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जिला अस्पताल के डेंगू वार्ड में भर्ती बुखार पीड़ित मरीज। संवाद
– फोटो : UNNAO
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उन्नाव। जिला अस्पताल के सीएमएस डॉ. सुशील कुमार डेंगू की चपेट में आ गए हैं। एक माह में सात लोगों में डेंगू की पुष्टि हो चुकी है। अभी तक जिले में डेंगू के 71 मरीज मिल चुके हैं।
सीएमएस लखनऊ में रहते हैं। बुखार आने के कारण वह दो दिन से अस्पताल नहीं आ रहे थे। लखनऊ के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में जांच कराई गई थी। सोमवार को आई जांच रिपोर्ट में उन्हें डेंगू होने की पुष्टि हुई है। एक से 31 अक्तूबर तक डेंगू वार्ड में 100 बुखार पीड़ित मरीजों को भर्ती किया गया। इसमें 20 बुखार के गंभीर मरीजों के डेंगू जांच के लिए सैंपल लिए गए। जिला अस्पताल की ओपीडी में रोजाना बुखार के 100 से 150 मरीज आ रहे हैं। दोपहर दो बजे की ओपीडी के बाद इमरजेंसी वार्ड में बुखार पीड़ित मरीजों के आने क्रम बना रहता है।
वार्ड नंबर एक में बने डेंगू वार्ड में मरीजों को भर्ती करने से परहेज किया जाता है। मरीजों को रेफर करने पर ज्यादा जोर रहता है। एक महीने में बुखार के 35 मरीज कानपुर रेफर किए गए। हकीकत यह है कि अस्पताल में बुखार के गंभीर मरीजों का कोई इलाज नहीं है। डेंगू मरीज को जरूरत पर प्लेटलेट्स चढ़ानी पड़ती है, लेकिन जिला अस्पताल की ब्लड बैंक में यह सुविधा नहीं है। इसलिए मरीजों को भर्ती करने से परहेज किया जाता है। कानपुर के हैलट अस्पताल में रेफर कर दिए जाते हैं। प्रभारी सीएमएस डॉ. गोपीकृष्ण मिश्र ने बताया कि जो संसाधन हैं, उसी से बुखार के मरीजों का हर संभव इलाज का प्रयास चल रहा है। गंभीर मरीजों को रेफर करना मजबूरी है।
उन्नाव। जिला अस्पताल के सीएमएस डॉ. सुशील कुमार डेंगू की चपेट में आ गए हैं। एक माह में सात लोगों में डेंगू की पुष्टि हो चुकी है। अभी तक जिले में डेंगू के 71 मरीज मिल चुके हैं।
सीएमएस लखनऊ में रहते हैं। बुखार आने के कारण वह दो दिन से अस्पताल नहीं आ रहे थे। लखनऊ के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में जांच कराई गई थी। सोमवार को आई जांच रिपोर्ट में उन्हें डेंगू होने की पुष्टि हुई है। एक से 31 अक्तूबर तक डेंगू वार्ड में 100 बुखार पीड़ित मरीजों को भर्ती किया गया। इसमें 20 बुखार के गंभीर मरीजों के डेंगू जांच के लिए सैंपल लिए गए। जिला अस्पताल की ओपीडी में रोजाना बुखार के 100 से 150 मरीज आ रहे हैं। दोपहर दो बजे की ओपीडी के बाद इमरजेंसी वार्ड में बुखार पीड़ित मरीजों के आने क्रम बना रहता है।
वार्ड नंबर एक में बने डेंगू वार्ड में मरीजों को भर्ती करने से परहेज किया जाता है। मरीजों को रेफर करने पर ज्यादा जोर रहता है। एक महीने में बुखार के 35 मरीज कानपुर रेफर किए गए। हकीकत यह है कि अस्पताल में बुखार के गंभीर मरीजों का कोई इलाज नहीं है। डेंगू मरीज को जरूरत पर प्लेटलेट्स चढ़ानी पड़ती है, लेकिन जिला अस्पताल की ब्लड बैंक में यह सुविधा नहीं है। इसलिए मरीजों को भर्ती करने से परहेज किया जाता है। कानपुर के हैलट अस्पताल में रेफर कर दिए जाते हैं। प्रभारी सीएमएस डॉ. गोपीकृष्ण मिश्र ने बताया कि जो संसाधन हैं, उसी से बुखार के मरीजों का हर संभव इलाज का प्रयास चल रहा है। गंभीर मरीजों को रेफर करना मजबूरी है।
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