अमेरिकन केसर की खेती की

0
22

[ad_1]

ख़बर सुनें

फतेहपुर चौरासी। कुछ कर गुजरने की चाहत हो तो विपरीत परिस्थितियों को भी अनुकूल किया जा सकता है। कुछ ऐसा ही कर दिखाया है ब्लाक क्षेत्र के गांव मनिकापुर निवासी किसान खजान सिंह ने। जानकारों के मौसम प्रतिकूल होने की बात कहने पर भी उन्होंने क्षेत्र में पहली बार अमेरिकन केसर की खेती की है। फसल में कलियां आते देखकर वह अन्य किसानों को भी इसकी प्रेरणा दे रहे हैं।
खजान सिंह ने 30 अक्तूबर 2021 को 17 बिसवा में अमेरिकन केसर की बुवाई की थी। छह माह में तैयार होने वाली केसर की फसल में अब कलियां आने लगी हैं। खजान ने बताया कि वह जून 2021 में ससुराल ग्राम लसड़ा जिला बांदा गए थे। वहां साले मनमोहन सिंह ने मित्र रज्जन निवासी पड़ोहरा से मुलाकात कराई। रज्जन ने उन्हें अमेरिकन केसर की खेती की जानकारी दी।
इसके बाद खजान सिंह ने 600 ग्राम बीज 35 हजार रुपये में खरीदकर बुवाई की। उन्होंने बताया कि रज्जन तीन साल से इसकी खेती कर रहे हैं। उन्होंने पिछले साल एक बीघा में करीब पांच किग्रा केसर का उत्पादन कर 1.30 लाख रुपये प्रति किग्रा की दर से दिल्ली में केसर बेचा था। खजान ने बताया कि केसर के पेड़ को केवल बकरियां खाती हैं, फिर भी मवेशियों से फसल को बचाना जरूरी है। (संवाद)
भूमि में नमी जरूरी
खजान सिंह ने बताया कि केसर की फसल के लिए भूमि में नमी जरूरी है। खेत में खरपतवार न हो इसलिए दो बार निराई करें। खाद का प्रयोग नहीं करना चाहिए। फसल में दैहिया रोग लगता है, जिसका समय से उपचार कराना जरूरी है। उन्होंने बताया कि 15 दिन में कलियां खिल जाएंगी। उसके बाद फूल सहित केसर निकालकर पंखुड़ियों को अलग कर छांव में केसर सुखाकर तैयार करेंगे। बताया कि केसर 70 हजार रुपये से लेकर 1.60 लाख रुपये प्रति किलो तक में बिकता है।
गंजमुरादाबाद में किसान ने उगाया था जंगली केसर
अभी फतेहपुर चौरासी में अमेरिकन केसर की खेती होने की जानकारी नहीं है। वैसे कुछ समय पूर्व गंजमुरादाबाद में एक किसान ने इसकी खेती करने की बात कही थी। हालांकि उसकी केसर जंगली प्रकार की थी। उसमें स्वाद और सुगंध नहीं थी। जिस कारण उसकी बिक्री करने में काफी मुश्किलें आईं थीं। जिले का तापमान केसर की खेती के अनुकूल नहीं है।
डॉ. सुनील कुमार, जिला उद्यान अधिकारी।

यह भी पढ़ें -  Unnao News: सड़क घेरकर खड़े डंपर में भिड़ा ट्रक, चालक व मालिक की मौत

फतेहपुर चौरासी। कुछ कर गुजरने की चाहत हो तो विपरीत परिस्थितियों को भी अनुकूल किया जा सकता है। कुछ ऐसा ही कर दिखाया है ब्लाक क्षेत्र के गांव मनिकापुर निवासी किसान खजान सिंह ने। जानकारों के मौसम प्रतिकूल होने की बात कहने पर भी उन्होंने क्षेत्र में पहली बार अमेरिकन केसर की खेती की है। फसल में कलियां आते देखकर वह अन्य किसानों को भी इसकी प्रेरणा दे रहे हैं।

खजान सिंह ने 30 अक्तूबर 2021 को 17 बिसवा में अमेरिकन केसर की बुवाई की थी। छह माह में तैयार होने वाली केसर की फसल में अब कलियां आने लगी हैं। खजान ने बताया कि वह जून 2021 में ससुराल ग्राम लसड़ा जिला बांदा गए थे। वहां साले मनमोहन सिंह ने मित्र रज्जन निवासी पड़ोहरा से मुलाकात कराई। रज्जन ने उन्हें अमेरिकन केसर की खेती की जानकारी दी।

इसके बाद खजान सिंह ने 600 ग्राम बीज 35 हजार रुपये में खरीदकर बुवाई की। उन्होंने बताया कि रज्जन तीन साल से इसकी खेती कर रहे हैं। उन्होंने पिछले साल एक बीघा में करीब पांच किग्रा केसर का उत्पादन कर 1.30 लाख रुपये प्रति किग्रा की दर से दिल्ली में केसर बेचा था। खजान ने बताया कि केसर के पेड़ को केवल बकरियां खाती हैं, फिर भी मवेशियों से फसल को बचाना जरूरी है। (संवाद)

भूमि में नमी जरूरी

खजान सिंह ने बताया कि केसर की फसल के लिए भूमि में नमी जरूरी है। खेत में खरपतवार न हो इसलिए दो बार निराई करें। खाद का प्रयोग नहीं करना चाहिए। फसल में दैहिया रोग लगता है, जिसका समय से उपचार कराना जरूरी है। उन्होंने बताया कि 15 दिन में कलियां खिल जाएंगी। उसके बाद फूल सहित केसर निकालकर पंखुड़ियों को अलग कर छांव में केसर सुखाकर तैयार करेंगे। बताया कि केसर 70 हजार रुपये से लेकर 1.60 लाख रुपये प्रति किलो तक में बिकता है।

गंजमुरादाबाद में किसान ने उगाया था जंगली केसर

अभी फतेहपुर चौरासी में अमेरिकन केसर की खेती होने की जानकारी नहीं है। वैसे कुछ समय पूर्व गंजमुरादाबाद में एक किसान ने इसकी खेती करने की बात कही थी। हालांकि उसकी केसर जंगली प्रकार की थी। उसमें स्वाद और सुगंध नहीं थी। जिस कारण उसकी बिक्री करने में काफी मुश्किलें आईं थीं। जिले का तापमान केसर की खेती के अनुकूल नहीं है।

डॉ. सुनील कुमार, जिला उद्यान अधिकारी।

[ad_2]

Source link

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here