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उत्तर प्रदेश में चार चुनावों (लोकसभा और विधानसभा के दो-दो) में पार्टी की जीत में अहम भूमिका निभाने वाले बंसल को राष्ट्रीय महासचिव बना कर उनका कद बड़ा किया गया है। बंसल अकेले महासचिव हैं जिन्हें पद संभालते ही तीन राज्यों की जिम्मेदारी दी गई है। लोकसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन के लिए पार्टी इन तीनों राज्यों पर जोर लगा रही है। इनमें ओडिशा और तेलंगाना में लोकसभा के साथ विधानसभा चुनाव भी हैं और पार्टी की निगाहें यहां अपनी सरकार बनाने की है। सुनील बंसल को लोकसभा चुनाव 2014 से पहले यूपी के प्रभारी अमित शाह के साथ सह प्रभारी नियुक्त किया गया था। लोकसभा चुनाव में भाजपा की प्रचंड जीत के बाद जून में बंसल को प्रदेश महामंत्री संगठन नियुक्त किया गया। उसके बाद बंसल ने 2014 से ही विधानसभा चुनाव 2017 की तैयारियां शुरू की। पार्टी को धरातल पर मजबूत कर पिछड़ी और दलित जातियों के नेताओं को जोड़ने के साथ चुनाव प्रबंधन की कमान बंसल के हाथ रही।
2017 विधानसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में मिली जीत का श्रेय तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह, तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य और महामंत्री संगठन बंसल को दिया गया।
उसके बाद नगरीय निकाय चुनाव में भी भाजपा ने बेहतर प्रदर्शन कर 18 में से 16 नगर निगमों पर कब्जा जमाया। पहली बार पूरे दमखम से सहकारिता के चुनाव में उतरकर सभी सहकारी समितियों पर भी पार्टी ने परचम फहराया।
सपा और बसपा गठबंधन के बाद भी लोकसभा चुनाव 2019 में भाजपा को मिली 64 सीटों में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सुशासन के साथ संगठन के काम को आधार माना गया।
प्रदेश में 1.73 लाख बूथों में से 1.60 लाख से अधिक बूथों पर बूथ समितियों के गठन, पन्ना प्रमुखों का सफल प्रयोग और पार्टी के डिजिटल और सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर मजबूती में भी बंसल की रणनीति कारगर रही। 2022 विधानसभा चुनाव में भी मोदी के मार्गदर्शन, योगी के नेतृत्व के साथ संगठन कामकाज जीत का आधार बना।
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