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सोनिया बताती हैं कि उनके पिता ठाकुर दास का सपना था कि वह एक दिन शूटिंग में देश का नाम रोशन करें। पिता ने ही उनके हाथ में पिस्टल थमाई, लेकिन कुछ समय बाद पिता की मौत हो गई। तब पिता को असली श्रद्धांजलि देने का संकल्प लिया और स्वर्ण पदक जीता।
पिता की मौत के बाद घर के आर्थिक हालात भी खराब हो गए, लेकिन मां जनक शर्मा और बड़ी बहन ने साथ दिया तो हौसलों को फिर से उड़ान मिल गई। शूटिंग की शुरूआत रायफल से की। रायफल चलाने के लिए दूसरे हाथ की जरूरत पड़ती है। सिर्फ बाएं हाथ से रायफल साधना मुश्किल हुआ, पर दर्द झेलते हुए उन्होंने कड़ा अभ्यास किया।
सोनिया ने सपना पूरा करने के जज्बे ने उन्हें हिम्मत नहीं हारने दी। वह पिस्टल में पदक जीतीं, लेकिन रायफल से किया अभ्यास उसकी बुनियाद बना। शूटर सोनिया शर्मा ने बताया कि उनका सपना है कि वह ओलंपिक में देश के लिए खेले और गोल्ड मेडल भारत के नाम करें। इसके लिए वह पूरे मनोयोग से प्रशिक्षण में जुटी हुई हैं।
गुरु गोविंद नगर, राजपुर चुंगी की हिमानी बुंदेला ने बचपन से ही बड़े सपने देखे। नौवीं कक्षा में एक सड़क हादसे में उनकी आंखों की रोशनी कम हो गई, मगर हिमानी का हौसला हिमालय से कम नहीं था। उन्होंने स्नातक, शिक्षा स्नातक करने के बाद केंद्रीय विद्यालय में अध्यापन शुरू कर दिया। केबीसी-2 में एक करोड़ रुपये जीतकर चर्चा में आईं हिमानी ने आईकॉन बनकर विधानसभा चुनाव में मताधिकार के लिए जागरूक करने की मुहिम चलाई।
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