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बापू की हत्या के बाद 1948 में यह बगीची मेहरा परिवार ने स्मारक बनाने के लिए दान कर दी, जिसे गांधी स्मारक का नाम दिया गया है। 1955 में गांधी जयंती पर म्यूनिसिपल महिला औषधालय, आयुर्वेदिक औषधालय, मातृत्व शिशु कल्याण केंद्र खोले गए थे। वर्ष 2015-16 में आगरा विकास प्राधिकरण ने जर्जर हवेली का जीर्णांद्धार कराया और नगर निगम ने अन्य व्यवस्थाएं की, लेकिन अब भवन के छज्जे टूट चुके हैं। राष्ट्रपतिा महात्मा गांधी की पुण्यतिथि से पहले शनिवार को लोग यहां पहुंचे तो यहां ताला लगा मिला।
बगीची का कुआं अब बंद
सिविल सोसायटी के सदस्य राजीव सक्सेना के मुताबिक बगीची में जो कुंआ था, उसके बारे में मान्यता थी कि उस कुएं के पानी से पेट दर्द बंद हो जाते हैं। इसीलिए बापू अपने पेटदर्द की शिकायत पर यहां रुके थे। बाद में वह प्रवास के दौरान बृथला के कुंड में भी गए और स्नान किया था। आगरा कॉलेज समेत कई जगह उन्होंने इस प्रवास में भ्रमण किया था। राजीव सक्सेना के पास उन 11 दिनों के बारे में पूरा रिकॉर्ड मौजूद हैं, जिसे वह गांधी स्मारक में प्रदर्शित करना चाहते हैं।
आजादी के लिए किया था प्रेरित
स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रानी सरोज गौरिहार बताती हैं कि उनके पिता ने उन्हें बापू से जुड़े कई किस्से सुनाए थे। वह बगीची में प्रवास के दौरान चरखे से सूत भी कातते रहते थे। जो भी मिलने आता, उसे खादी अपनाने को प्रेरित करते।
प्रवास के बाद बापू जब 1938 में फिर से आगरा आए तो उन्होंने युवाओं, छात्रों से मुलाकात में उन्हें आजादी के आंदोलन में शामिल होने के लिए प्रेरित किया था।
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