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सार
राजनीतिक विश्लेषक सुनील पांडे कहते हैं कि यह बात आश्चर्यजनक लग सकती है, लेकिन यह सही है कि यूपी चुनाव में सुरक्षा का मुद्दा बेहद गंभीर होता जा रहा है। कुछ विशेष कारणों से पश्चिमी उत्तर प्रदेश में यह ज्यादा गंभीर दिखाई पड़ता है। हैरानी की बात है कि भाजपा के सत्ता में होने के बाद भी अपराधीकरण को अखिलेश यादव और सपा से जोड़कर देखा जा रहा है, जबकि इसका पहला शिकार सत्तारूढ़ दल ही होते हैं…
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा सुरक्षा का मुद्दा खूब जोरशोर से उठा रही है। प्रधानमंत्री मोदी ने दूसरे वर्चुअल चुनाव प्रचार में समाजवादी पार्टी को ‘माफियावादी’ पार्टी करार देकर इस मामले को और हवा दे दी। इसके पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और गृह मंत्री अमित शाह लगातार सुरक्षा के मुद्दे पर बोल रहे हैं। वे सपा को इसी मुद्दे पर घेरने की कोशिश कर रहे हैं। वहीं, सपा भी पलटवार करते हुए हाथरस और गोरखपुर कांड के सहारे भाजपा पर लोगों की सुरक्षा न कर पाने के आरोप लगा रही है। ऐसे में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में सुरक्षा का मुद्दा कितना अहम भूमिका निभा सकता है?
सिहानी गेट गाजियाबाद व्यापार मंडल के अध्यक्ष राजीव अग्रवाल ने अमर उजाला को बताया कि 2012 से 2017 के दौरान व्यापारियों का अपराधियों के द्वारा बहुत उत्पीड़न किया जाता था। आए दिन उनसे रंगदारी वसूली जाती थी। अपराध की शिकायत करने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं होती थी। इससे व्यापारी डरे सहमे रहते थे, जबकि अपराधियों के हौसले बुलंद हो गए थे। लेकिन जब से योगी सरकार ने अपराधियों पर कठोर कार्यवाई करनी शुरू की है, अपराधी यहां से लापता हो गए हैं। अब उनके जैसे व्यापारी बहुत सहजता से व्यापार कर पा रहे हैं।
गाजियाबाद के विजय नगर के रहने वाले वैभव शर्मा (30 वर्ष) एक व्यापारी हैं। वर्ष 2015 में उनके एक करीबी के यहां लूट की एक बड़ी वारदात को अंजाम दिया गया था। वैभव शर्मा बताते हैं कि कुछ समय पहले गाजियाबाद और नोएडा सहित पश्चिमी उत्तर प्रदेश के ज्यादातर इलाकों में आए दिन लूटपाट, छेड़छाड़ और फायरिंग की घटनाएं होती थीं। लेकिन जब से योगी सरकार ने अपराधियों पर कड़ी कार्रवाई करनी शुरू की है, इस तरह की घटनाएं बेहद कम हो गई हैं। उनके जैसे व्यापारियों से अब रंगदारी की मांग नहीं की जाती है और यह पूरे व्यापारी वर्ग और क्षेत्र के आम लोगों के लिए बहुत राह की खबर है। उन्होंने बताया कि उनके जैसे लाखों व्यापारियों के लिए सुरक्षा का मुद्दा बेहद अहम है।
सुरक्षा बड़ा मुद्दा बन रहा
राजनीतिक विश्लेषक सुनील पांडे कहते हैं कि यह बात आश्चर्यजनक लग सकती है, लेकिन यह सही है कि यूपी चुनाव में सुरक्षा का मुद्दा बेहद गंभीर होता जा रहा है। कुछ विशेष कारणों से पश्चिमी उत्तर प्रदेश में यह ज्यादा गंभीर दिखाई पड़ता है। हैरानी की बात है कि भाजपा के सत्ता में होने के बाद भी अपराधीकरण को अखिलेश यादव और सपा से जोड़कर देखा जा रहा है, जबकि इसका पहला शिकार सत्तारूढ़ दल ही होते हैं। जबकि भाजपा सरकार में ही इसी क्षेत्र में हाथरस कांड जैसी बड़ी आपराधिक घटना घट चुकी है। इसका बड़ा कारण योगी आदित्यनाथ सरकार के द्वारा गुंडे और अपराधियों के खिलाफ की सख्त कार्रवाई करना हो सकता है।
उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ ने जिस तरह अपराधियों के ताबड़तोड़ एनकाउंटर किए हैं, उससे अपराध को लेकर जनता के बीच उनकी छवि बहुत मजबूत हुई है और इस चुनाव में भाजपा को इसका लाभ मिलता दिखाई पड़ रहा है। हालांकि, इसी मामले का एक पक्ष यह भी है कि अपराधियों को अवसर देने के मामले में दोनों ही दल एक पायदान पर खड़े हैं। हाल ही में जारी एडीआर की रिपोर्ट बताती है कि अपराधियों को टिकट देने के मामले में सपा और भाजपा लगभग बराबर हैं। कोई भी अपने आप को पाक साफ होने का दावा नहीं कर सकता।
हाथरस पर चुप क्यों
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता आईपी सिंह ने कहा कि महंगाई और बेरोजगारी के जैसे गंभीर मुद्दों से भागने के लिए भाजपा पूरी रणनीति के साथ सुरक्षा का मुद्दा उछाल रही है। किसानों की गंभीर समस्या को उसने नजरअंदाज किया है। लखीमपुर में केंद्र सरकार के एक मंत्री के ही इशारे पर किसानों की जीप से कुचल कर हत्या की गई और अब तक उस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है। इससे किसान और जाट समुदाय उससे नाराज है। क्योंकि उसके पास इन गंभीर समस्याओं के लिए कोई ठोस जवाब नहीं हैं, वह मतदाताओं को भ्रम में डालने के लिए सुरक्षा और सांप्रदायिक मुद्दों को हवा दे रही है। लेकिन उत्तर प्रदेश की जनता भाजपा की इस चाल को बखूबी समझती है और वह इन मुद्दों के जाल में नहीं फंसेगी।
सपा नेता ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के समय में ही हाथरस, फाफामऊ और आगरा में दलित महिलाओं युवकों के साथ गंभीर अत्याचार हुए हैं और गोरखपुर में प्रदेश की पुलिस द्वारा ही एक व्यवसाई को मौत के घाट उतार दिया गया। उन्होंने कहा कि जब प्रधानमंत्री सुरक्षा के मुद्दे पर दूसरी पार्टियों पर उंगली उठाते हैं, उन्हें साथ ही इन मुद्दों पर भी जवाब दे देना चाहिए कि उनकी सरकार ने अब तक इन मुद्दों पर क्या कार्रवाई की।
विस्तार
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा सुरक्षा का मुद्दा खूब जोरशोर से उठा रही है। प्रधानमंत्री मोदी ने दूसरे वर्चुअल चुनाव प्रचार में समाजवादी पार्टी को ‘माफियावादी’ पार्टी करार देकर इस मामले को और हवा दे दी। इसके पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और गृह मंत्री अमित शाह लगातार सुरक्षा के मुद्दे पर बोल रहे हैं। वे सपा को इसी मुद्दे पर घेरने की कोशिश कर रहे हैं। वहीं, सपा भी पलटवार करते हुए हाथरस और गोरखपुर कांड के सहारे भाजपा पर लोगों की सुरक्षा न कर पाने के आरोप लगा रही है। ऐसे में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में सुरक्षा का मुद्दा कितना अहम भूमिका निभा सकता है?
सिहानी गेट गाजियाबाद व्यापार मंडल के अध्यक्ष राजीव अग्रवाल ने अमर उजाला को बताया कि 2012 से 2017 के दौरान व्यापारियों का अपराधियों के द्वारा बहुत उत्पीड़न किया जाता था। आए दिन उनसे रंगदारी वसूली जाती थी। अपराध की शिकायत करने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं होती थी। इससे व्यापारी डरे सहमे रहते थे, जबकि अपराधियों के हौसले बुलंद हो गए थे। लेकिन जब से योगी सरकार ने अपराधियों पर कठोर कार्यवाई करनी शुरू की है, अपराधी यहां से लापता हो गए हैं। अब उनके जैसे व्यापारी बहुत सहजता से व्यापार कर पा रहे हैं।
गाजियाबाद के विजय नगर के रहने वाले वैभव शर्मा (30 वर्ष) एक व्यापारी हैं। वर्ष 2015 में उनके एक करीबी के यहां लूट की एक बड़ी वारदात को अंजाम दिया गया था। वैभव शर्मा बताते हैं कि कुछ समय पहले गाजियाबाद और नोएडा सहित पश्चिमी उत्तर प्रदेश के ज्यादातर इलाकों में आए दिन लूटपाट, छेड़छाड़ और फायरिंग की घटनाएं होती थीं। लेकिन जब से योगी सरकार ने अपराधियों पर कड़ी कार्रवाई करनी शुरू की है, इस तरह की घटनाएं बेहद कम हो गई हैं। उनके जैसे व्यापारियों से अब रंगदारी की मांग नहीं की जाती है और यह पूरे व्यापारी वर्ग और क्षेत्र के आम लोगों के लिए बहुत राह की खबर है। उन्होंने बताया कि उनके जैसे लाखों व्यापारियों के लिए सुरक्षा का मुद्दा बेहद अहम है।
सुरक्षा बड़ा मुद्दा बन रहा
राजनीतिक विश्लेषक सुनील पांडे कहते हैं कि यह बात आश्चर्यजनक लग सकती है, लेकिन यह सही है कि यूपी चुनाव में सुरक्षा का मुद्दा बेहद गंभीर होता जा रहा है। कुछ विशेष कारणों से पश्चिमी उत्तर प्रदेश में यह ज्यादा गंभीर दिखाई पड़ता है। हैरानी की बात है कि भाजपा के सत्ता में होने के बाद भी अपराधीकरण को अखिलेश यादव और सपा से जोड़कर देखा जा रहा है, जबकि इसका पहला शिकार सत्तारूढ़ दल ही होते हैं। जबकि भाजपा सरकार में ही इसी क्षेत्र में हाथरस कांड जैसी बड़ी आपराधिक घटना घट चुकी है। इसका बड़ा कारण योगी आदित्यनाथ सरकार के द्वारा गुंडे और अपराधियों के खिलाफ की सख्त कार्रवाई करना हो सकता है।
उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ ने जिस तरह अपराधियों के ताबड़तोड़ एनकाउंटर किए हैं, उससे अपराध को लेकर जनता के बीच उनकी छवि बहुत मजबूत हुई है और इस चुनाव में भाजपा को इसका लाभ मिलता दिखाई पड़ रहा है। हालांकि, इसी मामले का एक पक्ष यह भी है कि अपराधियों को अवसर देने के मामले में दोनों ही दल एक पायदान पर खड़े हैं। हाल ही में जारी एडीआर की रिपोर्ट बताती है कि अपराधियों को टिकट देने के मामले में सपा और भाजपा लगभग बराबर हैं। कोई भी अपने आप को पाक साफ होने का दावा नहीं कर सकता।
हाथरस पर चुप क्यों
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता आईपी सिंह ने कहा कि महंगाई और बेरोजगारी के जैसे गंभीर मुद्दों से भागने के लिए भाजपा पूरी रणनीति के साथ सुरक्षा का मुद्दा उछाल रही है। किसानों की गंभीर समस्या को उसने नजरअंदाज किया है। लखीमपुर में केंद्र सरकार के एक मंत्री के ही इशारे पर किसानों की जीप से कुचल कर हत्या की गई और अब तक उस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है। इससे किसान और जाट समुदाय उससे नाराज है। क्योंकि उसके पास इन गंभीर समस्याओं के लिए कोई ठोस जवाब नहीं हैं, वह मतदाताओं को भ्रम में डालने के लिए सुरक्षा और सांप्रदायिक मुद्दों को हवा दे रही है। लेकिन उत्तर प्रदेश की जनता भाजपा की इस चाल को बखूबी समझती है और वह इन मुद्दों के जाल में नहीं फंसेगी।
सपा नेता ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के समय में ही हाथरस, फाफामऊ और आगरा में दलित महिलाओं युवकों के साथ गंभीर अत्याचार हुए हैं और गोरखपुर में प्रदेश की पुलिस द्वारा ही एक व्यवसाई को मौत के घाट उतार दिया गया। उन्होंने कहा कि जब प्रधानमंत्री सुरक्षा के मुद्दे पर दूसरी पार्टियों पर उंगली उठाते हैं, उन्हें साथ ही इन मुद्दों पर भी जवाब दे देना चाहिए कि उनकी सरकार ने अब तक इन मुद्दों पर क्या कार्रवाई की।
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