[ad_1]
शब-ए-बारात
– फोटो : अमर उजाला
विस्तार
शब-ए-बरात की रात अकीदत के साथ गुजरी। अकीदतमंदों ने सारी रात गुनाहों की माफी मांगी और मजारों पर फातिहा पढ़ी। मंगलवार को शब-ए-बरात पर शहर भर में महफिलों का दौर चल रहा था, वहीं दूसरी तरफ घर पकवान की खुशबू से महक रहे थे। लोगों ने अपने पूर्वजों की मगफिरत के लिए मजार और कब्रिस्तानों पर दुआ मांगी।
मंगलवार की शाम को जहां एक तरफ होलिका दहन की तैयारियां शुरू हुईं वहीं दूसरी तरफ मोमिनों ने शब-ए-बरात मनाया। शब-ए-बरात की इबादत करने के लिए शहर भर में कब्रिस्तानों और मजारों पर लोगों ने अपने पूर्वजों की मगफिरत की दुआ मांगी। नफिल नमाजे पढ़ीं और पवित्र कुरान की तिलावत करते रहे। हर किसी के लब पर यही दुआ जारी रही कि या परवरदिगार हमारे गुनाहों को बख्श दे। हमारे ऊपर रहमत नाजिल फरमा…। घरों में मीठे पकवान पकाए गए। खास कर तरह तरह के हलवे बनाए गए। उस पर पुरखों की याद में नज्र कराई गई।
उधर शिया समुदाय ने इस शब को 12वें इमाम मेहंदी की विलादत का जश्न मनाया। फातिहा पढ़कर गरीबों में खाना और वस्त्र भी वितरित किया गया। जामा मस्जिद के प्रवक्ता हाजी सैयद फरमान हैदर ने बताया कि सर्वाधिक भीड़ पीलीकोठी और लाट सरैयां की ओर रही। सभी कब्रिस्तान पहुंचे और अपने पूर्वजों की याद में फातिहा पढ़ी और गरीबों में खाना बांटा। इस अवसर पर कई जगह महफिलें भी हुईं। शिया समुदाय के लोगों ने सुबह की नमाज पढ़ने के बाद गंगा और वरुणा नदी में अर्जी भी डाली। जो लोग नदी नहीं पहुंच सके अपने घर के पास के ही तालाब में अपनी अर्जी डालकर परवरदिगार से रहमत की दुआएं मांगीं। रोजी रोजगार और बरकत की दुआएं मांगी।
[ad_2]
Source link