मार्ग पर चलना दुश्वार

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हसनगंज। 19 किलोमीटर लंबे अजगैन-मोहान मार्ग पर करीब 226 गड्ढे हैं। हाल ये है कि मकूर से नई सरांय तक नौ किलोमीटर का सफर तो हिचकोले खाते ही बीतता है। गड्ढों भरे मार्ग से गुजरने वाले बाइक सवार कमर दर्द जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं। इसके अलावा हादसों का डर भी बना रहता है।
अजगैन-मोहान मार्ग का साल 2017 में 2.90 करोड़ रुपये से पैचवर्क कराया गया था लेकिन ओवरलोड भारी वाहनों ने इसे छलनी कर दिया। ये मार्ग हसनगंज तहसील को मुख्यालय से जोड़ने के साथ कानपुर, लखनऊ व आगरा एक्सप्रेसवे को भी जोड़ता है। जर्जर मार्ग पर मकूर से नई सरांय तक नौ किलोमीटर हिस्से पर तो सड़क लापता है। इस सड़क से मोहान से लेकर अजगैन, फरहदपुर, नवई, नई सराय, इब्राहिमपुर, झलोतर, आगाखेड़ा, बारा बुजुर्ग की करीब 30 हजार आबादी आवागमन करती है। लोगों का कहना है कि कई बार मार्ग की मरम्मत की मांग की गई लेकिन सुनवाई नहीं हुई।
स्लिप डिस्क की हुई बीमारी
मेहंदी खेड़ा निवासी भगत सिंह ने बताया कि अजगैन-मोहान मार्ग से रोजाना बाइक लेकर गुजरने से स्लिप डिस्क की बीमारी हो गई है। कमर में दर्द बना रहता है। लखनऊ के निजी अस्पताल में इलाज भी चल रहा है।
नौ किमी में लगते एक घंटे
मोहान निवासी रंजीत सिंह ने बताया कि मार्ग की स्थिति ये है कि नौ किलोमीटर का सफर तय करने में एक घंटा लग जाता है। मार्ग पर गर्भवतियों व बीमार मरीजों को सबसे अधिक परेशानी उठानी पड़ती है। क्षेत्रीय विधायक से उन्होंने सड़क बनवाने की मांग की है।
जेई प्रवीण कटियार ने बताया कि सड़क का निर्माण 2011 में हुआ था। उस समय के लोड के हिसाब से सड़क बनाई गई थी। इसके बाद भारी वाहनों की संख्या बढ़ती गई। टोल बचाने के लिए ट्रक भी इसी रास्ते से जाने लगे। साल 2017 में पैच वर्क भी हुआ लेकिन सड़क जर्जर हो गई। आचार संहिता समाप्त होने के बाद सड़क बनवाई जाएगी।

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हसनगंज। 19 किलोमीटर लंबे अजगैन-मोहान मार्ग पर करीब 226 गड्ढे हैं। हाल ये है कि मकूर से नई सरांय तक नौ किलोमीटर का सफर तो हिचकोले खाते ही बीतता है। गड्ढों भरे मार्ग से गुजरने वाले बाइक सवार कमर दर्द जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं। इसके अलावा हादसों का डर भी बना रहता है।

अजगैन-मोहान मार्ग का साल 2017 में 2.90 करोड़ रुपये से पैचवर्क कराया गया था लेकिन ओवरलोड भारी वाहनों ने इसे छलनी कर दिया। ये मार्ग हसनगंज तहसील को मुख्यालय से जोड़ने के साथ कानपुर, लखनऊ व आगरा एक्सप्रेसवे को भी जोड़ता है। जर्जर मार्ग पर मकूर से नई सरांय तक नौ किलोमीटर हिस्से पर तो सड़क लापता है। इस सड़क से मोहान से लेकर अजगैन, फरहदपुर, नवई, नई सराय, इब्राहिमपुर, झलोतर, आगाखेड़ा, बारा बुजुर्ग की करीब 30 हजार आबादी आवागमन करती है। लोगों का कहना है कि कई बार मार्ग की मरम्मत की मांग की गई लेकिन सुनवाई नहीं हुई।

स्लिप डिस्क की हुई बीमारी

मेहंदी खेड़ा निवासी भगत सिंह ने बताया कि अजगैन-मोहान मार्ग से रोजाना बाइक लेकर गुजरने से स्लिप डिस्क की बीमारी हो गई है। कमर में दर्द बना रहता है। लखनऊ के निजी अस्पताल में इलाज भी चल रहा है।

नौ किमी में लगते एक घंटे

मोहान निवासी रंजीत सिंह ने बताया कि मार्ग की स्थिति ये है कि नौ किलोमीटर का सफर तय करने में एक घंटा लग जाता है। मार्ग पर गर्भवतियों व बीमार मरीजों को सबसे अधिक परेशानी उठानी पड़ती है। क्षेत्रीय विधायक से उन्होंने सड़क बनवाने की मांग की है।

जेई प्रवीण कटियार ने बताया कि सड़क का निर्माण 2011 में हुआ था। उस समय के लोड के हिसाब से सड़क बनाई गई थी। इसके बाद भारी वाहनों की संख्या बढ़ती गई। टोल बचाने के लिए ट्रक भी इसी रास्ते से जाने लगे। साल 2017 में पैच वर्क भी हुआ लेकिन सड़क जर्जर हो गई। आचार संहिता समाप्त होने के बाद सड़क बनवाई जाएगी।

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