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अखिलेश यादव को एक बार फिर से समाजवादी पार्टी का अध्यक्ष चुन लिया गया है। लखनऊ में हुई पार्टी के राष्ट्रीय अधिवेशन में इसका एलान हुआ। अखिलेश 2017 से पार्टी की कमान संभाल रहे हैं। इसके पहले 2012 से 2017 के बीच वह सूबे के मुख्यमंत्री भी रहे हैं।
लगातार तीसरी बार अखिलेश पार्टी की कमान संभालने जा रहे हैं। 2017 से पहले उनके पिता और पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव ही अध्यक्ष थे। 1992 में पार्टी का गठन हुआ था। अखिलेश यादव की राजनीति में वर्ष 2000 में एंट्री हुई थी। तब वह पहली बार कन्नौज से सांसद चुने गए थे। इसके बाद 2004, 2009 में भी सांसद निर्वाचित हुए।
2012 में जब समाजवादी पार्टी को पूर्ण बहुमत मिला तो मुलायम सिंह यादव ने बेटे अखिलेश यादव को मुख्यमंत्री बना दिया। इसके बाद से पार्टी में फूट पड़नी शुरू हो गई। 2017 में अखिलेश ने अपने पिता को राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटाते हुए खुद की ताजपोशी का एलान कर दिया। मुलायम को संरक्षक बना दिया गया। चाचा शिवपाल सिंह यादव को भी प्रदेश अध्यक्ष पद से हटा दिया गया था।
ऐसे में आज हम आपको बताएंगे कि समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष के तौर पर अखिलेश यादव कितने सफल हुए? मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव में किसने पार्टी को बेहतर परिणाम दिया? पढ़िए पूरी रिपोर्ट…
लोकसभा चुनाव में भी मुलायम के समय पार्टी मजबूत थी
ऐसा नहीं है कि मुलायम सिंह यादव की अध्यक्षता में समाजवादी पार्टी ने केवल विधानसभा चुनावों में अच्छा प्रदर्शन किया हो। 1996 में पहली बार सपा ने लोकसभा चुनाव लड़ा था। तब 111 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे और इनमें से 16 को जीत मिली थी। 1998 में 166 में से 19, 1999 में 151 में से 26, 2004 में 237 में से 36, 2009 में 193 में से 23 प्रत्याशियों ने जीत हासिल की थी। 2014 में मोदी लहर में पार्टी का ग्राफ कमजोर हुआ। 197 में से केवल पांच प्रत्याशी ही सांसद चुने गए। इनमें भी सारे मुलायम परिवार के सदस्य थे। मुलायम सिंह यादव की अध्यक्षता में ये आखिरी लोकसभा चुनाव सपा ने लड़ा था।
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