भाजपा की नई रणनीति: योगी की दूसरी पारी में गांवों को तरजीह, कानपुर शहर नजरअंदाज

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सार

प्रदेश में जब भी भाजपा सरकार रही है, शहर से किसी न किसी को मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व जरूर मिला है। यह पहला मौका है, जब शहर पूरी तरह से गायब है।

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भाजपा को आमतौर पर शहरी क्षेत्र की पार्टी माना जाता रहा है, लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यानाथ ने अपनी दूसरी पारी के लिए जो टीम बनाई है, उसमें ग्रामीण क्षेत्रों को खास तरजीह मिली है। इसके पीछे ग्रामीण क्षेत्र के बहुसंख्यक बिरादरी के लोगों को वर्ष-2024 के लिए अभी से भाजपा के खेमे से जोड़ने की रणनीति बताई जा रही है।

प्रदेश में जब भी भाजपा सरकार रही है, शहर से किसी न किसी को मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व जरूर मिला है। यह पहला मौका है, जब शहर पूरी तरह से गायब है। भाजपा की बदली रणनीति के पीछे भी कई वजहें बताई जा रही हैं। कहा जा रहा है कि जिन विधायकों को मंत्री बनाया गया है, उनकी बिरादरी के लोगों की संख्या कानपुर-बुंदेलखंड क्षेत्र में अच्छीखासी है।

क्षेत्र से कानपुर देहात के राकेश सचान इकलौते कैबिनेट मंत्री हैं। माना जा रहा है कि सचान के बहाने कुर्मी बिरादरी को इस क्षेत्र की यादव बिरादरी के बराबर खड़ा करने की कवायद की गई है. क्षेत्र में यदि यादव बिरादरी का दबदबा है तो कुर्मी भी कई जिलों में दमदार हैं।
इसी तरह बांदा के तिंदवारी के विधायक रामकेश निषाद को राज्यमंत्री बनाकर इस बेल्ट के निषादों की बड़ी संख्या को खुश करने की कोशिश की गई है। सबसे ज्यादा चर्चा में इस बार जाटव बिरादरी है, जो अब तक बसपा के कैडर वोटरों में गिनी जाती रही है।

माना जाता है कि अनुसूचित जातियों में जाटव बिरादरी के लोग हमेशा बसपा प्रमुख मायावती के साथ रहे हैं। इस बार के चुनाव में बसपा का पत्ता साफ हो चुका है। ऐसे में जाटव बिरादरी के असीम अरुण को राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार बनाकर उन्हें इस वोटबैंक को सहेजने का जिम्मा दिया गया है।
 
पूर्व आईपीएस असीम अरुण की गिनती तेजतर्रार पुलिस अफसरों में रही है। अनुसूचित जाति के मन्नू कोरी को भी इसी समीकरण का लाभ मिला है। वैसे तो ब्राह्मण बिरादरी को भाजपा की पूर्व की सरकार में तरजीह मिलती रही है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों से जुड़े ब्राह्मणों के नजरंदाज होने की बातें अक्सर सामने आती रही हैं।

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करीब दो वर्ष पूर्व हुए बिकरू कांड के बाद अचानक से ब्राह्मणों की उपेक्षा की बात उठी और विपक्षी दलों ने इसे मुद्दा भी बनाया। चर्चा है कि इसी वजह से इस बार ग्रामीण क्षेत्र से ब्राह्मण बिरादरी की विधायक प्रतिभा शुक्ला को सरकार में जगह दी गई।
कहां किस बिरादरी का दबदबा
कुर्मी : फतेहपुर, कानपुर नगर के ग्रामीण क्षेत्र, कानपुर देहात, फर्रुखाबाद और कन्नौज।
निषाद : कानपुर नगर के ग्रामीण क्षेत्र, कानपुर देहात, फतेहपुर, हमीरपुर, बांदा, जालौन और महोबा।
ब्राह्मण और जाटव बिरादरी से जुड़े लोग क्षेत्र के सभी जिलों में अच्छी तादाद में हैं।

विस्तार

भाजपा को आमतौर पर शहरी क्षेत्र की पार्टी माना जाता रहा है, लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यानाथ ने अपनी दूसरी पारी के लिए जो टीम बनाई है, उसमें ग्रामीण क्षेत्रों को खास तरजीह मिली है। इसके पीछे ग्रामीण क्षेत्र के बहुसंख्यक बिरादरी के लोगों को वर्ष-2024 के लिए अभी से भाजपा के खेमे से जोड़ने की रणनीति बताई जा रही है।

प्रदेश में जब भी भाजपा सरकार रही है, शहर से किसी न किसी को मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व जरूर मिला है। यह पहला मौका है, जब शहर पूरी तरह से गायब है। भाजपा की बदली रणनीति के पीछे भी कई वजहें बताई जा रही हैं। कहा जा रहा है कि जिन विधायकों को मंत्री बनाया गया है, उनकी बिरादरी के लोगों की संख्या कानपुर-बुंदेलखंड क्षेत्र में अच्छीखासी है।

क्षेत्र से कानपुर देहात के राकेश सचान इकलौते कैबिनेट मंत्री हैं। माना जा रहा है कि सचान के बहाने कुर्मी बिरादरी को इस क्षेत्र की यादव बिरादरी के बराबर खड़ा करने की कवायद की गई है. क्षेत्र में यदि यादव बिरादरी का दबदबा है तो कुर्मी भी कई जिलों में दमदार हैं।

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