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सांकेतिक तस्वीर
– फोटो : Social Media
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गोरखा रेजिमेंट के रायफलमैन अम बहादुर गुरुंग की मौत 23 साल पहले बर्फीले इलाके में तैनाती के दौरान हो गई थी। सेना ने इसे एचआईवी संक्रमण से हुई मौत मानते हुए नेपाल निवासी इस सैनिक की विधवा रनमाया गुरुंग को साधारण पेंशन का हकदार माना। जबकि रनमाया ने पति की मौत बर्फीले इलाके में होने वाली हाई अल्टीट्यूड पल्मोनरी ओडेमा (हापो) नामक बीमारी से होने का हवाला देते हुए विशेष पारिवारिक पेंशन मांगी।
सेना ने यह मांग ठुकरा दी। इसके बाद रनमाया ने शिलांग से लेकर दिल्ली तक गुहार लगाई। कहीं सुनवाई न होने पर उसने अंतिम आस के साथ लखनऊ स्थित सशस्त्र-बल अधिकरण (एएफटी) में अपील दायर की।
न्यायमूर्ति अनिल कुमार और मेजर जनरल संजय सिंह की पीठ ने सुनवाई के बाद रनमाया के पति की मृत्यु का कारण हापो बीमारी को मानते हुए उसे विशेष पारिवारिक पेंशन का हकदार माना। पीठ ने रक्षा मंत्रालय को चार माह में विशेष पारिवारिक पेंशन राशि का भुगतान कराने का आदेश दिया।
कहा कि तय समय में भुगतान न करने पर सरकार को देय राशि पर नौ फीसदी ब्याज भी देना होगा। पीड़िता रनमाया की तरफ से यह अपील अधिवक्ता विजय कुमार पांडेय ने डेढ़ साल पहले एएफटी में न्यायमूर्ति उमेश चंद्र श्रीवास्तव और अभय रघुनाथ कर्वे की पीठ में दाखिल की थी।
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