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विश्व अस्थमा दिवस
– फोटो : iStock
विस्तार
मई के पहले मंगलवार को प्रतिवर्ष विश्व अस्थमा दिवस मनाया जाता है। इसका मकसद अस्थमा के प्रति लोगों को जागरूक करना है। आधुनिकीकरण-औद्योगिकीकरण के दौर में प्रदूषण व मिलावटी खानपान के चलते 40 फीसदी लोगों को अस्थमा हो रहा है। खासकर बदलते मौसम के दौरान मार्च से अप्रैल और अक्तूबर से नवंबर में इसके मरीजों की संख्या बढ़ती है। गेहूं की थ्रेसिंग से उड़ती धूल से भी इसके मरीजों में इजाफा होता है।
अस्थमा बच्चों को या फिर वृद्धावस्था में होता था। पहले जन्म के बाद जो बच्चे अस्थमा से पीडि़त हो जाते थे, उनका अस्थमा 8 से 10 साल की आयु तक पहुंचते-पहुंचते ठीक हो जाता था, लेकिन अब ऐसा नहीं है। ओल्ड एज फैक्टर भी खत्म हो गया। अब 12 से 25-30 साल की आयु में भी अस्थमा के रोगी आ रहे हैं। युवाओं में अस्थमा तेजी से बढऩे का मुख्य कारण प्रदूषण और स्मोकिंग का शौक है।
कैसे होता है अस्थमा
अस्थमा की शुरुआत नजला से होती है। नजला बढ़ने से फेफड़ों में जाकर रुक जाता है। इसके कारण फेफड़ों की नली में कफ फंस जाता है और नली बंद हो जाती हैं। फेफड़ों की नली बंद होने से सांस फूलने लगती है। इसके बाद निमोनिया हो जाता है और अटैक पडऩे लगते हैं। फेफड़े काम करना बंद कर देते हैं, मौत भी हो सकती है।
प्रदूषण का मानक
- 0-60- उत्तम हवा, सुरक्षित
- 69-99 – सामान्य
- 100-149- हल्का प्रदूषण, सांस के मरीजों के लिए सतर्कता जरूरी
- 150- 200- बेहद प्रदूषित हवा, सभी के लिए नुकसानदायक
- 201- 299 -हर किसी के स्वास्थ्य के लिए बेहद गंभीर
- 300 से ज्यादा- हानिकारक, फेफड़े, हृदय और मस्तिष्क के लिए घातक
बचाव के उपाय
- अस्थमा के मरीजों को धूल, धुंआ से बचने की जरूरत है।
- कोरोना का टीका जरूर लगवाएं।
- भीड़भाड़ में जाने से पूरी तरह से बचें।
- अगर अस्थमा की दवा या इनहेलर ले रहे हों तो डॉक्टर की सलाह के बिना न छोड़ें।
सांस की बीमारी सीजन के अनुसार घटती बढ़ती है। यह बीमारी बच्चों में अधिक 7 प्रतिशत व बड़ों में दो से तीन प्रतिशत रहती है। खांसी आने से इसकी शुरुआत होती है। फिर सांस फूलने लगती है। ज्यादा जुकाम या छींक आना भी इसके लक्षण हैं। किसी भी उम्र में ये हो सकता है। बच्चों में आठ वर्ष तक रहती है। फिर 40 के बाद आती है। इसकी तत्काल पीएफटी जांच करानी चाहिए। दवा लेनी चाहिए। मौसम बदलने और गेहूं सीजन पर यह बीमारी आती है। इसके प्रति सजग रहने की जरूरत है।-डा.राकेश भार्गव, प्रचार्या, जेएन मेडिकल कॉलेज
अस्थमा के प्रति लोगों को जागरूक रहने की जरूरत है। यह ऐसी बीमारी है, जिसका उपचार संभव है। इसलिए किसी भी तरह की परेशानी पर जांच कराएं और उपचार पाएं।-डा.नीरज त्यागी, सीएमओ
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