आगरा: मुझे लगा घर नहीं पहुंच पाऊंगी…मां की याद ले आई वापस, यूक्रेन से लौटी श्रेया ने बताया आंखों देखा मंजर

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सार

बीते 48 घंटे में आगरा के पांच छात्र-छात्राएं वापस लौट आए हैं। कई छात्र-छात्राएं यूक्रेन के रोमानिया बॉर्डर पर फंसे हैं। वह आगरा में घर फोन कर माता-पिता को राह की मुश्किलें बताते हैं तो धड़कन और बढ़ जाती हैं। 

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यूक्रेन में हर दिन हालात बिगड़ रहे हैं। सोमवार को आगरा लौटी दो छात्राओं खंदारी निवासी सुरभि और शास्त्रीपुरम की श्रेया ने वहां के खराब होते हालातों के बारे में बताया। इवानो शहर से लौटी श्रेया ने बताया कि चार दिन से यूक्रेन में बमबारी हो रही थी। 400 किमी. बस से सफर कर यूक्रेन-रोमानिया के बॉर्डर पर पहुंचे। बॉर्डर से पहले 15 किमी. लंबी कतार थी। वहां लूटपाट शुरू हो गई। बॉर्डर पार नहीं करने दिया। फंसे रहे। घर लौटने की उम्मीद टूट गई थी। लगा कि कभी घर वापस नहीं पहुंच पाऊंगी, लेकिन मां की याद ने संबल दिया, मुझे वापस ले आई।

शास्त्रीपुरम निवासी श्रेया सिंह की फ्लाइट सुबह 7:30 बजे दिल्ली एयरपोर्ट पहुंची। उन्होंने बताया कि वह चार दिन तक बॉर्डर के पास फंसी रही थीं। बम धमाकों से डर लग रहा था कि कहीं हमला न हो जाए। बॉर्डर पर भगदड़ में घायल हो गईं। मां से संपर्क टूट गया। दो घंटे तक संपर्क नहीं हुआ निराशा में डूब गई थी। फिर मां से संपर्क हुआ। उनकी बातों से हिम्मत मिली। 

दो दिन तक शून्य से दस डिग्री कम तापमान में ठिठुरते रही

सुरभि सिंह यूक्रेन के टर्नोपल शहर में थीं। उन्होंने बताया कि वह दो दिन तक रोमानिया बॉर्डर के पास शून्य से दस डिग्री कम तापमान में ठिठुरती रहीं। बॉर्डर पर अन्य देशों के छात्र भी थे। एक बार तो भगदड़ मच गई। इस दौरान वह गिर गईं, पैर में चोटें आई हैं। बॉर्डर पर सैनिक हवाई फायर कर रहे थे। 
उन्होंने बताया कि पिछले दो दिन से टर्नोपल शहर में लगातार सायरन बज रहा था। रात में लाइट जलाना मना हो गया है। सभी लोग बंकर में रह रहे हैं। सुरभि एमबीबीएस चतुर्थ वर्ष की छात्रा हैं। वर्ष 2018 में यूक्रेन गई थीं। उनके पिता कृष्ण कृपाल सिंह ने बताया कि हमने प्रदेश के नोडल अधिकारी से संपर्क किया था। जिसके बाद उनकी पुत्री को भारतीय दूतावास ने संपर्क कर वहां से निकाला।

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अब तक पांच बच्चे सकुशल लौटे 

यूक्रेन में फंसे छात्रों के बारे में सूचनाएं देने के लिए शासन व जिला स्तर पर कंट्रोल रूम सक्रिय है। जिलाधिकारी प्रभु एन सिंह ने बताया कि आगरा के 39 छात्र-छात्राओं के वहां होने की जानकारी मिली थी। जिनमें पांच बच्चे सकुशल लौट आए हैं, जबकि 34 अभी फंसे हुए हैं। जिनमें एत्मादपुर के दो, फतेहाबाद के तीन, खेरागढ़ का एक, किरावली का एक, सदर तहसील क्षेत्र के 25 बच्चे शामिल हैं। 

विस्तार

यूक्रेन में हर दिन हालात बिगड़ रहे हैं। सोमवार को आगरा लौटी दो छात्राओं खंदारी निवासी सुरभि और शास्त्रीपुरम की श्रेया ने वहां के खराब होते हालातों के बारे में बताया। इवानो शहर से लौटी श्रेया ने बताया कि चार दिन से यूक्रेन में बमबारी हो रही थी। 400 किमी. बस से सफर कर यूक्रेन-रोमानिया के बॉर्डर पर पहुंचे। बॉर्डर से पहले 15 किमी. लंबी कतार थी। वहां लूटपाट शुरू हो गई। बॉर्डर पार नहीं करने दिया। फंसे रहे। घर लौटने की उम्मीद टूट गई थी। लगा कि कभी घर वापस नहीं पहुंच पाऊंगी, लेकिन मां की याद ने संबल दिया, मुझे वापस ले आई।

शास्त्रीपुरम निवासी श्रेया सिंह की फ्लाइट सुबह 7:30 बजे दिल्ली एयरपोर्ट पहुंची। उन्होंने बताया कि वह चार दिन तक बॉर्डर के पास फंसी रही थीं। बम धमाकों से डर लग रहा था कि कहीं हमला न हो जाए। बॉर्डर पर भगदड़ में घायल हो गईं। मां से संपर्क टूट गया। दो घंटे तक संपर्क नहीं हुआ निराशा में डूब गई थी। फिर मां से संपर्क हुआ। उनकी बातों से हिम्मत मिली। 

दो दिन तक शून्य से दस डिग्री कम तापमान में ठिठुरते रही

सुरभि सिंह यूक्रेन के टर्नोपल शहर में थीं। उन्होंने बताया कि वह दो दिन तक रोमानिया बॉर्डर के पास शून्य से दस डिग्री कम तापमान में ठिठुरती रहीं। बॉर्डर पर अन्य देशों के छात्र भी थे। एक बार तो भगदड़ मच गई। इस दौरान वह गिर गईं, पैर में चोटें आई हैं। बॉर्डर पर सैनिक हवाई फायर कर रहे थे। 

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