अक्षत टाइम्स संवाददाता, लखनऊ, 14 सितम्बर। राष्ट्रीय महिला आयोग भारत सरकार तथा राज्य सुन्नी मुस्लिम वक्फ बोर्ड के संयुक्त सहयोग से दीनदयाल उपाध्याय राज्य ग्राम्य विकास संस्थान द्वारा मुस्लिम महिलाओं हेतु महिला केंद्रित कानूनों एवं योजनाओं पर एक दिवसीय जागरूकता कार्यक्रम विषयक कार्यशाला ग्राम्य विकास संस्थान में आयोजित की गई।
कार्यशाला का आयोजन, मुख्य अतिथि डॉ० रेखा शर्मा, अध्यक्ष, राष्ट्रीय महिला आयोग भारत सरकार तथा डॉ० सबिहा अहमद, सदस्य राज्य सुन्नी मुस्लिम वक्फ बोर्ड की गरिमामयी उपस्थिति में संस्थान के अपर निदेशक बी०डी० चौधरी द्वारा किया गया। कार्यशाला में प्रदेश के 15 जनपदों की मुस्लिम प्रगतिशील महिलाओं द्वारा प्रतिभाग किया गया।
कार्यशाला को संबोधित करते हुए रूप डॉ० रेखा शर्मा ने बताया कि धर्म के नाम पर विभिन्न सम्प्रदायों, समुदायों व समाजों में महिलाओं का बँटवारा उचित नहीं है। महिला कर्तव्यों व कर्मों के रूप में अपने भारतीय समाज और संस्कृति को आगे बढाना है। हम सबको संविधान के नियमों के मार्ग निर्देशन में चलना चाहिए। महिलाये अपनी दिशाओं का निर्माण स्वयं करें तथा उसी कर्तव्य मार्ग पर अग्रसर हो। जैसे तमाम कुरीतियों को समाप्त करने के लिए हम सभी ने सामूहिक रूप से संघर्ष किया। पहली बार बिना किसी पुरुष साथी के हमारे देश की चार हजार मुस्लिम बहनों को हज यात्रा पर जाने का अवसर प्राप्त हुआ।
अध्यक्षीय सम्बोधन के दौरान संस्थान के अपर निदेशक बी०डी० चौधरी ने बताया कि महिलाओं को शिक्षा के क्षेत्र में बहुत आगे जाना है, क्योंकि हमारे भारतीय समाज में जागरूकता के अभाव के दृष्टिगत मुस्लिम महिलाएँ भी परंपरागत रूप से शिक्षा क्षेत्र में पीछे रहीं हैं। धीरे-धीरे दूसरे समुदायों के परिवारों की लडकियों की शिक्षण व्यवस्था को देखते-देखते अद्यतन रूप से मुस्लिम परिवारों में भी लडकियों और महिलाओं की शिक्षा व्यवस्था में अत्यधिक परिवर्तन हुआ है तथा सांस्कृतिक और सामाजिक बदलाव भी बडी तीव्र गति से हो रहे हैं। कभी-कभी विभिन्न प्रकार के भ्रम व छद्म सुधारों के नाम पर महिलाएँ स्वयं अपनी स्वाभाविक प्रतिष्ठा और सम्मान का क्षरण करती है। फलस्वरूप समाज के कुत्सित मानसिकता वाले तत्वों का शिकार हो जाती हैं।
कार्यशाला के दौरान विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ० सबिहा अहमद, सदस्य राज्य सुन्नी मुस्लिम वक्फ बोर्ड द्वारा मुस्लिम महिला प्रतिभागियों को संबोधित करते हुये बताया कि लिंग असमानता, रूढ़िवादी परम्पराएँ व वर्षों से चली आ रही कुरीतियों को समूल नाश करने के दृष्टिगत सम्मानजनक स्थिति को लाने के लिए तथा मूलभूत अधिकारों को प्राप्त कराने के लिए महिलाओं को जागरूक कराना अति आवश्यक है और यह तभी हो सकता है जब यह हमारी मुस्लिम बहनें स्वयं प्रथम दृष्ट्या अपने अधिकारों को जाने तथा अधिकारों को प्राप्त करने का प्रयास भी करें।
इस एक दिवसीय कार्यशाला के अन्तर्गत यथा विभिन्न विषयों-इस्लामिक कानून का विकास एवं इसमें महिलाओं की स्थिति, मुस्लिम महिलाओं के कानूनी अधिकार और शिकायत निवारण हेतु राष्ट्रीय महिला आयोग की भूमिका, वन स्टाप सेंटर की भूमिका, स्वयं सहायता समूह और उसके लाभ तथा महिलाओं के लिए सरकारी योजनाएँ इत्यादि पर राष्ट्रीय एवं राज्य स्तरीय प्रबुद्ध वार्ताकारों यथा- प्रो० शिरीन अब्बास, डॉ० सोनाली रॉय चौधरी, टूनिका शर्मा, फरीदा जलीस, एहसन जमील तथा सर्वेश पाण्डेय द्वारा अपनी उपयोगी वार्ताओं के माध्यम से मुस्लिम महिलाओं को लाभान्वित किया गया।
कार्यशाला के आयोजन में कार्यक्रम नियंत्रक डॉ० नीरजा गुप्ता, डॉ० रंजना सिंह, सहायक प्रभारी वरून चतुर्वेदी, नोडल अधिकारी डॉ० अलका शर्मा तथा संस्थान के समस्त अधिकारियों और कार्मिकों का सराहनीय योगदान रहा।