कोरोना के दो साल: ताजनगरी ने पहली-दूसरी लहर में जज्बे से लड़ी लड़ाई, तीसरी में वैक्सीन बनी दवाई

0
42

[ad_1]

सार

दो साल पहले तीन मार्च 2020 को आगरा में कोरोना वायरस का पहला मरीज मिला था। महामारी के दो साल बीत गए। ताजनगरी ने पहली और दूसरी लहर में जज्बे से लड़ाई लड़ी और तीसरी लहर में वैक्सीन दवाई बनी। दो वर्षों में सबसे अधिक दिनों तक चर्चित रहा कथित 22 मरीजों की मौत का मामला, जिसका सच अब तक सामने नहीं आया।   

ख़बर सुनें

तीन मार्च 2020, इसी दिन कोरोना वायरस ने ताजनगरी में दस्तक दी। बीते दो साल में आगरा के लोगों ने कोरोना वायरस की तीन लहरों का सामना किया। पहली लहर में संक्रमण की चेन बनी तो दूसरी लहर में ऑक्सीजन की मारामारी रही। फिर भी जज्बे और डॉक्टरों की मेहनत से जंग जीती। तीसरी लहर के आते-आते शत प्रतिशत लोगों को टीके की पहली डोज लग गई। वैक्सीन कोरोना से बचाव की ऐसी दवा बनी कि 99 फीसदी से अधिक मरीज घर पर ही ठीक हो गए।  

महामारी में अस्पतालों में ये आए संसाधन

  • एसएन में 1000-1000 लीटर प्रति मिनट से ऑक्सीजन बनाने वाले चार प्लांट
  • जिला अस्पताल में 500 लीटर प्रति मिनट से ऑक्सीजन बनाने वाला प्लांट
  • खंदौली, सैंया, बरौली अहीर सीएचसी पर 83 लीटर प्रति मिनट और जगनेर में 100 लीटर प्रति मिनट का ऑक्सीजन प्लांट
  • एसएन समेत सरकारी कोविड अस्पतालों में 250 से अधिक वेंटीलेटर, 100 से अधिक बायपेप, ऑक्सीजन कंस्ट्रेटर की सुविधा

पहली लहर में ऐसे बनीं चेन 

  • मार्च : विदेश यात्रा करने वाले लोग
  • अप्रैल : दिल्ली में जमात के कार्यक्रम से लौटे लोग
  • अप्रैल-मई : स्वास्थ्य कर्मचारियों में तेजी से बढ़ा संक्रमण
  • मई-जून : चिकित्सकों और अस्पतालों में बढ़ा संक्रमण
  • जून-जुलाई : पुलिसकर्मी समेत फ्रंटलाइन कर्मचारी
  • जुलाई-अगस्त : सब्जी, फल, दूध विक्रेता समेत दुकानदार
  • अगस्त से अक्तूबर : मेडिकल स्टोर संचालक
  • अक्तूबर-नवंबर : व्यापारियों में संक्रमण बढ़ा

दूसरी लहर में ऑक्सीजन की कमी से टूटी सांस

दूसरी लहर में कोरोना वायरस ने हाहाकार मचा दिया। अप्रैल से जून तक संक्रमण ने कहर बरपाया। सरकारी अस्पतालों समेत 40 निजी कोविड अस्पतालों में बेड फुल रहे। ऑक्सीजन के लिए मारामारी रही। इसकी कमी से कई मरीजों की सांस टूटी। हृदय को झकझोर देने वाले दृश्य भी रहे, जिसमें ऑटो में ही बिना ऑक्सीजन के मरीज ने दम तोड़ दिया। 

22 मरीजों की मौत का सच नहीं आया सामने

दूसरी लहर में भगवान टॉकीज स्थित श्रीपारस हॉस्पिटल का अप्रैल में वीडियो वायरल हुआ, जिसमें 26 अप्रैल को मॉकड्रिल में 22 मरीजों की मौत होने का दावा किया। वीडियो आने के बाद लोग सिहर उठे। प्रशासनिक जांच हुई, अस्पताल सील किया, लेकिन इनकी मौत का सच सामने नहीं आया। प्रशासन ने जांच में क्लीन चिट दे दी, आईएमए ने भी पांच सदस्यीय कमेटी ने प्रकरण की जांच की, लेकिन आईएमए ने जांच रिपोर्ट दबा दी, इसे सार्वजनिक नहीं किया।

तीसरी लहर में टीके ने बचाई जान, 64 मरीज ही हुए भर्ती

कोरोना वायरस की तीसरी लहर में टीकाकरण बेहद प्रभावी रहा। जिले के 18 साल से अधिक उम्र के 33.97 लाख लोगों को करीब शतप्रतिशत टीके का पहला डोज लग गया था। 22 लाख से अधिक लोगों के टीके की दोनों खुराक लग गईं थी। इसका ही असर रहा कि एसएन मेडिकल कॉलेज में महज 64 मरीजों को भर्ती होने की जरूरत पड़ी। इसमें भी टीबी, कैंसर, हृदय रोग जैसी गंभीर मर्ज से पीड़ित थे। 

प्रदेश की पहली संक्रमित गर्भवती महिला का कराया प्रसव

संक्रमित गर्भवती महिलाओं का प्रसव कराना चुनौती था, लेकिन एसएन कॉलेज के डॉक्टरों ने इसे अपने जज्बे से आसान बना दिया। इन दो साल में 129 संक्रमित गर्भवती महिलाओं का प्रसव हुआ। इसमें प्रदेश की पहली संक्रमित गर्भवती महिला का प्रसव भी एसएन कॉलेज में हुआ था। 

यह भी पढ़ें -  कानपुर की बेटी ने हासिल किया मुकाम: वायुसेना में फ्लाइंग ऑफिसर एजुकेशन बनीं प्रीति, 5वें प्रयास में मिली सफलता

सतर्कता बेहद जरूरी

सीएमओ डॉ. अरुण श्रीवास्तव ने बताया कि कोरोना से सतर्क रहने की जरूरत है। अभी चौथी लहर की भी आशंका है। ऐसे में लोग सामाजिक दूरी, मास्क और हाथों की साफ-सफाई को गंभीरता से अपनाएं। ऐसा करने से काफी हद तक बचाव होता है। 

अस्पताल को मिले संसाधन

एसएन मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. प्रशांत गुप्ता ने बताया कि एसएन के डॉक्टर, नर्सिंग स्टाफ और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की टीम ने कोरोना वायरस के मरीजों के इलाज में सहयोग किया। दिनरात एक कर दिया। अब अस्पताल में सभी आवश्यक संसाधन भी मिल गए हैं। 
 

टीका जरूर लगवाएं

जिला टीकाकरण प्रभारी के डॉ. संजीव वर्मन ने कहा कि घरों से थोड़ी दूरी पर ही टीकाकरण केंद्र बनाए हैं। लोगों से अपील है कि वह टीकाकरण जरूर करवा लें। अगर घर में बुजुर्ग हैं तो उनको भी टीका लगाएं। टीका ही असल में सुरक्षा कवच बना हुआ है। 

बचाव के सारे उपाय करें

अध्यक्ष आईएमए डॉ. राजीव उपाध्याय ने कहा कि कोरोना वायरस से जंग में आम आदमी की भूमिका भी है। लोग बेवजह भीड़भाड़ में न जाएं। खुद को फिट रखने के लिए पौष्टिक आहार लें। योग-व्यायाम की आदत डाल लें। बचाव के सारे उपाय जरूर करें। 

कोरोना के दो साल

  • पहला संक्रमित : तीन मार्च 2020
  • पहली संक्रमित मौत : सात अप्रैल 2020
  • पहली बार टीकाकरण : 16 जनवरी 2020
  • पहली संक्रमित गर्भवती का प्रसव: 20 अप्रैल 2020
  • दो साल में यह है स्थिति: 
  • 2465223 नमूनों की हुई जांच
  • 36131 लोग मिले संक्रमित
  • 35611 लोग ठीक हो गए
  • 464 संक्रमितों की हुई मौत
  • 1.28 प्रतिशत संक्रमित की दर
  • 98.56 प्रतिशत ठीक होने की दर
  • 1.46 प्रतिशत मौत की रही दर

विस्तार

तीन मार्च 2020, इसी दिन कोरोना वायरस ने ताजनगरी में दस्तक दी। बीते दो साल में आगरा के लोगों ने कोरोना वायरस की तीन लहरों का सामना किया। पहली लहर में संक्रमण की चेन बनी तो दूसरी लहर में ऑक्सीजन की मारामारी रही। फिर भी जज्बे और डॉक्टरों की मेहनत से जंग जीती। तीसरी लहर के आते-आते शत प्रतिशत लोगों को टीके की पहली डोज लग गई। वैक्सीन कोरोना से बचाव की ऐसी दवा बनी कि 99 फीसदी से अधिक मरीज घर पर ही ठीक हो गए।  

महामारी में अस्पतालों में ये आए संसाधन

  • एसएन में 1000-1000 लीटर प्रति मिनट से ऑक्सीजन बनाने वाले चार प्लांट
  • जिला अस्पताल में 500 लीटर प्रति मिनट से ऑक्सीजन बनाने वाला प्लांट
  • खंदौली, सैंया, बरौली अहीर सीएचसी पर 83 लीटर प्रति मिनट और जगनेर में 100 लीटर प्रति मिनट का ऑक्सीजन प्लांट
  • एसएन समेत सरकारी कोविड अस्पतालों में 250 से अधिक वेंटीलेटर, 100 से अधिक बायपेप, ऑक्सीजन कंस्ट्रेटर की सुविधा

पहली लहर में ऐसे बनीं चेन 

  • मार्च : विदेश यात्रा करने वाले लोग
  • अप्रैल : दिल्ली में जमात के कार्यक्रम से लौटे लोग
  • अप्रैल-मई : स्वास्थ्य कर्मचारियों में तेजी से बढ़ा संक्रमण
  • मई-जून : चिकित्सकों और अस्पतालों में बढ़ा संक्रमण
  • जून-जुलाई : पुलिसकर्मी समेत फ्रंटलाइन कर्मचारी
  • जुलाई-अगस्त : सब्जी, फल, दूध विक्रेता समेत दुकानदार
  • अगस्त से अक्तूबर : मेडिकल स्टोर संचालक
  • अक्तूबर-नवंबर : व्यापारियों में संक्रमण बढ़ा

[ad_2]

Source link

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here