुके हैं। ऐसे में अखिलेश इनपर ज्यादा भरोसा नहीं कर सकते। यही कारण है कि उन्होंने नरेश उत्तम को दोबारा अध्यक्ष बना दिया।’