मतगणना से पहले धांधली का आरोप : 10 बिंदुओं में समझें पोस्टल बैलेट से लेकर ईवीएम तक, कैसे पड़ते हैं वोट और कैसे होती है मतों की गिनती?

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सार

उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों में मतदान की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। अब सबकी नजर कल यानी दस मार्च को जारी होने वाले नतीजों पर है। इससे पहले ईवीएम से छेड़छाड़ और पोस्टल बैलेट में धांधली के आरोप लग रहे हैं। 
 

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10 फरवरी से लेकर सात मार्च तक उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, मणिपुर और गोवा में सभी चरणों का मतदान पूरा हो चुका है। अब कल यानी दस मार्च को मतों की गणना होगी। इसके पहले ही पोस्टल बैलेट और ईवीएम को लेकर उत्तर प्रदेश में बवाल शुरू हो गया है। समाजवादी पार्टी, कांग्रेस और बसपा नेताओं ने ईवीएम के साथ छेड़छाड़ और बैलेट वोटिंग को लेकर धांधली का आरोप लगा दिया है। ऐसे में हम आपको पोस्टल बैलेट से लेकर ईवीएम की पर्ची तक कैसे वोटों की गिनती होती है? इसके बारे में बता रहे रहे हैं…
अभी देश में दो तरह से वोटिंग का प्रावधान है। पहला इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन यानी ईवीएम से और दूसरा पोस्टल बैलेट के माध्यम से। 
इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग सिस्टम यानी ईवीएम के माध्यम से लोग मतदान केंद्र पर पहुंचकर ही वोट डालते हैं। ईवीएम के बगल में ही वोटर वेरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल यानी वीवीपैट होता है। ये कांच के शीशे से पूरी तरह से ढका होता है। शीशा पारदर्शी होता है। जब वोटर अपना वोट डालते हैं। तब इससे एक पर्ची निकलती है जो सिर्फ सात सेकंड तक दिखाई देती है। इस पर उस उम्मीदवार का नाम और पार्टी का चुनाव चिन्ह छपा होता है, जिसे वोटर ने वोट दिया होता है। इसके बाद ये बॉक्स में गिर जाती है। पर्ची मतदाताओं को दी नहीं जाती है।
 
पोस्टल बैलेट एक डाक मत पत्र होता है। यह 1980 के दशक में चलने वाले पेपर्स बैलेट पेपर की तरह ही होता है। चुनावों में इसका इस्तेमाल उन लोगों के द्वारा किया जाता है जो कि अपनी नौकरी के कारण अपने चुनाव क्षेत्र में मतदान नहीं कर पाते हैं। जब ये लोग पोस्टल की मदद से वोट डालते हैं तो इन्हें सर्विस वोटर्स या अबसेंटी वोटर्स भी कहा जाता है। चुनाव आयोग ने पोस्टल बैलेट से वोट देने का अधिकार कुछ चिन्हित लोगों को ही दिया है।

  • मतदाता को इसके लिए चुनाव आयोग से मिले फॉर्म 13-बी में दिए गए निर्देशों के अनुसार अपनी पसंद के उम्मीदवार के नाम के सामने एक क्रॉस (X) या सही का निशान (v) लगाकर मतपत्र पर अपना वोट डालते हैं। 
  • फिर वह चिह्नित मतपत्र को छोटे लिफाफे के अंदर डालकर उसे लिफाफे में बंद कर दिया जाता है। इस लिफाफे पर फॉर्म 13-बी का लेबल चिपकाया जाता है। साथ ही, बैलेट पेपर की क्रम संख्या उस लिफाफे पर इसके लिए दिए गए स्थान पर फॉर्म 13-बी पर नोट की जाती है, अगर उस पर पहले से छपा हुआ नहीं हो।
  • इसके बाद फॉर्म 13-ए में दिया घोषणा भरा जाता है और उस पर हस्ताक्षर करके नामित अधिकारी से सत्यापित कराया जाता है। 
  • पहला बंद छोटा लिफाफा (फॉर्म 13-बी) और दूसरा फॉर्म 13-ए में डिक्लेरेशन को बड़े लिफाफे के अंदर रखकर उसे सील कर दिया जाता है। 
  • बड़े लिफाफे पर फॉर्म 13-सी के लिए लेबल चिपकर और हस्ताक्षर किया जाता है। 
  • उपलब्ध डाक माध्यम से लिफाफा (फॉर्म 13-सी) को रिटर्निंग ऑफिसर (आरओ) को वापस भेज दिया जाता है।
  • सैनिक, अद्धसैनिक बल
  • चुनाव ड्यूटी में तैनात कर्मचारी
  • देश के बाहर कार्यरत सरकारी अधिकारी
  • प्रिवेंटिव डिटेंशन में रहने वाले लोग (कैदियों को वोट डालने का अधिकार नहीं होता है।)
  • 80 वर्ष से अधिक की उम्र के वोटर (रजिस्ट्रेशन कराना पड़ता है।)
  • दिव्यांग व्यक्ति (रजिस्ट्रेशन कराना पड़ता है।)
  • पत्रकार (इसी साल ये सुविधा दी गई है। इन्हें भी रजिस्ट्रेशन कराना पड़ता है।)
  • रेलवे समेत आवश्यक सेवाओं में लगे 11 अन्य विभागों के सरकारी कर्मचारियों को भी इस बार अनुमति दी गई है।

मतदान खत्म होने के बाद कड़ी सुरक्षा के बीच पोलिंग अफसर ईवीएम को मतगणना केंद्र पर बने स्ट्रॉन्ग रूम में लाकर रखते हैं। इस पूरे प्रक्रिया के दौरान रिटर्निंग ऑफिसर यानी आरओ के अलावा प्रत्याशी, इलेक्शन एजेंट, काउंटिंग एजेंट समेत अन्य प्रशासनिक अफसर होते हैं। पूरी प्रक्रिया की वीडियो रिकॉर्डिंग कराई जाती है। काउंटिंग एजेंट और उम्मीदवारों के एजेंटों के बीच तारों की एक बाड़ लगी होती है। काउंटिंग हॉल में मोबाइल पर बैन होता है।
पोस्टल बैलेट से वोट डालने वाला वोटर निर्धारित प्रारूप में अपना बैलेट डाक के जरिए ये सीधे संबंधित जिले के रिटर्निंग ऑफिसर तक भेजता है। रिटर्निंग ऑफिसर उस बंद लिफाफे को बिना खोले मतपेटियों में रख देता है। मतपेटी को निर्धारित समय पर मतगणना स्थल पर बने स्ट्रांग रूम में जमा कर दिया जाता है। फिर ये मतगणना वाले दिन ही खुलता है। 
मतदान के बाद और मतगणना से पहले ईवीएम मशीनें और पोस्टल बैलेट स्ट्रांग रूम में ही होते हैं। ये स्ट्रांग रूम मतगणना स्थल पर ही बनाए जाते हैं। सुरक्षा और पादरर्शिता के लिए सीसीटीवी लगाए जाते हैं। पुलिस और सशस्त्र बल तैनात होते हैं। इसके अलावा अलग-अलग राजनीतिक पार्टियों और प्रत्याशियों की ओर से आधिकारिक एजेंट भी मतगणना स्थल पर निगरानी के लिए मौजूद रहते हैं। इस बीच, ईवीएम और पोस्टल बैलेट को स्ट्रांग रूम से बाहर नहीं निकाला जा सकता है। आपातकाल स्थिति में प्रत्याशियों की मौजूदगी में ये प्रक्रिया हो सकती है।
मतगणना वाले दिन अलग-अलग चरण में मतों की गिनती होती है। हर चरण में 14 ईवीएम खोली जाती हैं। आमतौर पर एक बूथ पर एक ईवीएम होती है और हर बूथ को करीब 1200 वोटर के लिए बनाया जाता है। 60% से 70% वोटिंग के हिसाब से हर बूथ पर 750 से 850 वोट पड़ते हैं। इस हिसाब से हर राउंड में करीब 10 हजार से लेकर 12 हजार वोट गिने जाते हैं। वोट की इसी संख्या को सुविधाजनक मानते हुए चुनाव आयोग ने हर राउंड में 14 ईवीएम के वोट गिनने की पॉलिसी बनाई है। 

  • काउंटिंग हॉल में एक बाड़बंदी के भीतर 14-14 टेबल लगे होते हैं। हर टेबल पर एक ईवीएम के वोट गिने जाते हैं। 
  • इस बाड़बंदी में एक तरफ ब्लैक बोर्ड होता है। हर राउंड की गिनती के बाद सभी प्रत्याशियों को मिले वोटों को इसी ब्लैक बोर्ड पर लिखा जाता है।
  • एक बूथ की ईवीएम मशीन को एक टेबल पर रखा जाता है। किस टेबल पर किस बूथ की मशीन रखी जाएगी, इसके लिए पहले से चार्ट तैयार कर लिया जाता है।
  • सुबह आठ बजे से मतगणना शुरू होती है। पहले पोस्टल बैलेट की गिनती की जाती है। इसके 30 मिनट बाद ईवीएम की गिनती होती है। (हालांकि, बिहार चुनाव के दौरान पहले ईवीएम के मतों की गिनती हुई और उसके बाद पोस्टल बैलेट की गिनती हुई। इसके चलते काफी हंगामा हुआ था।)
  • ईवीएम मशीन में मौजूद रिजल्ट वन को दबाया जाता है, जिसके बाद पता चलता है कि किस कैंडिडेट को कितने वोट मिले। इसके लिए दो-तीन मिनट का समय मिलता है।
  • इसे डिस्प्ले बोर्ड पर फ्लैश किया जाता है। ताकि, सभी 14 टेबल पर बैठे चुनाव कर्मी और उम्मीदवार के एजेंट देख लें। इसी को हम रुझान कहते हैं।
  • सभी 14 टेबल पर मौजूद मतगणना कर्मी हर राउंड में फॉर्म 17-सी भरकर एजेंट से हस्ताक्षर के बाद आरओ को देते हैं।
  • आरओ हर राउंड में मतों की गिनती दर्ज करते हैं। इस नतीजे को हर राउंड के बाद ब्लैक बोर्ड पर लिखा जाता और लॉउडस्पीकर की मदद से घोषणा की जाती है।
  • पहले चरण की गिनती पूरी होने के बाद चुनाव अधिकारी 2 मिनट का इंतजार करता है ताकि किसी उम्मीदवार को कोई आपत्ति हो तो वो दर्ज करा सके।
  • ये रिटर्निंग ऑफिसर पर निर्भर करता है कि वो फिर से वोटों की गिनती करवाना चाहता है या उस उम्मीदवार को आश्वस्त करता है कि कोई गड़बड़ी नहीं हुई है।
  • हर राउंड के बाद रिजल्ट के बारे में राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को रिटर्निंग ऑफिसर सूचना देता है।
  • किसी विवाद की स्थिति में वीवीपैट पर्चियों का मिलान ईवीएम में पड़े वोटों से कराई जाती है।
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10 फरवरी से लेकर सात मार्च तक उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, मणिपुर और गोवा में सभी चरणों का मतदान पूरा हो चुका है। अब कल यानी दस मार्च को मतों की गणना होगी। इसके पहले ही पोस्टल बैलेट और ईवीएम को लेकर उत्तर प्रदेश में बवाल शुरू हो गया है। समाजवादी पार्टी, कांग्रेस और बसपा नेताओं ने ईवीएम के साथ छेड़छाड़ और बैलेट वोटिंग को लेकर धांधली का आरोप लगा दिया है। ऐसे में हम आपको पोस्टल बैलेट से लेकर ईवीएम की पर्ची तक कैसे वोटों की गिनती होती है? इसके बारे में बता रहे रहे हैं…

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