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उत्तर प्रदेश में आयुर्वेदिक कॉलेजों में दाखिले में हेराफेरी सामने आने के बाद यूनानी व होम्योपैथिक कॉलेजों की भी जांच होगी क्योंकि तीनों विधा के कॉलेजों में दाखिले की काउंसिलिंग एक साथ होती है। पूरा खेल उजागर होने से काउंसिलिंग की ऑनलाइन प्रक्रिया भी सवालों के घेरे में है।
नीट 2021 के तहत प्रदेश के आयुर्वेद के सरकारी क्षेत्र के 12 कॉलेजों में 502 और निजी क्षेत्र के 58 कॉलेजों की 5010 सीट पर बीएमएस में दाखिला दिया गया है। इस तरह कुल 5512 सीटों में अब तक करीब तीन हजार सीटों की जांच में एक हजार से अधिक छात्र संदिग्ध मिले हैं। अन्य सीटों की जांच चल रही है। इसी तरह यूनानी के सरकारी क्षेत्र के दो कॉलेजों में 128 और निजी क्षेत्र के 18 कॉलेजों में 670 सीटों पर बीयूएमएस और होम्योपैथिक के सरकारी क्षेत्र के 9 कॉलेजों में 828 एवं निजी क्षेत्र के चार कॉलेजों में 200 सीटों पर बीएचएमस में दाखिला दिया गया है। अब इन सभी सीटों की भी जांच की तैयारी है। क्योंकि काउंसिलिंग तीनों विधा की एक ही एजेंसी ने कराई है।
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मामला खुलने के बाद से ही काउंसिलिंग कराने वाली एजेंसी के कर्मचारी भी गायब बताए जा रहे हैं। विभाग के बाद एजेंसी से जुड़े जितने भी मोबाइल नंबर हैं, सभी बंद हैं। ऐसे में विभागीय अधिकारियों ने एफआईआर दर्ज कराने के लिए तहरीर दे दी है। दूसरी तरफ यह भी पता किया जा रहा है कि इस एजेंसी ने अब तक कितनी परीक्षाओं की काउंसिलिंग कराई है।
काउंसिलिंग डाटा तैयार करने में हुआ खेल
आयुर्वेदिक कॉलेजों में दाखिले में हुए खेल में प्रथमदृष्टया काउंसिलिंग डाटा तैयार करने में खेल हुआ है। इसके पीछे बड़े रैकेट का हाथ होने से इनकार नहीं किया जा रहा है। क्योंकि जिन छात्रों का नाम हटाकर यह खेल हुआ है, उसमें कई दूसरे राज्य के भी हैं। सूत्रों का कहना है कि ऑनलाइन पंजीयन के बाद सीट च्वॉइस भरी गई। फिर मेरिट लिस्ट जारी हुई। सीट आवंटन के दौरान दूसरे राज्य के जो छात्र यहां नहीं आए, उनके नाम, अनुक्रमांक में हेराफेरी कर मनमाफिक छात्र को कॉलेज अलॉट कर दिया गया। काउंसिलिंग से मिले अलॉटमेंट लेटर के आधार पर छात्र ने संबंधित कॉलेज में दाखिला ले लिया। कॉलेज में जाने के बाद सभी पत्रावलियां जमा कराई जाती हैं। यहां मेरिट सूची का सत्यापन करने के बजाय सीधे अलॉटमेंट लेटर से दाखिला दे दिया गया।
निगरानी कमेटी की भूमिका पर भी उठ रहे सवाल
दाखिले के लिए काउंसिलिंग आयुर्वेद निदेशालय ने कराई थी। इसके लिए निदेशालय स्तर पर कमेटी बनी थी, जिसमें शासन के अधिकारियों के साथ ही निदेशक एवं अन्य लोग शामिल थे। इन सभी की निगरानी की जिम्मेदारी थी। शासन स्तर के अधिकारियों के कमेटी में शामिल होने के बाद भी इस तरह के खेल ने ऑनलाइन काउंसिलिंग की व्यवस्था पर सवाल उठा दिए हैं। अब तक दावा किया जाता है कि इसमें किसी तरह की हेरफेर की गुंजाइश नहीं है, लेकिन आयुर्वेदिक कॉलेजों के मामले ने इस दावे की पोल खोल दी है। क्योंकि प्रदेश में मेडिकल, इंजीनियरिंग सहित अन्य विधाओं में भी ऑनलाइन काउंसिलिंग से ही दाखिला दिया जा रहा है।
आयुष मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. दयाशंकर मिश्र दयालु का कहना है कि सभी आयुष कॉलेजों की जांच कर दाखिले की वस्तुस्थिति की रिपोर्ट तैयार की जाएगी। रिपोर्ट से मुख्यमंत्री एवं आयुष मंत्रालय को भी अवगत कराया जाएगा।
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