चुनाव आचार संहिता में फंसा कल्याणी का ‘कल्याण’

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उन्नाव। कल्याणी नदी के पुनरुद्धार के लिए सिंचाई विभाग सहयोग करने के लिए तैयार हो गया लेकिन चुनावी आचार संहिता लागू होने के कारण फिर बाधा खड़ी हो गई है। अब विधान परिषद चुनाव के बाद ही इस नदी के कल्याण का प्रस्ताव तैयार हो सकेगा।
हरदोई के माधौगंज की एक झील से निकलने वाली कल्याणी नदी गंगा की प्रमुख सहायक नदियों में एक है। जिले के गंजमुरादाबाद, बांगरमऊ, फतेहपुर चौरासी, सफीपुर व सिकंदरपुर सरोसी के लगभग 32 गांवों से कल्याणी नदी गुजरती है। पांच साल से इस नदी के प्रवाह क्षेत्र पर कटरी के भू और खनन माफिया ने कब्जा कर रखा है। नदी के प्रवाह को कई जगह रोककर अवैध तरीके से बालू का खनन किया गया। कई स्थानों पर कब्जा कर खेती भी शुरू कर दी गई। प्राकृतिक धारा के साथ छेड़छाड़ होने के कारण नदी रास्ता छोड़कर बरसात में कटरी क्षेत्र के गांवों में तबाही मचाती है। पूर्व में कल्याणी नदी के उद्धार के लिए फतेहपुर चौरासी कस्बे के मूल निवासी पंकज शुक्ल ने प्रयास किया। यहां तक पीएमओ में इस संबंध में एक प्रार्थनापत्र दिया।
जिसके बाद डीएम रवींद्र कुमार ने मनरेगा उपायुक्त राजेश कुमार झा को कल्याणी नदी के उद्धार के लिए विस्तृत कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिए। बीच में नदी के किनारे स्थित कुछ ग्राम पंचायतों ने सफाई भी कराई। हालांकि कार्य का दायरा बड़ा होने के कारण प्रधानों से जीर्णोद्धार पर आने वाले खर्च का प्रस्ताव तैयार कराने के लिए कहा गया। कुछ प्रधानों ने 60 से 70 लाख का प्रस्ताव दिया। जिसे सिंचाई विभाग ने मंजूरी नहीं दी। इस कारण मामला फिर ठप हो गया। इस पर पंकज शुक्ल ने ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराकर सिंचाई विभाग के अड़ंगा लगाने की बात कही। जिसके बाद सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता ने जवाब में किसी प्रकार की अड़चन न डालने और हर प्रकार का सहयोग करने की बात कही। यह मामला आगे बढ़ता उससे पहले ही चुनावी आचार संहिता प्रभावी हो गई। जिससे एक बार फिर कल्याणी के कल्याण का मामला फिर फंस गया।
अधिकारी बोले
पूर्व में कुछ पंचायतों द्वारा दिए गए नदी के उद्धार के प्रस्तावों को सिंचाई विभाग ने मंजूरी नहीं थी। इस कारण अब नए सिरे से बीडीओ प्रस्ताव तैयार कराएंगे। हालांकि इस समय एमएलसी चुनाव की आचार संहिता लगी है। चुनाव में बीडीओ की भी ड्यूटी लगाई गई है। इसलिए 12 अप्रैल को आचार संहिता समाप्त होेने के बाद बीडीओ के माध्यम से नए सिरे से प्रस्ताव तैयार कराकर मंजूरी के लिए सिंचाई विभाग के एक्सईएन को भेजा जाएगा।
– राजेश कुमार झा, मनरेगा उपायुक्त

यह भी पढ़ें -  Unnao News: हाईवे पर एक अप्रैल से बढ़ेगा टोल टैक्स

उन्नाव। कल्याणी नदी के पुनरुद्धार के लिए सिंचाई विभाग सहयोग करने के लिए तैयार हो गया लेकिन चुनावी आचार संहिता लागू होने के कारण फिर बाधा खड़ी हो गई है। अब विधान परिषद चुनाव के बाद ही इस नदी के कल्याण का प्रस्ताव तैयार हो सकेगा।

हरदोई के माधौगंज की एक झील से निकलने वाली कल्याणी नदी गंगा की प्रमुख सहायक नदियों में एक है। जिले के गंजमुरादाबाद, बांगरमऊ, फतेहपुर चौरासी, सफीपुर व सिकंदरपुर सरोसी के लगभग 32 गांवों से कल्याणी नदी गुजरती है। पांच साल से इस नदी के प्रवाह क्षेत्र पर कटरी के भू और खनन माफिया ने कब्जा कर रखा है। नदी के प्रवाह को कई जगह रोककर अवैध तरीके से बालू का खनन किया गया। कई स्थानों पर कब्जा कर खेती भी शुरू कर दी गई। प्राकृतिक धारा के साथ छेड़छाड़ होने के कारण नदी रास्ता छोड़कर बरसात में कटरी क्षेत्र के गांवों में तबाही मचाती है। पूर्व में कल्याणी नदी के उद्धार के लिए फतेहपुर चौरासी कस्बे के मूल निवासी पंकज शुक्ल ने प्रयास किया। यहां तक पीएमओ में इस संबंध में एक प्रार्थनापत्र दिया।

जिसके बाद डीएम रवींद्र कुमार ने मनरेगा उपायुक्त राजेश कुमार झा को कल्याणी नदी के उद्धार के लिए विस्तृत कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिए। बीच में नदी के किनारे स्थित कुछ ग्राम पंचायतों ने सफाई भी कराई। हालांकि कार्य का दायरा बड़ा होने के कारण प्रधानों से जीर्णोद्धार पर आने वाले खर्च का प्रस्ताव तैयार कराने के लिए कहा गया। कुछ प्रधानों ने 60 से 70 लाख का प्रस्ताव दिया। जिसे सिंचाई विभाग ने मंजूरी नहीं दी। इस कारण मामला फिर ठप हो गया। इस पर पंकज शुक्ल ने ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराकर सिंचाई विभाग के अड़ंगा लगाने की बात कही। जिसके बाद सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता ने जवाब में किसी प्रकार की अड़चन न डालने और हर प्रकार का सहयोग करने की बात कही। यह मामला आगे बढ़ता उससे पहले ही चुनावी आचार संहिता प्रभावी हो गई। जिससे एक बार फिर कल्याणी के कल्याण का मामला फिर फंस गया।

अधिकारी बोले

पूर्व में कुछ पंचायतों द्वारा दिए गए नदी के उद्धार के प्रस्तावों को सिंचाई विभाग ने मंजूरी नहीं थी। इस कारण अब नए सिरे से बीडीओ प्रस्ताव तैयार कराएंगे। हालांकि इस समय एमएलसी चुनाव की आचार संहिता लगी है। चुनाव में बीडीओ की भी ड्यूटी लगाई गई है। इसलिए 12 अप्रैल को आचार संहिता समाप्त होेने के बाद बीडीओ के माध्यम से नए सिरे से प्रस्ताव तैयार कराकर मंजूरी के लिए सिंचाई विभाग के एक्सईएन को भेजा जाएगा।

– राजेश कुमार झा, मनरेगा उपायुक्त

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