रेडियोलॉजिस्ट न होने से सीएचसी में अल्ट्रासाउंड नहीं

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उन्नाव। जिले की चार सीएचसी में अल्ट्रासाउंड मशीन तो हैं लेकिन रेडियोलॉजिस्ट नहीं हैं। ऐसे में सालों से जांचें बंद हैं। वहीं जिला अस्पताल में तैनात रेडियोलॉजिस्ट पर अल्ट्रासाउंड के साथ ही मेडिकोलीगल की भी जिम्मेदारी है। यहां रोजाना औसतन 55 लोग जांच कराने पहुंचते हैं। इनमें से कई का अल्ट्रासाउंड एक दो दिन बाद ही हो पाता है। ऐसे में दर्द झेलते मरीज व्यवस्था को कोसते दिखते हैं।
स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों के अनुसार 10 साल से रेडियोलॉजिस्ट के पद नहीं भरे गए हैं। 32 लाख आबादी में आधे लोग इलाज के लिए जिला पुरुष व महिला अस्पताल पर ही निर्भर हैं। जिला अस्पताल के रेडियोलॉजिस्ट डॉ. एसके जौहरी के सेवानिवृत्त होने के बाद यहां भी एक्सरे नहीं हो रहे थे। इस पर सीएमओ ने डिप्टी सीएमओ डॉ. विजय कुमार को संबद्ध किया था।
इसके बाद भी व्यवस्था न सुधरने पर सेवानिवृत्त डॉ. राजेंद्र कुमार को संविदा पर तैनात किया गया। उन्होंने बताया कि रोजाना औसतन 55 अल्ट्रासाउंड होते हैं। मेडिकोलीगल भी उन्हें करना पड़ता है। इसके कारण सुबह 10 बजे से दोपहर दो बजे तक अल्ट्रासाउंड नहीं हो पाता है। मरीजों को इंतजार करना पड़ता है।
ये है हकीकत
– नवाबगंज ब्लॉक की 50 हजार आबादी के लिए संचालित सीएचसी में लगी अल्ट्रासाउंड मशीन चार साल से बंद है। यहां डिप्टी सीएमओ डॉ. वीके गुप्ता की तैनाती हुई थी। उन्हें प्रत्येक गुरुवार को जांच करनी थी लेकिन ये सुविधा भी बंद है।
– हसनगंज तहसील क्षेत्र में संचालित स्वास्थ्य केंद्र में 11 साल से अल्ट्रासाउंड नहीं हो रहे हैं। यहां की जांच मशीन खराब है। यहां की आबादी 22 हजार है।
– बांगरमऊ सीएचसी में आठ माह से रोडियोलॉजिस्ट नहीं है। इसके कारण मरीजों व गर्भवतियों को जांच के लिए परेशान होना पड़ रहा है। मियागंज और असोहा सीएचसी में भी सुविधा बंद है।
– सफीपुर सीएचसी में सालों से अल्ट्रासाउंड की सुविधा बंद थी। सीएमओ के निरीक्षण के दौरान मरीजों ने उनसे इसकी शिकायत की थी। इस पर वहां सप्ताह में गुरुवार को जांच के लिए एसीएमओ व प्रशिक्षित रेडियोलॉजिस्ट डॉ. ललित कुमार को तैनात किया गया है।
मरीजों ने बताई पीड़ा
जिला अस्पताल में अल्ट्रासाउंड कराने आए आदर्श नगर के पुष्पेंद्र सिंह ने बताया कि पेट में दर्द है। दो दिन से वह जांच कराने आ रहे हैं। रेडियोलॉजिस्ट के अन्य काम से बाहर जाने की बात बताई गई। सोमवार को उनकी जांच हो पाई।
नवाबगंज ब्लॉक क्षेत्र के गोसाइखेड़ा निवासी सोनी पांच माह की गर्भवती हैं। 30 अगस्त को वह स्वास्थ्य केंद्र गईं थी। डॉक्टर ने उन्हें अल्ट्रासाउंड के लिए लिखा था। सरकारी अस्पताल में सुविधा न होने पर निजी पैथोलॉजी में 700 रुपये में जांच कराई।
रेडियोलॉजिस्ट के खाली पदों की जानकारी शासन को दी जा चुकी है। रिक्त पदों की भर्ती शासन स्तर से ही की जानी है। एमबीबीएस डॉक्टरों को प्रशिक्षण दिलाने की योजना रोक दी गई है। – डॉ. सत्यप्रकाश, सीएमओ

जिला अस्पताल में अल्ट्रासाउंड कक्ष के बाहर बैठे मरीज। संवाद

जिला अस्पताल में अल्ट्रासाउंड कक्ष के बाहर बैठे मरीज। संवाद– फोटो : UNNAO

जिला महिला अस्पताल में अल्ट्रासाउंड कक्ष के बाहर बैठकर अपनी बारी का इंतजार करते मरीज। संवाद

जिला महिला अस्पताल में अल्ट्रासाउंड कक्ष के बाहर बैठकर अपनी बारी का इंतजार करते मरीज। संवाद– फोटो : UNNAO

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उन्नाव। जिले की चार सीएचसी में अल्ट्रासाउंड मशीन तो हैं लेकिन रेडियोलॉजिस्ट नहीं हैं। ऐसे में सालों से जांचें बंद हैं। वहीं जिला अस्पताल में तैनात रेडियोलॉजिस्ट पर अल्ट्रासाउंड के साथ ही मेडिकोलीगल की भी जिम्मेदारी है। यहां रोजाना औसतन 55 लोग जांच कराने पहुंचते हैं। इनमें से कई का अल्ट्रासाउंड एक दो दिन बाद ही हो पाता है। ऐसे में दर्द झेलते मरीज व्यवस्था को कोसते दिखते हैं।

स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों के अनुसार 10 साल से रेडियोलॉजिस्ट के पद नहीं भरे गए हैं। 32 लाख आबादी में आधे लोग इलाज के लिए जिला पुरुष व महिला अस्पताल पर ही निर्भर हैं। जिला अस्पताल के रेडियोलॉजिस्ट डॉ. एसके जौहरी के सेवानिवृत्त होने के बाद यहां भी एक्सरे नहीं हो रहे थे। इस पर सीएमओ ने डिप्टी सीएमओ डॉ. विजय कुमार को संबद्ध किया था।

इसके बाद भी व्यवस्था न सुधरने पर सेवानिवृत्त डॉ. राजेंद्र कुमार को संविदा पर तैनात किया गया। उन्होंने बताया कि रोजाना औसतन 55 अल्ट्रासाउंड होते हैं। मेडिकोलीगल भी उन्हें करना पड़ता है। इसके कारण सुबह 10 बजे से दोपहर दो बजे तक अल्ट्रासाउंड नहीं हो पाता है। मरीजों को इंतजार करना पड़ता है।

ये है हकीकत

– नवाबगंज ब्लॉक की 50 हजार आबादी के लिए संचालित सीएचसी में लगी अल्ट्रासाउंड मशीन चार साल से बंद है। यहां डिप्टी सीएमओ डॉ. वीके गुप्ता की तैनाती हुई थी। उन्हें प्रत्येक गुरुवार को जांच करनी थी लेकिन ये सुविधा भी बंद है।

– हसनगंज तहसील क्षेत्र में संचालित स्वास्थ्य केंद्र में 11 साल से अल्ट्रासाउंड नहीं हो रहे हैं। यहां की जांच मशीन खराब है। यहां की आबादी 22 हजार है।

– बांगरमऊ सीएचसी में आठ माह से रोडियोलॉजिस्ट नहीं है। इसके कारण मरीजों व गर्भवतियों को जांच के लिए परेशान होना पड़ रहा है। मियागंज और असोहा सीएचसी में भी सुविधा बंद है।

– सफीपुर सीएचसी में सालों से अल्ट्रासाउंड की सुविधा बंद थी। सीएमओ के निरीक्षण के दौरान मरीजों ने उनसे इसकी शिकायत की थी। इस पर वहां सप्ताह में गुरुवार को जांच के लिए एसीएमओ व प्रशिक्षित रेडियोलॉजिस्ट डॉ. ललित कुमार को तैनात किया गया है।

मरीजों ने बताई पीड़ा

जिला अस्पताल में अल्ट्रासाउंड कराने आए आदर्श नगर के पुष्पेंद्र सिंह ने बताया कि पेट में दर्द है। दो दिन से वह जांच कराने आ रहे हैं। रेडियोलॉजिस्ट के अन्य काम से बाहर जाने की बात बताई गई। सोमवार को उनकी जांच हो पाई।

नवाबगंज ब्लॉक क्षेत्र के गोसाइखेड़ा निवासी सोनी पांच माह की गर्भवती हैं। 30 अगस्त को वह स्वास्थ्य केंद्र गईं थी। डॉक्टर ने उन्हें अल्ट्रासाउंड के लिए लिखा था। सरकारी अस्पताल में सुविधा न होने पर निजी पैथोलॉजी में 700 रुपये में जांच कराई।

रेडियोलॉजिस्ट के खाली पदों की जानकारी शासन को दी जा चुकी है। रिक्त पदों की भर्ती शासन स्तर से ही की जानी है। एमबीबीएस डॉक्टरों को प्रशिक्षण दिलाने की योजना रोक दी गई है। – डॉ. सत्यप्रकाश, सीएमओ

जिला अस्पताल में अल्ट्रासाउंड कक्ष के बाहर बैठे मरीज। संवाद

जिला अस्पताल में अल्ट्रासाउंड कक्ष के बाहर बैठे मरीज। संवाद– फोटो : UNNAO

जिला महिला अस्पताल में अल्ट्रासाउंड कक्ष के बाहर बैठकर अपनी बारी का इंतजार करते मरीज। संवाद

जिला महिला अस्पताल में अल्ट्रासाउंड कक्ष के बाहर बैठकर अपनी बारी का इंतजार करते मरीज। संवाद– फोटो : UNNAO

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