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पाटन। भगवंत नगर स्थित कान्हा गोशाला में मवेशियों के लिए चारे-पानी की व्यवस्था तो नहीं हो पा रही, एक नई जंग शुरू हो गई है। गुरुवार रात चारे को लेकर गोशाला और नगर पंचायत कर्मियों के बीच बहस हुई। गोशाला कर्मियों पर भूसा खरीद की फर्जी पर्ची लगाने का आरोप लगाया। चारा-भूसा खरीद में गड़बड़ी के सवाल पर ईओ ने शासन से धनराशि न मिलने पर संचालन को बड़ी समस्या बताया।
नगर पंचायत भगवंत नगर स्थित कान्हा गोशाला की क्षमता 300 मवेशियों को रखने की है। इस समय यहां 150 मवेशी हैं। पिछले दिनों एसडीएम के निरीक्षण में गोशाला की दुर्दशा सामने आई थी। चार मवेशी मृत मिले थे और कई तड़प रहे थे। डीएम व एसडीएम की सख्ती के बाद गुरुवार को ईओ राजाराम सुबह से ही नगर पंचायत में मौजूद रहे।
गोशाला के आसपास रहने वाले लोगों ने बताया कि रात लगभग आठ बजे दो-तीन नगर पंचायत कर्मी आए। उन्होंने भूसा लाने की जिम्मेदारी निभाने वाले कर्मचारी पर फर्जी बिल भेजने का आरोप लगाया। इस पर गोशाला कर्मी व नगर पंचायत कर्मियों में काफी देर तक बहस होती रही। प्रत्यक्षदर्शियों की माने तो गोशाला में औसतन एक ट्राली भूसा या हरा चारा ही प्रतिदिन आता है।
ईओ राजाराम ने बताया कि गोशाला के लिए खरीदे गए भूसे के बिलों के संबंध में सामान्य बात हुई थी। उनका कहना है कि किसी गड़बड़ी की इस मामले में कोई आशंका इसलिए नहीं है, क्योंकि प्रति गोवंश चारे की धनराशि निर्धारित है। उन्होंने पिछले चार-पांच महीने से चारा-भूसे का भुगतान न दिए जाने के अलावा प्रति मवेशी दी जा रही धनराशि को अपर्याप्त बताया।
पाटन। भगवंत नगर स्थित कान्हा गोशाला में मवेशियों के लिए चारे-पानी की व्यवस्था तो नहीं हो पा रही, एक नई जंग शुरू हो गई है। गुरुवार रात चारे को लेकर गोशाला और नगर पंचायत कर्मियों के बीच बहस हुई। गोशाला कर्मियों पर भूसा खरीद की फर्जी पर्ची लगाने का आरोप लगाया। चारा-भूसा खरीद में गड़बड़ी के सवाल पर ईओ ने शासन से धनराशि न मिलने पर संचालन को बड़ी समस्या बताया।
नगर पंचायत भगवंत नगर स्थित कान्हा गोशाला की क्षमता 300 मवेशियों को रखने की है। इस समय यहां 150 मवेशी हैं। पिछले दिनों एसडीएम के निरीक्षण में गोशाला की दुर्दशा सामने आई थी। चार मवेशी मृत मिले थे और कई तड़प रहे थे। डीएम व एसडीएम की सख्ती के बाद गुरुवार को ईओ राजाराम सुबह से ही नगर पंचायत में मौजूद रहे।
गोशाला के आसपास रहने वाले लोगों ने बताया कि रात लगभग आठ बजे दो-तीन नगर पंचायत कर्मी आए। उन्होंने भूसा लाने की जिम्मेदारी निभाने वाले कर्मचारी पर फर्जी बिल भेजने का आरोप लगाया। इस पर गोशाला कर्मी व नगर पंचायत कर्मियों में काफी देर तक बहस होती रही। प्रत्यक्षदर्शियों की माने तो गोशाला में औसतन एक ट्राली भूसा या हरा चारा ही प्रतिदिन आता है।
ईओ राजाराम ने बताया कि गोशाला के लिए खरीदे गए भूसे के बिलों के संबंध में सामान्य बात हुई थी। उनका कहना है कि किसी गड़बड़ी की इस मामले में कोई आशंका इसलिए नहीं है, क्योंकि प्रति गोवंश चारे की धनराशि निर्धारित है। उन्होंने पिछले चार-पांच महीने से चारा-भूसे का भुगतान न दिए जाने के अलावा प्रति मवेशी दी जा रही धनराशि को अपर्याप्त बताया।
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