दिल बहुत नाजुक है। इसे सहेजने की जरूरत है। तनाव लेकर, धूम्रपान, तंबाकू, गुटका व अल्कोहल का सेवन कर इसे चोट न पहुंचाएं। अव्यवस्थित जीवन शैली, उचित खानपान न होने से समय से पहले लोगों को दिल की बीमारी लग रही है। पहले 25 से 45 वर्ष की उम्र के करीब पांच फीसदी लोगों में ही दिल की बीमारी पाई जाती थी, अब 25 से 30 फीसदी मरीज इस आयु वर्ग के आ रहे हैं।
आगरा के एसएन मेडिकल कॉलेज के कॉर्डियोलॉजी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. बसंत कुमार गुप्ता ने बताया कि 90 फीसदी में दिल की बीमारी धूम्रपान करने, तंबाकू व गुटका खाने, अल्कोहल लेने के साथ तनावग्रस्त रहने की वजह से हो रही है। एसएन मेडिकल कॉलेज में कॉर्डियोलॉजी की ओपीडी हफ्ते में तीन लगती है, प्रत्येक ओपीडी में 50 से 60 दिल के मरीज पहुंच रहे हैं। करीब 60 फीसदी मरीज 40 से 70 वर्ष की आयु वर्ग के होते हैं।
15 से 40 वर्ष तक के मरीज भी पहुंच रहे
डॉ. बसंत कुमार गुप्ता ने बताया कि पहले 15 से 40 वर्ष के लोग हृदय रोगी नहीं होते थे। अब अत्यधिक गुस्सा, तनाव, तंबाकू, गुटखा, बीड़ी, सिगरेट के सेवन से इस आयु वर्ग में हृदयाघात की बीमारी हो रही है। मरीज लगातार सामने आ रहे हैं। इसके अलावा दिल की बीमारी जन्मजात भी होती है। पांच से छह वर्ष की उम्र में पता लग जाता है। दिल में छेद आदि समस्याएं होती हैं। उम्र बढ़ने के साथ समस्या बढ़ती जाती है।
40 के बाद जांच कराते रहना जरूरी
विशेषज्ञों के मुताबिक 40 वर्ष की उम्र होने के बाद व्यक्ति को दो वर्ष में एक बार ईसीजी, शुगर, कंपलीट ब्लड काउंट (सीबीसी) की जांच कराते रहना चाहिए। रिपोर्ट चिकित्सक को जरूर दिखाएं। रक्तचाप व शुगर की समस्या शुरूआत में पता लग जाए तो इसे एक या दो दवा से नियंत्रित किया जा सकता है।
शुरुआती स्तर पर ध्यान न देने पर यह हृदयाघात की वजह बनते हैं। लोग व्यायाम नहीं करते। व्यायाम, खेलकूद व अन्य शारीरिक गतिविधि दिल को सुरक्षित रखने के लिए जरूरी हैं। व्यायाम करने वालों को स्टेरॉयड के सेवन से बचना चाहिए। यह हड्डियों को कमजोर करने के साथ दिल की नसों को भी कमजोर करता है।
खानपान का ध्यान रखें। नमक, तेल व चिकनाई वाली चीजें कम खाएं।
प्रतिदिन व्यायाम और योग करें।
तनाव कम लें। संगीत सुनें। दोस्तों व परिवार के साथ समय बिताएं।
सभी प्रकार के नशे से दूरी बनाएं।
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दिल बहुत नाजुक है। इसे सहेजने की जरूरत है। तनाव लेकर, धूम्रपान, तंबाकू, गुटका व अल्कोहल का सेवन कर इसे चोट न पहुंचाएं। अव्यवस्थित जीवन शैली, उचित खानपान न होने से समय से पहले लोगों को दिल की बीमारी लग रही है। पहले 25 से 45 वर्ष की उम्र के करीब पांच फीसदी लोगों में ही दिल की बीमारी पाई जाती थी, अब 25 से 30 फीसदी मरीज इस आयु वर्ग के आ रहे हैं।
आगरा के एसएन मेडिकल कॉलेज के कॉर्डियोलॉजी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. बसंत कुमार गुप्ता ने बताया कि 90 फीसदी में दिल की बीमारी धूम्रपान करने, तंबाकू व गुटका खाने, अल्कोहल लेने के साथ तनावग्रस्त रहने की वजह से हो रही है। एसएन मेडिकल कॉलेज में कॉर्डियोलॉजी की ओपीडी हफ्ते में तीन लगती है, प्रत्येक ओपीडी में 50 से 60 दिल के मरीज पहुंच रहे हैं। करीब 60 फीसदी मरीज 40 से 70 वर्ष की आयु वर्ग के होते हैं।
15 से 40 वर्ष तक के मरीज भी पहुंच रहे
डॉ. बसंत कुमार गुप्ता ने बताया कि पहले 15 से 40 वर्ष के लोग हृदय रोगी नहीं होते थे। अब अत्यधिक गुस्सा, तनाव, तंबाकू, गुटखा, बीड़ी, सिगरेट के सेवन से इस आयु वर्ग में हृदयाघात की बीमारी हो रही है। मरीज लगातार सामने आ रहे हैं। इसके अलावा दिल की बीमारी जन्मजात भी होती है। पांच से छह वर्ष की उम्र में पता लग जाता है। दिल में छेद आदि समस्याएं होती हैं। उम्र बढ़ने के साथ समस्या बढ़ती जाती है।