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उन्नाव। मगरवारा स्थित सरिया फैक्टरी में बैक हो रहे ट्रक की चपेट में आकर ठेकेदार गंभीर रूप से घायल हो गया। मजदूरों ने उसे जिला अस्पताल पहुंचाया, जहां से कानपुर हैलट अस्पताल रेफर कर दिया। हैलट में इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। पोस्टमार्टम के बाद परिजनों ने शव फैक्टरी के बाहर रखकर हंगामा किया। प्रबंधन की ओर से पांच लाख रुपये की आर्थिक मदद के आश्वासन पर सहमति बनी।
सिकंदरपुर सरोसी गांव निवासी जीत बहादुर (42) मगरवारा स्थित आरएचएल सरिया फैक्टरी में ठेकेदारी करता था। रोज की तरह शुक्रवार को काम पर गया था। शाम करीब पांच बजे सरिया लोड करने आए ट्रक चालक की लापरवाही से गाड़ी जीत बहादुर पर चढ़ गई। चीख सुन चालक ने ब्रेक लगाया। हाइड्रा की मदद से ट्रक के नीचे फंसे ठेकेदार को निकालकर जिला अस्पताल भेजा गया।
सांस चलती देख डॉक्टरों ने उन्हें हैलट अस्पताल रेफर कर दिया। रात करीब 11 बजे उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई। शनिवार को पोस्टमार्टम के बाद परिजन शव लेकर फैक्टरी पहुंचे और हंगामा करने लगे। सदर कोतवाल राजेश पाठक ने फैक्टरी प्रबंधन से वार्ता की।
परिजन पांच लाख रुपये की मांग पर अड़े रहे। मामला बढ़ने पर सिटी मजिस्ट्रेट विजेता और सीओ सिटी आशुतोष कुमार भी पहुंचे। फैक्टरी प्रबंधन ने मुआवजा देने की बात कही तब मामला शांत हुआ।
अब कौन उठाएगा जिम्मेदारी
पति की मौत से पत्नी नीरजा कुमार और दो बेटों आयुष, पीयूष का रो-रोकर बुरा हाल रहा। पत्नी कई बाद बदहवास हो गई। होश में आने पर नीरजा ने कहा कि ट्रक चालक ने उनकी मांग का सिंदूर उजाड़ दिया। अब बच्चों की परवरिश की जिम्मेदारी कौन उठाएगा। वह सबसे पूछती रहीं कि ईश्वर ने उनके साथ इतना बड़ा आघात क्यों किया..। लोग उन्हें ढांढस बंधाते रहे।
उन्नाव। मगरवारा स्थित सरिया फैक्टरी में बैक हो रहे ट्रक की चपेट में आकर ठेकेदार गंभीर रूप से घायल हो गया। मजदूरों ने उसे जिला अस्पताल पहुंचाया, जहां से कानपुर हैलट अस्पताल रेफर कर दिया। हैलट में इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। पोस्टमार्टम के बाद परिजनों ने शव फैक्टरी के बाहर रखकर हंगामा किया। प्रबंधन की ओर से पांच लाख रुपये की आर्थिक मदद के आश्वासन पर सहमति बनी।
सिकंदरपुर सरोसी गांव निवासी जीत बहादुर (42) मगरवारा स्थित आरएचएल सरिया फैक्टरी में ठेकेदारी करता था। रोज की तरह शुक्रवार को काम पर गया था। शाम करीब पांच बजे सरिया लोड करने आए ट्रक चालक की लापरवाही से गाड़ी जीत बहादुर पर चढ़ गई। चीख सुन चालक ने ब्रेक लगाया। हाइड्रा की मदद से ट्रक के नीचे फंसे ठेकेदार को निकालकर जिला अस्पताल भेजा गया।
सांस चलती देख डॉक्टरों ने उन्हें हैलट अस्पताल रेफर कर दिया। रात करीब 11 बजे उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई। शनिवार को पोस्टमार्टम के बाद परिजन शव लेकर फैक्टरी पहुंचे और हंगामा करने लगे। सदर कोतवाल राजेश पाठक ने फैक्टरी प्रबंधन से वार्ता की।
परिजन पांच लाख रुपये की मांग पर अड़े रहे। मामला बढ़ने पर सिटी मजिस्ट्रेट विजेता और सीओ सिटी आशुतोष कुमार भी पहुंचे। फैक्टरी प्रबंधन ने मुआवजा देने की बात कही तब मामला शांत हुआ।
अब कौन उठाएगा जिम्मेदारी
पति की मौत से पत्नी नीरजा कुमार और दो बेटों आयुष, पीयूष का रो-रोकर बुरा हाल रहा। पत्नी कई बाद बदहवास हो गई। होश में आने पर नीरजा ने कहा कि ट्रक चालक ने उनकी मांग का सिंदूर उजाड़ दिया। अब बच्चों की परवरिश की जिम्मेदारी कौन उठाएगा। वह सबसे पूछती रहीं कि ईश्वर ने उनके साथ इतना बड़ा आघात क्यों किया..। लोग उन्हें ढांढस बंधाते रहे।
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