ताजनगरी की सड़कों के किनारे जिन पौधों को नगर निगम ने बड़े गमलों और ट्री गार्ड से सुरक्षित करके लगाया, वही अब रामभरोसे हैं। तीन साल में नगर निगम ने 28,500 पौधे ट्री गार्ड और गमलों में लगाए हैं, जिनके रखरखाव का जिम्मा भी एजेंसी को दिया है, जो तीन साल तक उनकी देखरेख, पानी, खाद देती रहेगी, लेकिन सांसें देने वाले पौधे बड़ी संख्या में नष्ट हो गए हैं। हाईवे के डिवाइडरों और सड़कों के फुटपाथ पर रखे गए गमले टूट गए, जबकि पानी और खाद न मिलने पर पौधे सूख चुके हैं।
नगर निगम ने तीन वर्षों में 28,500 पौधे लगाने पर 12.70 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। इस साल 10 करोड़ रुपये का प्रावधान बजट में किया गया है। वर्ष 2019 में निगम ने ट्री गार्ड समेत 10 हजार पौधे लगाए, जिन पर 3.47 करोड़ रुपये खर्च किए गए। वर्ष 2020 में कोरोना के कारण 1.44 करोड़ ही खर्च हुए। वर्ष 2021 में 10 हजार पौधे सीमेंटेड तिरंगे ट्री गार्ड में और 8500 पौधे बड़े गमलों में लगाए गए। इन पर निगम ने 7.78 करोड़ रुपये खर्च किए। तीन साल तक देखभाल की जिम्मेदारी एक कंपनी को दी गई। कंपनी ने न पौधों की देखरेख की, न टूटे गमले और ट्री गार्ड बदले। मानसून से पहले सूखे पौधों को बदलने और टूटे गमले हटाकर नए रखने के लिए नगर निगम ने कंपनी को 15 जून तक का नोटिस दिया है।
जिम्मेदारी और संवेदनशीलता चाहिए
पर्यावरणविद चंद्रशेखर शर्मा ने बताया कि केवल गमले और ट्री गार्ड से पौधे नहीं पनपते, उसके लिए जिम्मेदारी, संवेदनशीलता चाहिए। नगर निगम के गमले, ट्री गार्ड केवल बजट ठिकाने लगाने के लिए है। इस गर्मी में पौधों में पानी न देंगे तो वह सूखेंगे ही। अधिकारी इन सड़कों की जगह कहीं और से निकलते हैं जो सूखे पौधे देखते ही नहीं हैं।
कागजों पर हरियाली उगा रहे
पार्षद शिरोमणि सिंह ने कहा कि जो पौधे पिछले साल लगाए थे, उनका क्या हुआ। जीआईसी, कोठी मीना बाजार, अवधपुरी डिवाइडर, मारुति एस्टेट डिवाइडर में पौधे दिखते ही नहीं। जो जिम्मेदार हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं करेंगे तो अधिकारियों का हौसला तो बढ़ेगा ही। केवल कागजों पर हरियाली उगाने वाले अधिकारी ऐसे ही बजट ठिकाने लगाते रहेंगे।
जनता का पैसा बर्बाद कर रहे
नेशनल चैंबर के पूर्व अध्यक्ष मनीष अग्रवाल ने कहा कि जो पौधे ट्री गार्ड में लगे हैं, उन्हें तो पनपना चाहिए। इसके लिए करोड़ों रुपये खर्च हो रहे हैं, अगर वही न बच रहे तो फिर जनता का पैसा बर्बाद क्यों किया जा रहा है। इसका ऑडिट हो कि जितना पैसा खर्च हो रहा है, उसके मुताबिक पौधे तो बचें।
दावा : सूखे पौधे और टूटे गमले बदलेंगे
नगर आयुक्त निखिल टी. फुंडे ने कहा कि गमलों और सीमेंटेड ट्री गार्ड में पौधों को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी तीन साल के लिए कंपनी को दी गई है। पौधे सूखने और ट्री गार्ड टूटने पर हमने कंपनी का भुगतान रोका है और जुर्माना भी लगाया है। 15 जून तक सूखे पौधे और टूटे गमलों को बदलने के लिए कहा है ताकि मानसून में वह बढ़ने लगें।
दलील : गमला खाली है तो पौधा लगा दें
मेयर नवीन जैन ने कहा कि पर्यावरण पूरे समाज की जिम्मेदारी है। मैंने 8500 गमलों को लोगों की डिमांड पर उनकी कॉलोनियों और बस्तियों में देखरेख के लिए नि:शुल्क बांटा। पौधा लगाकर दिया ताकि देखरेख करें, पर अफसोस है कि लोगों ने गमले लेकर उन्हें छोड़ दिया। जो गमले सड़कों पर लगे हैं, उनमें तो हम कंपनी से कहकर सूखे पौधे हटवाकर नए लगवा रहे हैं, लेकिन गलियों और कालोनियों में घर के सामने जो गमले खाली हैं, उनमें लोग अपनी पसंद का पौधा लाकर लगा सकते हैं। हर दिन दो बाल्टी पानी का दान दें। पर्यावरण दिवस पर संकल्प लेकर भागीदारी करें तो हरियाली दिखेगी।