UP Election Result 2022: जीत कर भी ‘हार’ गए अखिलेश यादव, मुलायम के गढ़ में लगाई भाजपा ने सेंध

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नीलेश शर्मा, अमर उजाला मैनपुरी
Published by: धीरेन्द्र सिंह
Updated Fri, 11 Mar 2022 12:09 AM IST

सार

मैनपुरी जिले के इतिहास में  सपा मुखिया अखिलेश यादव ने करहल विधानसभा से अब तक की सबसे बड़ी जीत दर्ज की है। इस बात की खुशी जरूर है, लेकिन भाजपा ने जिस तरह जिले की दो सीटों को जीता है, उससे बड़ी निराशा भी है।
 

एसपी सिंह बघेल, पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव

एसपी सिंह बघेल, पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव
– फोटो : अमर उजाला

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विस्तार

जीत और हार एक सिक्के के दो पहलू हैं, चुनाव में सिर्फ एक प्रत्याशी ही जीतता है। अखिलेश यादव ने पिता मुलायम सिंह यादव की कर्मभूमि करहल से जीत तो दर्ज की, लेकिन फिर भी वह प्रदेश में हार गए। सपा मुलायम के गढ़ को भी नहीं बचा सकी। 2022 में भाजपा ने मुलायम के गढ़ में सेंध लगाकर दो सीटों को भगवा रंग में रंग दिया।

सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने मैनपुरी जिले के इतिहास में विधानसभा चुनाव में अब तक की सबसे बड़ी जीत दर्ज की है। करहल विधानसभा सीट से उन्होंने 67504 मतों से जीत दर्ज। उन्हें कुल 148196 वोट मिले। हालांकि वह मुख्यमंत्री पद पर हार गए। इसकी टीस सैफई परिवार से लेकर सपा नेताओं और कार्यकर्ताओं में साफ दिखी। अखिलेश यादव अपने पिता सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव की विरासत यानि उनके गढ़ मैनपुरी को भी नहीं बचा सके। 2017 में भाजपा ने जिले की भोगांव विधानसभा सीट जीतकर सपा के गढ़ में सेंध लगाई थी। 2022 के चुनाव में भोगांव के साथ ही भाजपाइयों ने सदर सीट पर भी भगवा फहरा दिया। 

किसको चुनेंगे अखिलेश

विधानसभा चुनाव के परिणाम सपा के पक्ष में नहीं आए हैं। प्रदेश में एक बार फिर भाजपा सरकार बनेगी। सपा प्रमुख अखिलेश यादव आजमगढ़ से सांसद हैं। वहीं उन्हें करहल विधानसभा सीट पर भी जीत मिली है। उनकी जीत के साथ ही मैनपुरी की करहल सीट पर उपचुनाव की अटकलें तेज हो गई हैं। राजनीतिक पंड़ितों का कहना है कि अखिलेश यादव संसद की सदस्यता से इस्तीफा नहीं देंगे। इसका मतलब है कि वह करहल विधानसभा सीट छोड़ देंगे। अगर ऐसा हुआ तो करहल सीट पर उपचुनाव होगा। 

शेर सुनाकर चले गए बघेल 

पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के खिलाफ भाजपा ने केंद्रीय कानून राज्यमंत्री को उतारकर चुनाव को रोचक बना दिया था। उनके आने के बाद मुलायम सिंह यादव के साथ ही सैफई परिवार को चुनाव मैदान में उतरना पड़ा। बघेल भले ही करहल सीट पर चुनाव हार गए हैं, लेकिन पार्टी का उन्हें मैदान में उतारने का फार्मूला सफल रहा। उनके आने से ओबीसी और दलित वोट भाजपा से साथ आया। नवीन मंडी में चुनाव परिणाम विपरीत देखकर बघेल ‘कातिल बहुत जलील हुआ मेरा सिर उतारकर, हमने दिलों को जीत लिया जंग हारकर….’ शेर सुनाकर गिनती बीच में ही छोड़कर चले गए।

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