वाराणसी में अस्तित्व खो चुकी वरुणा नदी का पुनरोद्धार होगा। इस कार्य में डेनमार्क सरकार सहयोग करेगी। पिछले मंगलवार को दिल्ली स्थित डेनमार्क के दूतावास के प्रतिनिधियों संग केंद्रीय जल आयोग के अफसरों ने वर्चुअल बैठक कर कार्यों की रूपरेखा तैयार की। दरअसल पिछले साल भारत और डेनमार्क के बीच इस मुद्दे पर आपसी समझौता हुआ था। समझौते के तहत डेनमार्क सरकार के सहयोग से उत्तर प्रदेश की कुल 24 छोटी नदियों का पुनरोद्धार होना है। इसमें वाराणसी की वरुणा नदी भी शामिल है। बैठक में यह तय हुआ कि नदियों के पुनरोद्धार कार्य में किसी विश्वविद्यालय या संस्थानों में स्थापित प्रयोगशाला का इस्तेमाल नहीं होगा। इसके लिए कार्यस्थल पर ही लिविंग लैब बनाए जाएंगे। इसका मकसद दुनिया की नदियों को स्वच्छ रखने के लिए किए जा रहे प्रयासों के क्रम में भारत की नदियों को भी साफ कर वैश्विक स्तर पर शामिल करना है। बैठक में हुई चर्चा के अनुसार केंद्रीय जल आयोग और आईआईटी बीएचयू और मनरेगा मिलकर कार्य करेंगे। आईआईटी बीएचयू ‘नॉलेज पार्टनर’ की भूमिका निभाएगा। बैठक में रूपरेखा तय होने के बाद अब इसकी कार्ययोजना तैयार होगी। छह महीने के बाद इस पर काम शुरू होगा।
फिलहाल वरुणा नदी की ऐसी है स्थिति
वरुणा नदी की सफाई के लिए पहले भी कई सरकारों ने बीड़ा उठाया लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी। साल 2017 में वरुणा के किनारे करीब 200 करोड़ रुपये खर्च कर कॉरीडोर का भी निर्माण कराया गया, लेकिन उसका भी कोई खास उपयोग नहीं हो सका। वरुणा नदी के मौजूदा हालात यह हैं कि इसमें नदी किनारे स्थापित होटल और औद्योगिक इकाइयों के अपशिष्ट बहाए जा रहे हैं। जिला प्रशासन ने कई बार इस पर लगाम लगाने का प्रयास किया लेकिन असफल रहा।
बैठक में वरुणा नदी की सफाई को लेकर विस्तृत रूपरेखा तैयार करने पर चर्चा हुई। इसमें आईआईटी बीएचयू के प्रोफेसर भी शामिल थे। इसमें सभी संबंधित विभागों को कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश मिले हैं। जल्द ही इस पर काम शुरू होगा। – हिमांशु नागपाल, मुख्य विकास अधिकारी, वाराणसी।
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वाराणसी में अस्तित्व खो चुकी वरुणा नदी का पुनरोद्धार होगा। इस कार्य में डेनमार्क सरकार सहयोग करेगी। पिछले मंगलवार को दिल्ली स्थित डेनमार्क के दूतावास के प्रतिनिधियों संग केंद्रीय जल आयोग के अफसरों ने वर्चुअल बैठक कर कार्यों की रूपरेखा तैयार की।
दरअसल पिछले साल भारत और डेनमार्क के बीच इस मुद्दे पर आपसी समझौता हुआ था। समझौते के तहत डेनमार्क सरकार के सहयोग से उत्तर प्रदेश की कुल 24 छोटी नदियों का पुनरोद्धार होना है। इसमें वाराणसी की वरुणा नदी भी शामिल है। बैठक में यह तय हुआ कि नदियों के पुनरोद्धार कार्य में किसी विश्वविद्यालय या संस्थानों में स्थापित प्रयोगशाला का इस्तेमाल नहीं होगा।
इसके लिए कार्यस्थल पर ही लिविंग लैब बनाए जाएंगे। इसका मकसद दुनिया की नदियों को स्वच्छ रखने के लिए किए जा रहे प्रयासों के क्रम में भारत की नदियों को भी साफ कर वैश्विक स्तर पर शामिल करना है। बैठक में हुई चर्चा के अनुसार केंद्रीय जल आयोग और आईआईटी बीएचयू और मनरेगा मिलकर कार्य करेंगे। आईआईटी बीएचयू ‘नॉलेज पार्टनर’ की भूमिका निभाएगा। बैठक में रूपरेखा तय होने के बाद अब इसकी कार्ययोजना तैयार होगी। छह महीने के बाद इस पर काम शुरू होगा।