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सफीपुर (उन्नाव)। बिठूर गंगा पुल पर दो मासूमों को लेकर गंगा में कूदे पिता को तो गोताखोरों ने बचा लिया लेकिन मासूमों का सुराग नहीं लगा है। इसके कारण मां बेसुध है वहीं मौसी ने जहर खा लिया। हालत बिगड़ने पर उसे जिला अस्पताल से कानपुर हैलट रेफर किया गया है।
कोतवाली क्षेत्र जटपुरवा गाव में चार वर्ष से घर जमाई के रूप में रह रहे अजय लोध उर्फ दयाशंकर ने गुरुवार सुबह 10 बजे पत्नी सीता को बिठूर पुल के पास बाइक से उतारकर कुछ दूर जाकर बेटे शिवा व शिवांक के साथ पुल से गंगा नदी में छलांग लगा दी थी। गोताखोरों ने अजय को तो बचा लिया था लेकिन दोनों मासूमों का पता नहीं चल सका है।
शुक्रवार को घटना से आहत बच्चों की मौसी राधा (16) पुत्री छत्रपाल ने जहर खा लिया। इससे उसकी हालत बिगड़ गई। जिला अस्पताल में राधा का दो बार रेफर लेटर बनाया गया। पहले रेफर बनने के बाद परिजन दलालों के चंगुल में फंस गई और अस्पताल के पास संचालित एक निजी अस्पताल ले गए।
अस्पताल संचालक ने इलाज के लिए 30 हजार का खर्च बताया और रेफर का पर्चा खुद ले लिया। इतने रुपये सुनकर परिजन उसे फिर इमरजेंसी वार्ड लाए और दोबारा रेफर कराकर हैलट ले गए।
सफीपुर (उन्नाव)। बिठूर गंगा पुल पर दो मासूमों को लेकर गंगा में कूदे पिता को तो गोताखोरों ने बचा लिया लेकिन मासूमों का सुराग नहीं लगा है। इसके कारण मां बेसुध है वहीं मौसी ने जहर खा लिया। हालत बिगड़ने पर उसे जिला अस्पताल से कानपुर हैलट रेफर किया गया है।
कोतवाली क्षेत्र जटपुरवा गाव में चार वर्ष से घर जमाई के रूप में रह रहे अजय लोध उर्फ दयाशंकर ने गुरुवार सुबह 10 बजे पत्नी सीता को बिठूर पुल के पास बाइक से उतारकर कुछ दूर जाकर बेटे शिवा व शिवांक के साथ पुल से गंगा नदी में छलांग लगा दी थी। गोताखोरों ने अजय को तो बचा लिया था लेकिन दोनों मासूमों का पता नहीं चल सका है।
शुक्रवार को घटना से आहत बच्चों की मौसी राधा (16) पुत्री छत्रपाल ने जहर खा लिया। इससे उसकी हालत बिगड़ गई। जिला अस्पताल में राधा का दो बार रेफर लेटर बनाया गया। पहले रेफर बनने के बाद परिजन दलालों के चंगुल में फंस गई और अस्पताल के पास संचालित एक निजी अस्पताल ले गए।
अस्पताल संचालक ने इलाज के लिए 30 हजार का खर्च बताया और रेफर का पर्चा खुद ले लिया। इतने रुपये सुनकर परिजन उसे फिर इमरजेंसी वार्ड लाए और दोबारा रेफर कराकर हैलट ले गए।
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