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अजगैन। नवाबगंज के पछियांव मोहल्ले में स्थापित राम जानकी ठाकुरद्वारा (मंदिर) का ऐतिहासिक महत्व है। 500 साल पुराने इस ठाकुरद्वारा का पुनर्निर्माण व जीर्णोद्धार कराया जा रहा है। इससे जल्द ही यह ठाकुरद्वारा नए रूप में सामने आएगा।
एतिहासिक अभिलेखों के मुताबिक 500 साल पहले यहां के तालुकदार रहे भैरो सिंह ने डेढ़ सौ मजदूर और कारीगरों की टीम लगाकर छह साल में ठाकुरद्वारा का निर्माण कराया था। राम जानकी ठाकुरद्वारा अपनी अलग बनावट और आस्था के लिए क्षेत्र में प्रसिद्ध है। ठाकुरद्वारा के निर्माण में लखौरी ईंटों का प्रयोग हुआ है।
इसके साथ ही उड़द की दाल, चूना, राख व बबूल के गोंद से जुड़ाई आदि किए जाने का दावा किया जाता है। इस प्रसिद्ध मंदिर की नक्काशी व यहां पर स्थापित राम जानकी के दर्शन करने को दूरदराज से लोग आते हैं। वर्तमान में तालुकेदार भैरो सिंह के वंशज अमरपाल सिंह इसका नवनिर्माण व जीर्णोद्धार करा रहे हैं।
अमरपाल बताते हैं कि सौ साल पहले हमारे पूर्वज ठाकुर नन्हा सिंह ने मुख्य द्वार का जीर्णोद्धार कराया था। जिसमें अन्य ईंटों का प्रयोग हुआ था। इधर कई दशक से यह खंडहर में तब्दील होने लगा था। जिसके बाद इसका दोबारा जीर्णोद्धार शुरू कराया गया है। अमरपाल ने बताया कि जोधपुर से कारीगरों को बुलाया गया है। जो दिन रात काम करके ठाकुरद्वारा के वैभव को वापस लाने का कार्य कर रहे हैं।
यह प्रसिद्ध ठाकुरद्वारा नवाबगंज कस्बे के प्रसिद्ध दुर्गा मंदिर जाने वाले रास्ते पर पड़ता है। इसमें राम दरबार के अलावा शिव परिवार की प्राचीन मूर्तियां स्थापित हैं। जिनकी बनावट खुद अपनी विशिष्टता को बयान करती है। पिछले तीन महीने से राजस्थान के जोधपुर से आए कारीगर रंगरोगन व जीर्णोद्धार में लगे हैं।
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