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औरास। विकास खंड के उटरा डकौली निवासी उमा सिंह ने जीवन में आई चुनौतियों का हर बार डटकर सामना किया। इसी कारण आज वह दूसरों के लिए प्रेरणास्रोत से कम नहीं हैं।
सात साल पहले पति की मौत के बाद उन्होंने कड़ा संघर्ष करके बच्चों को तालीम दिलाई। उमा बताती हैं कि हाईस्कूल की पढ़ाई के दौरान ही उनकी शादी हो गई थी। शादी के बाद भी उन्होंने पढ़ाई नहीं छोड़ी और इंटर पास किया। घर की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण वर्ष 2014 में आशा संगिनी बनीं। दो साल बाद वर्ष 2016 में पति की मौत से उन पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। इसके बाद उनके सिर पर पांच बच्चों की जिम्मेदारी का बोझ आ गया।
नाममात्र की खेती होने से आर्थिक तंगी बढ़ऩे लगी। इस कारण उन्हें गांव छोड़ना पड़ा। वह औरास कस्बे में रहकर ट्यूशन पढ़ाने लगीं। घर चलाने के साथ ही बच्चों को शिक्षा दिलाने के लिए बढ़े खर्च के कारण उन्होंने घर पर सिलाई का काम शुरू किया। धीरे-धीरे उनकी मेहनत रंग लाने लगी। काम अच्छा होने के कारण उनसे कपड़े सिलाने वालों की भीड़ बढ़ती गई। इससे उनकी आर्थिक स्थिति सुधरने लगी। खुद उच्च शिक्षा हासिल न कर पाने का मलाल उमा को हर समय सालता रहा।
इसी कारण उन्होंने बच्चों को पढ़ाने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी। उनकी बड़ी बेटी प्रज्ञा सिंह ने बीटीसी करने के बाद सीटेट व टीईटी भी पास कर ली है। दूसरी बेटी स्नातक करने के बाद गायन क्षेत्र में कबनाने में प्रयासरत है। तीसरे नंबर का बेटा आदर्श बीएससी कर रहा है। चौथा बेटा श्रेयस व छोटी बेटी श्रेया सिंह सीतापुर जनपद में विद्या ज्ञान स्कूल में पढ़ रहे हैं।
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