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आगरा में बारिश के कारण सड़कों, कॉलोनियों और खाली जगहों पर जलभराव हो रहा है, जिससे सांप, गोह व अन्य सरीसृप जीव घरों में घुस रहे हैं। ये जीव जूते, शौचालय, कार, बाइक आदि कहीं भी छिपे हो सकते हैं। ऐसे में सावधानी बरतने की जरूरत है। वाइल्डलाइफ एसओएस की टीम ने पिछले तीन दिनों में 24 सरीसृप जीवों का रेस्क्यू किया है। टीम ने आगरा के कालिंदी विहार में घर के शौचालय और दयालबाग के मकान के एयर कंडीशनर में छिपे सांपों को बाहर निकाला। एक सांप साइकिल के हैंडलबार पर मिला। दो बड़ी मॉनिटर लिजर्ड (गोह), इनमें एक चार फीट लंबी गोह राधा नगर बल्केश्वर में नाले से और दूसरी रामबाग में स्थित कागज के दोने बनाने वाली फैक्टरी में मिली। इसके अलावा मथुरा के गांव शहजादपुर में एक सांप जूते में छिपा पाया। इन जगहों से सांप और गोहों को सफलतापूर्वक पकड़कर वाइल्डलाइफ एसओएस की टीम ने जंगल में छोड़ दिया।
मानसून के दस्तक देते ही वाइल्डलाइफ एसओएस रैपिड रिस्पांस यूनिट अलर्ट पर आ चुकी है, क्योंकि बिलों और गड्ढों में पानी भरने के साथ ही विभिन्न सरीसृप जीव शहरी क्षेत्र में आश्रय लेने के लिए जंगल से बाहर निकलते हैं। वन्यजीव संरक्षण एनजीओ की हेल्पलाइन पर लगातार सांप और गोह से जुड़ी कॉल्स आ रही हैं, जिनमें से कुछ जीव तो काफी अप्रत्याशित जगहों पर देखे गए हैं।
वाइल्डलाइफ एसओएस रैपिड रिस्पांस यूनिट ने पिछले 72 घंटे में कुल नौ मॉनिटर लिज़र्ड (गोह), पांच भारतीय रैट स्नेक, तीन चेकर्ड कीलबैक, तीन कोबरा, तीन इंडियन वुल्फ स्नेक, एक ब्लैक हेडेड रॉयल स्नेक और एक कॉमन कैट स्नेक का सुरक्षित रूप से रेस्क्यू किया है।
वाइल्डलाइफ एसओएस के सह-संस्थापक और सीईओ कार्तिक सत्यनारायण ने बताया कि बारिश के मौसम में सांपों और गोह के आश्रयों में पानी भर जाता है, इसलिए वे सुरक्षित और सूखे स्थानों की तलाश में बाहर निकलते हैं। अनजाने में इमारतों और घरों में प्रवेश कर जाते हैं। इसके अलावा, मानसून मेंढकों के प्रजनन का मौसम भी है, जो सांपों के लिए एक आम शिकार है।
वाइल्डलाइफ एसओएस के डायरेक्टर कंजर्वेशन प्रोजेक्ट्स बैजूराज एम.वी ने कहा कि बारिश के मौसम में सरीसृप देखे जाने की अधिकतम कॉल प्राप्त होती हैं। कभी-कभी हमारी टीम एक दिन में 6-8 सरीसृपों का रेस्क्यू करती हैं। ऐसे मामलों में लोग हमारी हेल्पलाइन पर कॉल कर सही निर्णय ले रहे हैं।
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