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औरास। पक्के पुल की मांग पूरी न हुई तो 10 किलोमीटर का चक्कर लगाने से बचने के लिए मिर्जापुर अजिगांव और इससे जुड़े मजरों के लोगों ने चंदा करके सई नदी पर बांस बल्ली का पुल बनवाया। चक्कर लगाने से तो ग्रामीण बच गए लेकिन जोखिम भरे पुल पर पांच साल में पांच लोग जान गंवा चुके हैं। बारिश में ये सफर और खतरनाक हो गया है। लोगों का कहना है कि समस्या पर ध्यान देने वाला कोई नहीं है।
औरास ब्लॉक मुख्यालय से अलीपुर मिचलौला मार्ग पर चार किमी दूर बसे मिर्जापुर अजिगांव के किनारे से सई नदी निकली है। नदी पर पक्का पुल नहीं बना है। ग्राम सभा व इसके 12 मजरों रानीखेड़ा, कुशलखेड़ा, निरखीखेड़ा, नई बस्ती, महबूबखेड़ा आदि गांवों के दस हजार लोगों को नदी पर पुल न बनने के कारण 10 किमी का चक्कर लगाना पड़ता है।
इससे बचने के लिए ग्रामीणों ने चंदा करके बांस बल्ली का पुल बनाया था। इससे पैदल तो आवागमन करते ही हैं, साथ ही बाइक व साइकिल भी निकालते हैं। बारिश में तो स्थितियां और खराब हो जाती हैं। सई नदी में उफान होने से बांस बल्ली का पुल खतरनाक हो जाता है। इसके बाद भी ग्रामीण जान जोखिम में डालकर आवागमन करते हैं। ग्रामीणों की मानें तो खतरे वाले पुल से आवागमन करने में करीब पांच साल में पांच लोगों की मौत हो चुकी है।
पीपे के पुल के लिए मंजूर हुए थे 52.37 लाख
18 अगस्त 2020 को उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने नदी पर पीपे का पुल बनवाने की घोषणा की थी। इसके लिए 52.37 लाख रुपये मंजूर भी हुए थे लेकिन 23 जनवरी 2021 को तत्कालीन पीडब्ल्यूडी के अधीक्षण अभियंता मन्नीलाल ने स्थलीय निरीक्षण करने के बाद यहां पीपे का पुल न कारगर होने की रिपोर्ट लगा दी थी। उन्होंने 58 मीटर लंबा पुल बनाने के लिए लघु सेतु निगम को पत्र लिखा था। इस पर करीब पांच करोड़ रुपये खर्च होने थे।
मुश्किल काम, पर क्या किया जाए
मिर्जापुर अजिगांव निवासी शिवांश सिंह ने बताया कि ग्रामीणों की काफी खेतिहर भूमि नदी पार है। बांस बल्ली के पुल से आवागमन करना मुश्किल भरा काम है। कई हादसे होने के बाद भी कोई नदी पर पक्का पुल बनवाने की तरफ ध्यान नहीं दे रहा है।
गांव के ही सर्वेश श्रीवास्तव ने बताया कि नदी पर पक्के पुल की मांग लंबे समय से की जा रही है। समस्या जस की तस है। न तो जनप्रतिनिधि ही सुन रहे हैं और न ही अधिकारी।
पीडब्ल्यूडी के अधीक्षण अभियंता अखिलेश कुमार दिवाकर ने बताया कि अभी हाल ही में ज्वाइन किया है। इसलिए मामले की जानकारी नहीं है। अब तक क्या कार्रवाई हुई है, डिवीजन कार्यालय से जानकारी करेंगे। लोगों की आवागमन की सुविधा के लिए हर संभव प्रयास किया जाएगा।
औरास। पक्के पुल की मांग पूरी न हुई तो 10 किलोमीटर का चक्कर लगाने से बचने के लिए मिर्जापुर अजिगांव और इससे जुड़े मजरों के लोगों ने चंदा करके सई नदी पर बांस बल्ली का पुल बनवाया। चक्कर लगाने से तो ग्रामीण बच गए लेकिन जोखिम भरे पुल पर पांच साल में पांच लोग जान गंवा चुके हैं। बारिश में ये सफर और खतरनाक हो गया है। लोगों का कहना है कि समस्या पर ध्यान देने वाला कोई नहीं है।
औरास ब्लॉक मुख्यालय से अलीपुर मिचलौला मार्ग पर चार किमी दूर बसे मिर्जापुर अजिगांव के किनारे से सई नदी निकली है। नदी पर पक्का पुल नहीं बना है। ग्राम सभा व इसके 12 मजरों रानीखेड़ा, कुशलखेड़ा, निरखीखेड़ा, नई बस्ती, महबूबखेड़ा आदि गांवों के दस हजार लोगों को नदी पर पुल न बनने के कारण 10 किमी का चक्कर लगाना पड़ता है।
इससे बचने के लिए ग्रामीणों ने चंदा करके बांस बल्ली का पुल बनाया था। इससे पैदल तो आवागमन करते ही हैं, साथ ही बाइक व साइकिल भी निकालते हैं। बारिश में तो स्थितियां और खराब हो जाती हैं। सई नदी में उफान होने से बांस बल्ली का पुल खतरनाक हो जाता है। इसके बाद भी ग्रामीण जान जोखिम में डालकर आवागमन करते हैं। ग्रामीणों की मानें तो खतरे वाले पुल से आवागमन करने में करीब पांच साल में पांच लोगों की मौत हो चुकी है।
पीपे के पुल के लिए मंजूर हुए थे 52.37 लाख
18 अगस्त 2020 को उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने नदी पर पीपे का पुल बनवाने की घोषणा की थी। इसके लिए 52.37 लाख रुपये मंजूर भी हुए थे लेकिन 23 जनवरी 2021 को तत्कालीन पीडब्ल्यूडी के अधीक्षण अभियंता मन्नीलाल ने स्थलीय निरीक्षण करने के बाद यहां पीपे का पुल न कारगर होने की रिपोर्ट लगा दी थी। उन्होंने 58 मीटर लंबा पुल बनाने के लिए लघु सेतु निगम को पत्र लिखा था। इस पर करीब पांच करोड़ रुपये खर्च होने थे।
मुश्किल काम, पर क्या किया जाए
मिर्जापुर अजिगांव निवासी शिवांश सिंह ने बताया कि ग्रामीणों की काफी खेतिहर भूमि नदी पार है। बांस बल्ली के पुल से आवागमन करना मुश्किल भरा काम है। कई हादसे होने के बाद भी कोई नदी पर पक्का पुल बनवाने की तरफ ध्यान नहीं दे रहा है।
गांव के ही सर्वेश श्रीवास्तव ने बताया कि नदी पर पक्के पुल की मांग लंबे समय से की जा रही है। समस्या जस की तस है। न तो जनप्रतिनिधि ही सुन रहे हैं और न ही अधिकारी।
पीडब्ल्यूडी के अधीक्षण अभियंता अखिलेश कुमार दिवाकर ने बताया कि अभी हाल ही में ज्वाइन किया है। इसलिए मामले की जानकारी नहीं है। अब तक क्या कार्रवाई हुई है, डिवीजन कार्यालय से जानकारी करेंगे। लोगों की आवागमन की सुविधा के लिए हर संभव प्रयास किया जाएगा।
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