आगरा में 10 फरवरी को सबसे बड़ा दिन है। अपने हकों की रक्षा, शहर के विकास के लिए आपकी भागीदारी का दिन। इस दिन आपका निर्णय कम से कम पांच साल तक आपको प्रभावित करेगा। शहर के मतदाता संकल्प लें कि बिना किसी प्रलोभन में आए सही प्रतिनिधि को चुनेंगे…मतदान करेंगे।
आगरा में अपनी सरकार चुनने और क्षेत्र में विकास के लिए वोटरों को घरों से मतदान केंद्रों तक निकलकर अपना दम दिखाना होगा। शहरी क्षेत्र के वोटरों की जिम्मेदारी ज्यादा है, क्योंकि अब तक हुए 17 विधानसभा चुनाव में आगरा की सभी विधानसभा सीटों पर शहरी सीटों में ही मतदान कम होता आया है।
पांच साल पहले 2017 के विधानसभा चुनाव में भी जिले की 9 विधानसभा सीटों में से 7 सीटों पर मतदान 60 से 70 फीसदी तक हुआ, लेकिन शहर में तीन में से दो विधानसभा क्षेत्रों आगरा उत्तर और आगरा छावनी में मतदान प्रतिशत 60 फीसदी को छू न सका। जिले में मतदान सूची में ये आखिरी पायदान पर रहे। शहर के जागरूक लोग इस बार देहात से ज्यादा मतदान के लिए प्रतिबद्धता जता रहे हैं।
राजनीतिक दल भी वोटरों को मतदान केंद्रों तक पहुंचाने के लिए घर-घर पर्चियां पहुंचा रहे हैं। साथ ही वोट डालने के लिए वोटर कार्ड के साथ विकल्प के रूप में ड्राइविंग लाइसेंस, आधार कार्ड, पैन कार्ड, पासपोर्ट, राशन कार्ड समेत 16 पहचानपत्रों की जानकारी भी दे रहे हैं ताकि वोटर लिस्ट में जिनका नाम है, वह वोट देने मतदान केंद्र तक जरूर पहुंचें।
वर्ष 2017 में मतदान
विधानसक्षा क्षेत्र |
मतदान प्रतिशत |
फतेहाबाद |
70.57 % |
एत्मादपुर |
68.12 % |
फतेहपुर सीकरी |
67.81 % |
खेरागढ़ |
64.17 % |
आगरा ग्रामीण |
63.68 % |
आगरा दक्षिण |
62.26 % |
बाह |
60 % |
आगरा छावनी |
59.13 % |
आगरा उत्तर |
58.35 % |
शहर में पश्चिम, छावनी में कम रहा है मतदान
वर्ष 2012 में परिसीमन से पहले आगरा पश्चिम विधानसभा क्षेत्र में मतदाता सबसे कम वोट डालने निकलते रहे हैं। आगरा पश्चिम और छावनी क्षेत्र में मतदान का प्रतिशत पूरे जिले में कम मतदान वाले क्षेत्रों में आता रहा है। 1985 से 2002 के बीच चार बार आगरा पश्चिम क्षेत्र में मतदान 40 फीसदी से भी कम रहा।
60 फीसदी की बड़ी आबादी घरों से बाहर वोट देने के लिए निकली ही नहीं। साल 2002 में तो महज 31 फीसदी वोटरों ने अपने विधायक को चुना, जबकि 69 प्रतिशत लोग मतदान के दिन अवकाश होने पर भी घरों में ही बने रहे।
साल |
विधानसभा क्षेत्र |
मतदान प्रतिशत |
1985 |
आगरा पश्चिम |
36.1 % |
1985 |
आगरा पूर्व |
39.4 % |
1989 |
आगरा पश्चिम |
33.8 % |
1996 |
आगरा पूर्व |
36.6 % |
1996 |
आगरा पश्चिम |
36.5 % |
2002 |
आगरा पश्चिम |
31.1 % |
2002 |
आगरा छावनी |
33.6 % |
मतदान हुआ कम तो बढ़ेगी प्रत्याशियों की मुश्किलें
सभी राजनीतिक दलों का जोर मतदान प्रतिशत को बढ़ाने पर है। बसपा अध्यक्ष मायावती कोठी मीना बाजार मैदान पर हुई पहली चुनावी सभा में अपने वोटरों और बसपा नेताओं से अपने हर एक वोटर से मतदान कराने की अपील करके गईं। बसपा का पूरा जोर सुबह 7 से 10 बजे के बीच ही अपने समर्थक वोटरों का मतदान कराने पर है। इसके लिए उन्होंने नारा भी गढ़ा।
इसी तरह भाजपा पन्ना प्रमुख और बूथ कमेटी के जरिए घर-घर मतदाता पर्चियां पहुंचाने में जुटी है। उनकी चिंता मतदान प्रतिशत को लेकर है, क्योंकि दलों के साथ प्रत्याशियों को पता है कि उनके समर्थकों का कम मतदान उनके लिए मुश्किलें बढ़ा सकता है। आगरा उत्तर सीट पर उपचुनाव में मतदान कम हुआ था, इस वजह से सभी प्रत्याशी मतदान बढ़ाने के लिए पूरी ताकत झोंक चुके हैं।
धर्मगुरुओं ने की अपील
अपनी जिम्मेदारी निभाएं, वोट जरूर दें
मन:कामेश्वर मंदिर के महंत योगेशपुरी ने कहा कि लोकतंत्र के मंदिर की भव्यता उतनी बढ़ेगी, जितने ज्यादा से ज्यादा मतदाता ईवीएम पर बटन दबाएंगे। युवा, बुजुर्ग, महिलाएं सभी घरों से मतदान केंद्र तक जाकर वोट दें और अपनी जिम्मेदारी निभाएं।
मतदान करने से न चूकें
गुरुद्वारा गुरु का ताल के संत बाबा प्रीतम सिंह ने कहा कि 10 फरवरी को लोकतंत्र का पर्व है। इस दिन घर से निकलें और बूथ पर जाकर मतदान करने से कतई न चूकें। यह हमारी जिम्मेदारी ही नहीं बल्कि नागरिक होने के नाते कर्तव्य भी है। मेरी अपील है कि वोट करके अपनी सरकार चुनें।
सौ फीसदी भागीदारी करें
मंडलीय शिक्षा निदेशक मुकेश अग्रवाल ने कहा कि सभी विद्यार्थियों से अपील है कि वह अपने मत का प्रयोग करके लोकतांत्रिक प्रक्रिया का हिस्सा बनें और सौ फीसदी भागीदारी करें। अपने आसपास, परिवार के लोगों से भी मतदान के लिए जागरूक करें, ताकि लोकतंत्र मजबूत हो।
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आगरा में अपनी सरकार चुनने और क्षेत्र में विकास के लिए वोटरों को घरों से मतदान केंद्रों तक निकलकर अपना दम दिखाना होगा। शहरी क्षेत्र के वोटरों की जिम्मेदारी ज्यादा है, क्योंकि अब तक हुए 17 विधानसभा चुनाव में आगरा की सभी विधानसभा सीटों पर शहरी सीटों में ही मतदान कम होता आया है।
पांच साल पहले 2017 के विधानसभा चुनाव में भी जिले की 9 विधानसभा सीटों में से 7 सीटों पर मतदान 60 से 70 फीसदी तक हुआ, लेकिन शहर में तीन में से दो विधानसभा क्षेत्रों आगरा उत्तर और आगरा छावनी में मतदान प्रतिशत 60 फीसदी को छू न सका। जिले में मतदान सूची में ये आखिरी पायदान पर रहे। शहर के जागरूक लोग इस बार देहात से ज्यादा मतदान के लिए प्रतिबद्धता जता रहे हैं।
राजनीतिक दल भी वोटरों को मतदान केंद्रों तक पहुंचाने के लिए घर-घर पर्चियां पहुंचा रहे हैं। साथ ही वोट डालने के लिए वोटर कार्ड के साथ विकल्प के रूप में ड्राइविंग लाइसेंस, आधार कार्ड, पैन कार्ड, पासपोर्ट, राशन कार्ड समेत 16 पहचानपत्रों की जानकारी भी दे रहे हैं ताकि वोटर लिस्ट में जिनका नाम है, वह वोट देने मतदान केंद्र तक जरूर पहुंचें।