उन्नाव: वेतन न मिलने से नाराज डॉक्टरों ने बंद किया इलाज

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चार महीने से नहीं मिला है वेतन, हड़ताल पर गए 70 डॉक्टर

निजी मेडिकल कालेज में भर्ती हैं 50 मरीज, चार आईसीयू में

डॉक्टरों ने कालेज प्रबंधन से की सेवा मुक्त करने की मांग

संवाद न्यूज एजेंसी

अजगैन/नवाबगंज। चार महीने से वेतन न मिलने से नारा सोहरामऊ स्थित एक निजी मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने बुधवार सुबह हड़ताल कर दी। इससे स्वास्थ्य सेवाएं बाधित हो गईं। प्रबंधन ने गुरुवार को वेतन देने की बात कही। लेकिन डॉक्टरों ने कई बार दिए गए आश्वासनों का हवाला देकर बात नहीं मानी। उन्होंने प्रबंधन से सेवा मुक्त करने की मांग की और गुरुवार से ड्यूटी पर न आने का ऐलान कर दिया। बुधवार देर शाम करीब पच्चीस जूनियर और सीनियर डॉक्टर इस निजी मेडिकल कालेज से चले गए।

लखनऊ-कानपुर हाइवे के सोहरामऊ क्षेत्र के भल्ला फार्म स्थित सरस्वती मेडिकल कालेज में कार्यरत करीब दो सौ सीनियर और जूनियर डॉक्टरों को चार महीने से वेतन नहीं मिला है। कई बार आश्वासन मिलने के बाद भी वेतन न मिलने से नाराज डॉक्टरों ने बुधवार सुबह हड़ताल कर दी। सूचना पर कॉलेज प्रबंधन की ओर से डिप्टी एमएस केके राय डॉक्टरों से बात करने पहुंचे और गुरुवार शाम तक एक महीने का वेतन देने का आश्वासन दिया। लेकिन डॉक्टर राजी नहीं हुए और पूरे चार महीने का वेतन मांगा। डॉक्टरों की हड़ताल से भर्ती 50 मरीजों के इलाज के लिए प्रबंधन को परेशानी उठानी पड़ी।

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एसोसिएट प्रोफेसर ऑर्थोंपेडिक डॉ. विवेक ने बताया कि दो दिन पहले कालेज प्रबंधन से मिलकर बात की गई थी। दो दिन में खाते में वेतन भेजने का आश्वासन मिला था। लेकिन इसके बाद भी कोई हल नहीं निकला। गुरुवार से जूनियर और सीनियर डॉक्टर अपनी सेवाएं नहीं देंगे। डॉ. अभिषेक ने बताया कि नियम होने के बाद भी कॉलेज में छुट्टी नहीं मिलती। पूरे महीने ड्यूटी कराई जाती है। पांच मिनट की देरी पर वेतन काट लिया जाता है। सीनियर डॉक्टर का चार और जूनियर का सात महीने का वेतन बकाया है। हड़ताल करने वाले डॉक्टरों में नसीम रिजवी, डॉ. रेहान अहमद, डॉ. अमितेश श्रीवास्तव, डॉ. विक्रमप्रताप सिंह, डॉ. विवेक, डॉ. सुमित शाह, रजत, अमित कुमार, राजेश सहित 70 डॉक्टर उपस्थित रहे।

एमबीबीएस छात्रों की पढ़ाई होगी बाधित

डॉक्टरों की हड़ताल और गुरुवार से न आने के बाद एमबीबीएस के 2017 से 2022 तक के छात्रों की पढ़ाई प्रभावित होगी। अगर हड़ताल लंबी खिंचती है या डॉक्टरों की सेवाएं समाप्त होती हैं तो प्रयोगात्मक की भी तैयारी नहीं कर सकेंगे।

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