Tulsi Vivah 2022: देवउठनी एकादशी और तुलसी विवाह की तारीख, शुभ मुहूर्त, कब से शुरू होंगे शादी-ब्याह ?

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तुलसी विवाह

तुलसी विवाह
– फोटो : Amar Ujala Digital

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देवोत्थान एकादशी वर्ष की सभी 24 एकादशी में सबसे महत्वपूर्ण एकादशी है इसे हरि प्रबोधिनी एकादशी भी कहते हैं। इस वर्ष देवोत्थान एकादशी 4 नवंबर शुक्रवार को मनाई जाएगी एकादशी तिथि 3 नवंबर रात्रि 8:51 पर लग जायेगी और 4 नवंबर शुक्रवार को 7:02 सायंकाल तक रहेगी सूर्योदय व्यापिनी तिथि को ध्यान में रखकर हरि प्रबोधिनी एकादशी व्रत का मान 4 नवंबर को ही होगा। 
धार्मिक ग्रंथों में वर्णित उल्लेख के अनुसार प्रत्येक वर्ष की आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी जिसे देवशयनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस वर्ष हरिशयनी एकादशी 10 जुलाई 2022 को हुई थी इस दिन जगत के पालन कर्ता श्री हरि विष्णु 4 माह के लिए योग निद्रा में चले जाते हैं। और कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की देवोत्थान एकादशी को अपने शयनकाल को पूर्ण करके निद्रा से जागते हैं धर्म ग्रंथों के अनुसार भगवान विष्णु जब निद्रा में होते हैं हिंदू धर्म में होने वाले तमाम तरह के शुभ कार्यों पर 4 महीने की रोक लग जाती है। मान्यताओं के अनुसार देवोत्थान एकादशी पर जगत के पालनहार की विशेष पूजा करके उन्हें नींद से जगाया जाता है और इसी दिन चातुर्मास व्रत समाप्त हो जाता है और सभी मांगलिक कार्य जैसे विवाह ,मुंडन ,जनेऊ, गृह प्रवेश ,यज्ञ इत्यादि कार्य का प्रारंभ हो जाता है ऐसा कहा जाता है कि कार्तिक मास में श्रीहरि जल में निवास करते हैं।
 पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जिस मनोरथ का फल त्रिलोक में ना मिल सके वह देवोत्थान एकादशी का व्रत करके प्राप्त किया जा सकता है देवोत्थान एकादशी से पूर्णिमा तक भगवान शालिग्राम एवं तुलसी माता का विवोहत्सव का पर्व मनाया जाता है।

तुलसी विवाह का शुभ मुहूर्त
भगवान श्री हरि विष्णु (शालिग्राम) एवं माता तुलसी के विवाह के लिए उत्तम पूजन का मुहूर्त सायंकाल गोधूलि बेला में है। पं दीपक मालवीय ने कहा है कि 4 नवंबर को शुक्रवार से मांगलिक कार्य प्रारंभ हो जाएंगे लेकिन इस बार शुक्र ग्रह अस्त होने से देवोत्थान एकादशी पर विवाह का मुहूर्त नहीं है इस संदर्भ में प्रथम विवाह मुहूर्त 24 नवंबर से प्राप्त होगा।

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नवंबर मास विवाह मुहूर्त- 24,25,26,
दिसंबर के विवाह मुहूर्त – 2,3,7,8,9,13,14,15,16
इसके पश्चात् खरमास का प्रारंभ हो जाएगा। पुनः विवाह के मुहूर्त 15 जनवरी 2023 से प्राप्त होंगे।

विस्तार

देवोत्थान एकादशी वर्ष की सभी 24 एकादशी में सबसे महत्वपूर्ण एकादशी है इसे हरि प्रबोधिनी एकादशी भी कहते हैं। इस वर्ष देवोत्थान एकादशी 4 नवंबर शुक्रवार को मनाई जाएगी एकादशी तिथि 3 नवंबर रात्रि 8:51 पर लग जायेगी और 4 नवंबर शुक्रवार को 7:02 सायंकाल तक रहेगी सूर्योदय व्यापिनी तिथि को ध्यान में रखकर हरि प्रबोधिनी एकादशी व्रत का मान 4 नवंबर को ही होगा। 

धार्मिक ग्रंथों में वर्णित उल्लेख के अनुसार प्रत्येक वर्ष की आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी जिसे देवशयनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस वर्ष हरिशयनी एकादशी 10 जुलाई 2022 को हुई थी इस दिन जगत के पालन कर्ता श्री हरि विष्णु 4 माह के लिए योग निद्रा में चले जाते हैं। और कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की देवोत्थान एकादशी को अपने शयनकाल को पूर्ण करके निद्रा से जागते हैं धर्म ग्रंथों के अनुसार भगवान विष्णु जब निद्रा में होते हैं हिंदू धर्म में होने वाले तमाम तरह के शुभ कार्यों पर 4 महीने की रोक लग जाती है। मान्यताओं के अनुसार देवोत्थान एकादशी पर जगत के पालनहार की विशेष पूजा करके उन्हें नींद से जगाया जाता है और इसी दिन चातुर्मास व्रत समाप्त हो जाता है और सभी मांगलिक कार्य जैसे विवाह ,मुंडन ,जनेऊ, गृह प्रवेश ,यज्ञ इत्यादि कार्य का प्रारंभ हो जाता है ऐसा कहा जाता है कि कार्तिक मास में श्रीहरि जल में निवास करते हैं।

 पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जिस मनोरथ का फल त्रिलोक में ना मिल सके वह देवोत्थान एकादशी का व्रत करके प्राप्त किया जा सकता है देवोत्थान एकादशी से पूर्णिमा तक भगवान शालिग्राम एवं तुलसी माता का विवोहत्सव का पर्व मनाया जाता है।



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