यूक्रेन में फंसे भारतीय: खारकिव शहर में हॉस्टल खाली कराया, आगरा की अंजलि समेत कई छात्र बेसमेंट में छिपे

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रूस के यूक्रेन पर किए गए हमले के बाद आगरा के मेडिकल छात्र-छात्राएं विभिन्न शहरों में फंस गए हैं। उनके परिवारीजनों की चिंताएं बढ़ गई हैं। खानपान के सामान को खरीदने के लिए मॉल में दो किलोमीटर तक लंबी लाइनें लगी हुई हैं तो खारकिव में आगरा की मेडिकल छात्रा समेत अन्य छात्रों को हवाई हमले के डर के कारण बेसमेंट में शरण दी गई है। आगरा के अलावा मथुरा, कासगंज, एटा-कासगंज के छात्र भी यूक्रेन में फंसे हुए हैं। जिनके बच्चे यूक्रेन में फंसे हैं, वह टीवी पर पल-पल की खबर देख रहे हैं, साथ ही वीडियो कॉलिंग करके भी अपनों का हाल जान रहे हैं।

बेटी के लिए करवाई थी 27 फरवरी की एयर टिकट

शास्त्रीपुरम, ए ब्लॉक के रहने वाले ब्रज गोपाल पचौरी की पुत्री अंजलि पचौरी यूक्रेन के खारकिव नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी में एमबीबीएस प्रथम वर्ष की छात्रा है। ब्रज गोपाल ने बताया कि यूक्रेन के हालात को देखते हुए अंजलि के लिए 27 फरवरी की एयर टिकट करवाई थी। खारकिव शहर में रूसी सेना के काफी करीब आने के कारण स्थानीय प्रशासन ने कॉलेज के हॉस्टल को खाली करवा लिया है। छात्रों को बेसमेंट में एक-एक बैग देकर शरण दी गई है, ताकि हवाई हमले के खतरे से बचाया जा सके।

ब्रज गोपाल पचौरी ने बताया कि बेटी के लिए परेशान हैं। उन्होंने कहा कि उनकी बेटी को सुरक्षित भारत लाया जाए। बेटी के लिए मां रेखा भी सुबह से बेहद परेशान है। आवास विकास कॉलोनी के सेक्टर छह में रहने वाले तुषार चौधरी यूक्रेन की राजधानी कीव में एमबीए कंस्ट्रक्शन की पढ़ाई कर रहे थे। वह 22 फरवरी को फ्लाइट से घर लौट आए। तुषार ने बताया कि हालात अच्छे नहीं हैं। वह समय रहते लौट आए, इससे सभी खुश हैं। 

वीडियो कॉल कर पूछा रजत से हालचाल

अवधपुरी के पुष्पांजलि फेज-तीन निवासी डॉ. गुलाब सिंह का बेटा रजत भी यूक्रेन के ओडेसा शहर में फंसा हुआ है। मां मीना की हालत खराब है। वह बार-बार बेटे को वीडियो कॉल कर रही हैं। मीना ने बताया कि उनका बेटा पांच वर्ष से यूक्रेन में है। वह मेडिकल की पढ़ाई कर रहा है। वह 14 फरवरी को ही यहां से यूक्रेन गया। बृहस्पतिवार सुबह बेटे से बात हुई तो उसने बताया कि उसे धमाकों की आवाज तो सुनाई दी, पर वह जहां रहता है, उससे काफी दूर धमाका हुआ है। मां ने सरकार से बेटे को सुरक्षित वापस लाने की गुहार लगाई है।

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बेटी-दामाद की चिंता सता रही 

डॉ. सुधीर धाकरे की बेटी वेरोनिका अपने पति आगरा के शिवांक के साथ ओडेसा शहर में नौकरी करती हैं। डॉ. धाकरे ने बताया कि यूक्रेन के हवाई अड्डे नष्ट कर दिए गए हैं। वह लगातार अपने बेटी-दामाद से संपर्क में हैं। हालात तेजी से बिगड़ने के कारण सभी चिंतित हैं। 

काजल के लिए परेशान परिजन

किरावली कस्बे की मौनीबाबा धाम कॉलोनी की रहने वाली 21 वर्षीय काजल चाहर यूक्रेन में फंसी है। कीव शहर पर हमले की जानकारी होते ही उसके पिता ब्रज किशोर और मां अंजना ने फोन पर बेटी से बात की। बेटी के लिए परिजन परेशान हैं। आरपीएफ में इंस्पेक्टर उसके पिता ब्रज किशोर ने बताया कि बेटी का तीन मार्च को टिकट था, लेकिन उड़ान ही बंद कर दी गई है। काजल हयूक्रेन में अडेसा मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस प्रथम वर्ष की छात्रा है। काजल ने पता को बताया कि  वह हॉस्टल में ही है। वहीं यहां उसके परिवार के लोग परेशान हैं। 

 

यूक्रेन के डिनिप्रो शहर में फंसी कासगंज की दामिनी 

कासगंज की आवास विकास कॉलोनी की छात्रा दामिनी शाक्य भी यूक्रेन में फंसी हुई है। दामिनी के पिता छोटेलाल शाक्य बीएबी इंटर कॉलेज में टीचर हैं। मां सुनीता शाक्य भी शिक्षिका है। उनका कहना है कि दामिनी एमबीबीएस प्रथम वर्ष की छात्रा है। तीन महीने पूर्व ही गई थी। जब यूक्रेन पर हमले की खबर मिली है, वह बेटी की सुरक्षित वापसी को लेकर चिंतित हैं। फोन के माध्यम से लगातार उसके संपर्क में बने हुए हैं। 

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