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सार
यूपी के इटावा जिले में जसवंतनगर सीट से रिकॉर्ड जीत के बावजूद शिवपाल ने जश्न नहीं मनाया। साथ ही पार्टी के कार्यकर्ताओं ने भी खुशी नहीं मनाई।
इटावा जिले के जसवंतनगर विधानसभा क्षेत्र में अपने चहेते नेता की बड़ी जीत के बावजूद जसवंतनगर में कोई जश्न नहीं मनाया गया। समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं और नेताओं ने कोई खुशी नहीं मनाई। भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं ने भी यहां किसी तरह की कोई खुशी नहीं मनाई।
इसकी वजह जसवंतनगर के सात युवाओं की मौत को बताया जा रहा है। सपा व भाजपा कार्यकर्ताओं ने खुशी नहीं मनाई। न ही मिठाई बांटी। कस्बे के संभ्रांत व्यक्तियों ने सपा-बसपा कार्यकर्ताओं की सराहना की है। क्षेत्र में बाजार बंद रहा। यहां बस स्टैंड चौराहा, छोटा चौराहा, बड़ा चौराहा, नदी का पुल, रेलवे स्टेशन आदि स्थानों पर पुलिस की भारी व्यवस्था देखी गई।
विलाप करते रहे परिजन, छाया रहा शोक
जिन घरों ने अपने नौनिहालों को खोया, उन घरों और आसपास के मोहल्लों में तक में शोक छाया रहा। परिजन दूसरे दिन भी विलाप करते रहे। लोग आज भी उनके घरों में शोक संवेदना जताने पहुंचते रहे। इस वजह से जसवंतनगर में न तो मतगणना के लिए कोई कौतूहल था, न ही जीत पर कोई खुशी थी और न ही हार पर कोई रंज।
इटावा सदर सीट पर हुआ टी-20 की तरह मुकाबला
सदर सीट पर भाजपा और समाजवादी पार्टी प्रत्याशी के बीच बेहद कड़ा मुकाबला रहा। जिस तरह टी-20 क्रिकेट मुकाबलों में हर गेंद पर मैच का कांटा बदलता रहता है, उसी तरह पलड़ा कभी इधर तो कभी उधर भारी होता रहा। हालांकि ज्यादातर समय सपा के प्रत्याशी सर्वेश शाक्य आगे रहे लेकिन वे किसी भी राउंड में निर्णायक बढ़त नहीं ले सके। अंतिम दौर में सरिता ने मुकाबले को अपने पक्ष में कर लिया।
समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी ने पहले ही चक्र से बढ़त बना ली थी। पहले चक्र में सपा को 3950 और भाजपा को 2334 वोट मिले। समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी की ये बढ़त 12वें चक्र तक जारी रही। हालांकि सातवें चक्र में सपा को अच्छी-खासी बढ़त मिल गई थी।
इस चक्र तक सपा प्रत्याशी को 23,031 वोट मिल चुके थे और भाजपा को 17,765 वोट मिले। सातवें चक्र के बाद से भाजपा प्रत्याशी ने वोटों के अंतर को कम करना शुरू कर दिया और 13वें चक्र में आकर बढ़त बना ली। 13वें चक्र में भाजपा प्रत्याशी के 39,129 वोट थे और सपा प्रत्याशी के 38,779 वोट।
भाजपा प्रत्याशी की यह बढ़त 17वें चक्र तक बरकरार रही। 18वें चक्र में सपा फिर आगे निकल गई। इस चक्र में सपा को 55,409 और भाजपा को 55,100 वोट मिल चुके थे। इसके बाद सपा प्रत्याशी के वोटों का अंतर बढ़ता गया। सपा की यह बढ़त 27वें चक्र तक बनी रही। इसके बाद 28वें चक्र में भाजपा ने फिर बढ़त बना ली। 28वें चक्र के बाद भाजपा और सपा में कड़ा मुकाबला चलता रहा लेकिन भाजपा ने आखिरी के चार चक्र में अपनी बढ़त को बरकरार रखते हुए जीत हासिल कर ली।
देर से मनाया गया जश्न
प्रदेश में भाजपा जीत रही थी, लेकिन इटावा जिले की तीनों सीटों पर भाजपा पिछड़ रही थी। इसलिए भाजपाई जश्न मनाने नहीं निकले। इसके अलावा सपा जिले में जीत रही थी और प्रदेश में हार रही थी। इसलिए समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने जश्न नहीं मनाया।
जैसे ही सरिता भदौरिया ने 28वें चक्र से बढ़त बनानी शुरू की, उसी समय उन्हें लग गया कि अब उनकी जीत पक्की है। आखिरी में बढ़पुरा, पारपट्टी क्षेत्र के ही वोट खुलने थे। अंतिम चक्र में उनके वोटों का अंतर जैसे-जैसे बढ़ा, भाजपा नेताओं, कार्यकर्ताओं और सरिता समर्थकों ने जीत का जश्न मनाना शुरू कर दिया।
विस्तार
इटावा जिले के जसवंतनगर विधानसभा क्षेत्र में अपने चहेते नेता की बड़ी जीत के बावजूद जसवंतनगर में कोई जश्न नहीं मनाया गया। समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं और नेताओं ने कोई खुशी नहीं मनाई। भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं ने भी यहां किसी तरह की कोई खुशी नहीं मनाई।
इसकी वजह जसवंतनगर के सात युवाओं की मौत को बताया जा रहा है। सपा व भाजपा कार्यकर्ताओं ने खुशी नहीं मनाई। न ही मिठाई बांटी। कस्बे के संभ्रांत व्यक्तियों ने सपा-बसपा कार्यकर्ताओं की सराहना की है। क्षेत्र में बाजार बंद रहा। यहां बस स्टैंड चौराहा, छोटा चौराहा, बड़ा चौराहा, नदी का पुल, रेलवे स्टेशन आदि स्थानों पर पुलिस की भारी व्यवस्था देखी गई।
विलाप करते रहे परिजन, छाया रहा शोक
जिन घरों ने अपने नौनिहालों को खोया, उन घरों और आसपास के मोहल्लों में तक में शोक छाया रहा। परिजन दूसरे दिन भी विलाप करते रहे। लोग आज भी उनके घरों में शोक संवेदना जताने पहुंचते रहे। इस वजह से जसवंतनगर में न तो मतगणना के लिए कोई कौतूहल था, न ही जीत पर कोई खुशी थी और न ही हार पर कोई रंज।
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