महिला अस्पताल में दोपहर दो बजे के बाद सीजेरियन प्रसव नहीं

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उन्नाव। सीजेरियन प्रसव के लिए जिला अस्पताल जाने वाली गर्भवतियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। उन्हें दोपहर दो बजे तक ही ऑपरेशन के लिए भर्ती किया जाता है। इसके बाद आने वाली गर्भवतियों को कानपुर रेफर कर दिया जाता है। वहीं जिले की तीन सीएचसी में तैनात डॉक्टर सीजेरियन प्रसव न कराकर जिला महिला अस्पताल रेफर कर देते हैं। इसके कारण सीजेरियन प्रसव का ग्राफ भी गिर रहा है। हर माह करीब 50 गर्भवती महिलाओं को जिला महिला अस्पताल से रेफर किया जा रहा है।
जिला महिला अस्पताल के साथ नवाबगंज, सफीपुर व हसनगंज सीएचसी में गंभीर गर्भवती महिलाओं के सीजेरियन प्रसव की सुविधा का दावा विभाग करता है। लेकिन हसनगंज में गायनेकोलॉजिस्ट नहीं हैं। सफीपुर में गायनेकोलॉजिस्ट डॉ. अंजली सिंह व नवाबगंज में डॉ. रिचा श्रीवास्तव व डॉ. नेहा की तैनाती है। लेकिन इन तीनों स्वास्थ्य केेंद्रों में सालों से कोई सीजेरियन प्रसव नहीं कराया गया। यहां आने वाली गंभीर गर्भवतियों को जिला महिला अस्पताल रेफर किया जा रहा है।
महिला अस्पताल में रोजाना सात से आठ गर्भवती प्रसव के लिए पहुंचती हैं। महीने भर के आंकड़ों पर गौर किया जाए तो 200 से अधिक गर्भवती जिला महिला अस्पताल आती हैं। लेकिन यहां दोपहर दो बजे के बाद पहुंचने वाली गर्भवतियों को एनेस्थीसिया देने की सुविधा न होने की बात कहकर लौटा दिया जाता है। ऐसे में उन्हें ऑपरेशन के लिए कानपुर तक जाना पड़ता है।
ये हैं तीन महीने के आंकड़े
जिला महिला अस्पताल में अक्तूबर में 168 गर्भवतियों का सीजेरियन प्रसव कराया गया। नवंबर में ये संख्या 127 रही जबकि दिसंबर में ये आंकड़ा 120 रहा।
प्रशिक्षण का भी लाभ नहीं
सीएमओ के मुताबिक नवाबगंज व सफीपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सीएचसी में तैनात गायनेकोलॉजिस्ट को सीजेरियन प्रसव कराने के लिए जिला महिला अस्पताल में एक महीने का प्रशिक्षण दिया गया है। लेकिन इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है।
एक-एक महीने का रोका गया वेतन
सीएमओ डॉ. सत्यप्रकाश ने बताया कि सीजेरियन प्रसव न कराने पर दोनाें सीएचसी में तैनात गायनेकोलॉजिस्ट का एक-एक महीने का वेतन रोका गया है। कोविड टीकाकरण में व्यस्तता है। डॉक्टरों पर भी कार्रवाई की जाएगी।

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उन्नाव। सीजेरियन प्रसव के लिए जिला अस्पताल जाने वाली गर्भवतियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। उन्हें दोपहर दो बजे तक ही ऑपरेशन के लिए भर्ती किया जाता है। इसके बाद आने वाली गर्भवतियों को कानपुर रेफर कर दिया जाता है। वहीं जिले की तीन सीएचसी में तैनात डॉक्टर सीजेरियन प्रसव न कराकर जिला महिला अस्पताल रेफर कर देते हैं। इसके कारण सीजेरियन प्रसव का ग्राफ भी गिर रहा है। हर माह करीब 50 गर्भवती महिलाओं को जिला महिला अस्पताल से रेफर किया जा रहा है।

जिला महिला अस्पताल के साथ नवाबगंज, सफीपुर व हसनगंज सीएचसी में गंभीर गर्भवती महिलाओं के सीजेरियन प्रसव की सुविधा का दावा विभाग करता है। लेकिन हसनगंज में गायनेकोलॉजिस्ट नहीं हैं। सफीपुर में गायनेकोलॉजिस्ट डॉ. अंजली सिंह व नवाबगंज में डॉ. रिचा श्रीवास्तव व डॉ. नेहा की तैनाती है। लेकिन इन तीनों स्वास्थ्य केेंद्रों में सालों से कोई सीजेरियन प्रसव नहीं कराया गया। यहां आने वाली गंभीर गर्भवतियों को जिला महिला अस्पताल रेफर किया जा रहा है।

महिला अस्पताल में रोजाना सात से आठ गर्भवती प्रसव के लिए पहुंचती हैं। महीने भर के आंकड़ों पर गौर किया जाए तो 200 से अधिक गर्भवती जिला महिला अस्पताल आती हैं। लेकिन यहां दोपहर दो बजे के बाद पहुंचने वाली गर्भवतियों को एनेस्थीसिया देने की सुविधा न होने की बात कहकर लौटा दिया जाता है। ऐसे में उन्हें ऑपरेशन के लिए कानपुर तक जाना पड़ता है।

ये हैं तीन महीने के आंकड़े

जिला महिला अस्पताल में अक्तूबर में 168 गर्भवतियों का सीजेरियन प्रसव कराया गया। नवंबर में ये संख्या 127 रही जबकि दिसंबर में ये आंकड़ा 120 रहा।

प्रशिक्षण का भी लाभ नहीं

सीएमओ के मुताबिक नवाबगंज व सफीपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सीएचसी में तैनात गायनेकोलॉजिस्ट को सीजेरियन प्रसव कराने के लिए जिला महिला अस्पताल में एक महीने का प्रशिक्षण दिया गया है। लेकिन इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है।

एक-एक महीने का रोका गया वेतन

सीएमओ डॉ. सत्यप्रकाश ने बताया कि सीजेरियन प्रसव न कराने पर दोनाें सीएचसी में तैनात गायनेकोलॉजिस्ट का एक-एक महीने का वेतन रोका गया है। कोविड टीकाकरण में व्यस्तता है। डॉक्टरों पर भी कार्रवाई की जाएगी।

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