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सार
शुक्रवार 25 मार्च को होने वाले शपथ ग्रहण समारोह के साथ कौन मंत्री शपथ लेंगे इसकी पूरी रूपरेखा और सभी नामों को तय कर दिया गया है। भाजपा से जुड़े सूत्रों का कहना है कि शुरुआती दौर में 48 मंत्रियों को योगी आदित्यनाथ के साथ में शपथ दिलाई जाएगी, इसमें तकरीबन 30 फ़ीसदी या इससे कुछ ज्यादा मंत्री नए होंगे…
लखनऊ के लिए रवाना होते अमित शाह
– फोटो : Agency
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विस्तार
उत्तर प्रदेश में कौन मंत्री बनेगा और कौन पुराना मंत्री योगी 2.0 कैबिनेट से बेदखल किया जाएगा, इस पर मुहर लग गई है। बुधवार देर रात ढाई घंटे से ज्यादा चली राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और भाजपा के तमाम बड़े दिग्गजों के साथ बैठक में सब कुछ चाक-चौबंद कर लिया गया। सूत्रों के मुताबिक इस बैठक में मंत्रिमंडल के नामों की चर्चा के साथ अगले कई चुनावों का भी मजबूत आधार तय किया गया है।
48 मंत्रियों को शपथ!
शुक्रवार 25 मार्च को होने वाले शपथ ग्रहण समारोह के साथ कौन मंत्री शपथ लेंगे इसकी पूरी रूपरेखा और सभी नामों को तय कर दिया गया है। भाजपा से जुड़े सूत्रों का कहना है कि शुरुआती दौर में 48 मंत्रियों को योगी आदित्यनाथ के साथ में शपथ दिलाई जाएगी। भाजपा से जुड़े सूत्रों का कहना है कि इस बार की कैबिनेट सिर्फ 2022 से 2027 तक ही नुमाइंदगी नहीं करेगी, बल्कि वह 2024 के साथ 2027 और 2029 के चुनावों की भी मजबूत आधारशिला रखेंगे। इसके लिए शुरुआती दौर में यही तय किया गया है कि महिलाओं की भागीदारी के साथ दलित समुदाय के लोगों को आगे रखा जाए। भारतीय जनता पार्टी संगठन से जुड़े एक वरिष्ठ नेता कहते हैं कि पार्टी की रणनीति के मुताबिक ऐसा करके अगले कई चुनावों का मजबूत आधार तय किया जाएगा।
क्या बनेंगे तीन डिप्टी सीएम?
भाजपा से जुड़े एक वरिष्ठ पदाधिकारी कहते हैं कि योजना के मुताबिक योगी आदित्यनाथ की कैबिनेट में पहली बार शपथ लेने वाले मंत्रियों की संख्या बढ़ेगी। उनका कहना है कि शुरुआती दौर में तकरीबन 48 कैबिनेट मंत्री, राज्य मंत्री और स्वतंत्र प्रभार के मंत्री शपथ लेंगे। इसमें तकरीबन 30 फ़ीसदी या इससे कुछ ज्यादा मंत्री नए होंगे। भाजपा से जुड़े एक सूत्र बताते हैं कि सबसे ज्यादा चर्चा उप मुख्यमंत्री पद की हो रही है। उनके मुताबिक दोनों पूर्व उप मुख्यमंत्री योगी कैबिनेट में इस बार भी यथावत बने रहेंगे, जबकि तीसरा उप मुख्यमंत्री अगर बनाया जाएगा तो एक दलित महिला या पुरुष हो सकता है। इसमें बेबी रानी मौर्य के अलावा एक-दो और नाम भी चर्चा में चल रहे हैं। हालांकि उक्त कद्दावर नेता का दावा है कि चर्चा इस बार यह भी हुई कि योगी कैबिनेट में उप मुख्यमंत्री पद न रखा जाए, लेकिन इस पर आम सहमति नहीं बन सकी। दरअसल उनका कहना है कि पिछड़ों में अपनी पैठ रखने वाले उप मुख्यमंत्री और उत्तर प्रदेश के कद्दावर नेता केशव प्रसाद मौर्या को समाहित करना पार्टी के लिए एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है, खासतौर पर तब जब वे चुनाव हार चुके हैं।
जातीय समीकरण को साधने वाली कैबिनेट
पार्टी से जुड़े केंद्रीय नेतृत्व के वरिष्ठ नेता कहते हैं कि योगी मंत्रिमंडल से सिर्फ उत्तर प्रदेश के अगले पांच साल के चुनाव की ही दिशा तय नहीं की जानी है, बल्कि 2024 में होने वाले लोकसभा के चुनावों का भी पूरा भार उत्तर प्रदेश की जातीय समीकरण को साधने वाली कैबिनेट से होगा। इसलिए भारतीय जनता पार्टी पूरी तरीके से उस जातीय समीकरण को ध्यान में रखकर ही कैबिनेट का विस्तार करेगी जिससे 2024 का चुनाव सधता हुआ नजर आए। क्योंकि 2022 के विधानसभा चुनावों में उत्तर प्रदेश में दलितों का एक बड़ा वोट बैंक भाजपा के साथ आया है। इसलिए पार्टी इस बड़े वोट बैंक को अपने साथ जोड़ कर रखना चाहती है और सरकारी योजनाओं के अलावा उसकी भागीदारी भी सरकार में सुनिश्चित करना चाहती है। यही वजह है कि मंत्रिमंडल का गठन और उसका विस्तार अगले कई चुनावों को ध्यान में रखकर किया जाएगा।
दलित वोटों को बड़ा आधार बनाने की तैयारी
उत्तर प्रदेश की राजनीति के कॉरिडोर से सिर्फ उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे भारत में राजनीतिक पिच मजबूत करना चाह रही है। खास तौर से भाजपा दलित वर्ग में अपनी मजबूत पकड़ बनाने के लिए उत्तर प्रदेश में मिले दलित वोटों को बड़ा आधार बनाना चाह रही है। भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व में अहम जिम्मेदारी निभा रहे वरिष्ठ नेता कहते हैं कि 2022 के चुनावों ने जिस तरीके से दलितों ने और महिलाओं ने विश्वास जताते हुए भाजपा को बढ़-चढ़कर वोट किया है उससे पार्टी अब इसी को एक बड़ा स्तंभ मानते हुए अपनी नई योजनाएं भी बनाएगी और उन्हें लागू भी करेगी। इसी आधार पर सिर्फ उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि देश के अलग-अलग राज्यों में विस्तारित कर अपने बड़े वोट बैंक को जोड़ेगी।
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