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संवाद न्यूज एजेंसी
अचलगंज।
निचली अदालत से आजीवन कारावास की सजा पाए हत्यारोपियों को हाईकोर्ट से जमानत मिल गई। पिता के हत्यारों को फिर सजा दिलाने की उम्मीद में बेटे की एक सड़क हादसे में मौत हो गई। तो पौत्र ने बाबा के हत्यारों को सजा दिलाने की ठानी। कानूनी लड़ाई जारी रखी और आखिरकार 41 साल बाद न्यायालय ने उसके बाबा के हत्यारों की उम्रकैद की सजा बरकरार रखी और दस दिन में समर्पण का आदेश दिया है।
17 जून 1982 को शाम पांच बजे मवइया लायक निवासी गौरी शंकर शुक्ल की बाजार से घर लौटते समय बदरका गांव के पास एक बाग में गोली मार कर हत्या कर दी थी। मृतक के पुत्र अशोक कुमार शुक्ल (अब मृत) ने पुलिस को तहरीर देकर बताया था कि वर्ष 1981 में उनके यहां डकैती हुई थी। जिसमें गांव के ही राज किशोर, करुणा शंकर व दो अज्ञात लोगों के शामिल होने की आशंका जताई गई थी। इसी खुन्नस में राज किशोर व करुणा शंकर ने उनके पिता गौरी शंकर की हत्या कर दी।
तहरीर में उन्होंने अपने पिता की गोली व धारदार हथियारों से हत्या किए जाने की बात कही थी। पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज कर ली थी। लगभग एक साल बाद 15 अप्रैल 1983 को तत्कालीन जिला जज ने दोनों आरोपियों को दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। इसके बाद आरोपियों ने हाईकोर्ट में अपील करते हुए जमानत करा ली थी। तबसे मुकदमा विचाराधीन चल रहा था।
इसी बीच 2018 में वादी अशोक कुमार शुक्ल की एक दुर्घटना में मौत हो गई। वह अपने पिता के हत्यारों को सजा दिलाने की हसरत लिए ही दुनिया से चले गए। मृतक के पौत्र अरविंद शुक्ल ने मुकदमे की पैरवी जारी रखी। 30 मई 2023 को हाईकोर्ट ने मामले में फैसला सुनाया। न्यायाधीश अताउर्रहमान मसूदी व सरोज यादव की पीठ ने राजकिशोर और करुणा शंकर की आजीवन कारावास की सजा बरकरार रखी है और दस दिन के अंदर अदालत में समर्पण का आदेश जारी किया।
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