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Prayagraj News : अतीक अहमद और अशरफ। फाइल फोटो
– फोटो : अमर उजाला।
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भाई अशरफ के दुलार में माफिया अतीक अहमद का अरबों का आर्थिक साम्राज्य और वर्षों का आतंक ताश के पत्तों की तरह ढह गया। साथ ही उसका पूरा कुनबा बिखर गया। अतीक की छोड़ी विधायकी की सीट पर अशरफ लड़ा लेकिन बसपा प्रत्याशी राजू पाल से हार गया। अशरफ हारने के बाद अतीक के कंधे पर सिर पर रखकर फूट फूटकर रोया था। अतीक ने उसके सिर पर हाथ फेरते हुए कहा था, तुम्हें विधायक बनवाकर रहूंगा। इसी के बाद राजू पाल की हत्या करा दी गई।
अतीक अहमद और राजू पाल के बीच 2004 से पहले कोई दुश्मनी नहीं थी। 2004 में सपा ने अतीक को फूलपुर लोकसभा सीट से टिकट दिया तो वह भारी मतों से जीत गया। शहर पश्चिम विधानसभा सीट से उसने इस्तीफा दे दिया। अशरफ चुनाव लड़ने की जिद कर बैठा। भाई की जिद पर अतीक ने टिकट का प्रयास किया तो पार्टी ने उसे पत्नी शाइस्ता को चुनाव लड़ाने की सलाह दी लेकिन अतीक नहीं माना। उधर बसपा ने राजू पाल को चुनाव मैदान में उतार दिया।
अधिकांश लोग अशरफ की जीत की भविष्यवाणी कर रहे थे। शहर पश्चिम अतीक की सीट मानी जाती थी। अशरफ को भी यही लगा था कि बेहद आसानी से जीत जाएगा लेकिन राजू पाल ने चुनाव में पटखनी दे दी। अशरफ को इतना बड़ा धक्का लगा कि वह अतीक के कंधे पर सिर रखकर खूब रोया। अतीक ने भी कह दिया कि वह उसे विधायक बनवा कर रहेगा। हार से बौखलाया अशरफ, राजू पाल के बुरी तरह से पीछे पड़ गया। 25 जनवरी 2005 को धूमनगंज के सुलेम सराय में राजू पाल को गोलियों से भून दिया गया। यही वह दिन था, जब अतीक के पतन की शुरूआत हुई। हालांकि राजू पाल की मौत के बाद फिर उपचुनाव हुआ।
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