गंगा एक्सप्रेसवे के रेखांकन का किसानों ने किया विरोध, वापस लौटे राजस्वकर्मी

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उन्नाव/सोनिक। गंगा एक्सप्रेसवे के सीमांकन का मंगलवार को किसानों ने विरोध कर हंगामा किया। आरोप लगाया कि ज्यादा मुआवजे का झूठा आश्वासन देकर उनकी बची जमीन भी ली जा रही है। किसानों ने राजस्व कर्मियों को लौटा दिया। वहीं कानूनगो का दावा है कि देरशाम उच्चाधिकारियों के निर्देश पर दोबारा मौके पर जाकर नापजोख कर दी है।
प्रदेश सरकार के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट गंगा एक्सप्रेसवे का निर्माण कार्य बिछिया विकासखंड के अलगनगढ़ के आगे से शुरू किया गया है। शुरुआत भूमि समतलीकरण से हुई है। गत शुक्रवार को बैनामे में जमीन कम और मौके पर ज्यादा लेने का आरोप लगा काफी किसानों ने मौके पर पहुंचकर हंगामा कर काम बंद करा दिया था। इसकी जानकारी होने पर तहसीलदार अतुल कुमार ने किसानों की समस्याओं के निस्तारण के लिए सात सदस्यीय टीम गठित कर दी थी।
मंगलवार को कानूनगो हुबेश शुक्ला के नेतृत्व में छह लेखपाल जांच करने अलगनगढ़ पहुंचे। लेखपालों ने जैसे ही नापजोख शुरू की वैसे ही पहले से ही मौजूद सुशीला, शारदा देवी, राजेश्वरी, रामबाबू, रज्जन लाल, कमलेश, छेदी लाल व कैलाश आदि किसानों ने हंगामा करना शुरू कर दिया। आरोप लगाया कि मौके पर जमीन ज्यादा जा रही है जबकि सीमांकन पत्थर आगे लगा है। किसानों का कहना था कि पूर्व में तैनात लेखपाल ने धोखे में रखकर जमीन की रजिस्ट्री कराई थी। 12 लाख रुपये बीघे के हिसाब से मुआवजा मिलने का झूठा आश्वासन दिया था लेकिन किसी को भी इसके तहत पैसा नहीं मिला। किसानों के आक्रोश को देखते हुए राजस्व टीम बिना नाप किए ही लौट गई।
पहले किसानों के हंगामे के कारण नापजोख बंद कर दी गई थी। बाद में उच्चाधिकारियों के आदेश पर दोबारा मौके पर गए थे। इसके बाद यूपीडा और कार्यदायी संस्था के कर्मचारियों की उपस्थिति में सही स्थान पर पत्थर लगवाकर एक्सप्रेसवे का सीमांकन करा दिया गया। – हूबेश शुक्ला, राजस्व कानूनगो।
बची जमीन भी जा रही
अलगनगढ़ निवासी किसान रज्जन लाल ने बताया कि तीन बिसवा जमीन बची है। जो नहीं मिल रही है। इसलिए काम का विरोध किया जा रहा है। प्रशासन मेरी बची जमीन दे दे।
वृद्धा राजेश्वरी ने बताया कि गंगा एक्सप्रेसवे में जो जमीन गई है। उसका मुआवजा दो लाख रुपये कम मिला है।

यह भी पढ़ें -  Unnao News: चार उप निरीक्षक इधर से उधर

उन्नाव/सोनिक। गंगा एक्सप्रेसवे के सीमांकन का मंगलवार को किसानों ने विरोध कर हंगामा किया। आरोप लगाया कि ज्यादा मुआवजे का झूठा आश्वासन देकर उनकी बची जमीन भी ली जा रही है। किसानों ने राजस्व कर्मियों को लौटा दिया। वहीं कानूनगो का दावा है कि देरशाम उच्चाधिकारियों के निर्देश पर दोबारा मौके पर जाकर नापजोख कर दी है।

प्रदेश सरकार के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट गंगा एक्सप्रेसवे का निर्माण कार्य बिछिया विकासखंड के अलगनगढ़ के आगे से शुरू किया गया है। शुरुआत भूमि समतलीकरण से हुई है। गत शुक्रवार को बैनामे में जमीन कम और मौके पर ज्यादा लेने का आरोप लगा काफी किसानों ने मौके पर पहुंचकर हंगामा कर काम बंद करा दिया था। इसकी जानकारी होने पर तहसीलदार अतुल कुमार ने किसानों की समस्याओं के निस्तारण के लिए सात सदस्यीय टीम गठित कर दी थी।

मंगलवार को कानूनगो हुबेश शुक्ला के नेतृत्व में छह लेखपाल जांच करने अलगनगढ़ पहुंचे। लेखपालों ने जैसे ही नापजोख शुरू की वैसे ही पहले से ही मौजूद सुशीला, शारदा देवी, राजेश्वरी, रामबाबू, रज्जन लाल, कमलेश, छेदी लाल व कैलाश आदि किसानों ने हंगामा करना शुरू कर दिया। आरोप लगाया कि मौके पर जमीन ज्यादा जा रही है जबकि सीमांकन पत्थर आगे लगा है। किसानों का कहना था कि पूर्व में तैनात लेखपाल ने धोखे में रखकर जमीन की रजिस्ट्री कराई थी। 12 लाख रुपये बीघे के हिसाब से मुआवजा मिलने का झूठा आश्वासन दिया था लेकिन किसी को भी इसके तहत पैसा नहीं मिला। किसानों के आक्रोश को देखते हुए राजस्व टीम बिना नाप किए ही लौट गई।

पहले किसानों के हंगामे के कारण नापजोख बंद कर दी गई थी। बाद में उच्चाधिकारियों के आदेश पर दोबारा मौके पर गए थे। इसके बाद यूपीडा और कार्यदायी संस्था के कर्मचारियों की उपस्थिति में सही स्थान पर पत्थर लगवाकर एक्सप्रेसवे का सीमांकन करा दिया गया। – हूबेश शुक्ला, राजस्व कानूनगो।

बची जमीन भी जा रही

अलगनगढ़ निवासी किसान रज्जन लाल ने बताया कि तीन बिसवा जमीन बची है। जो नहीं मिल रही है। इसलिए काम का विरोध किया जा रहा है। प्रशासन मेरी बची जमीन दे दे।

वृद्धा राजेश्वरी ने बताया कि गंगा एक्सप्रेसवे में जो जमीन गई है। उसका मुआवजा दो लाख रुपये कम मिला है।

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