पुरवा में पहली बार खिला ‘कमल’

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उन्नाव। लखनऊ और रायबरेली जिले की सीमा से सटे पुरवा विधानसभा क्षेत्र में पहली बार कमल खिला है। इस बार हाथी छोड़कर भगवा का दामन थामने वाले अनिल ने भाजपा की झोली में जीत डाली है।
कभी पुरवा विधानसभा सीट कांग्रेस व सपा के लिए सुरक्षित मानी जाती थी। यहां की जनता ने दोनों पार्टियों के उम्मीदवारों को पांच बार जिताकर विधानसभा भेजा था। कुछ चुनावों में निर्दलीय और जनतादल तक ने कब्जा किया लेकिन भाजपा एक जीत दर्ज करने के लिए तरस गई। 2017 के चुनाव से पहले बसपा के लिए भी पुरवा सीट सपना थी लेकिन तब बसपा के टिकट पर चुनावी मैदान में उतरे निवर्तमान विधायक अनिल सिंह ने यहां पर जीत का परचम लहराया था।
इस बार चुनाव में वह पाला बदलकर भाजपा में पहुंच गए। पार्टी ने उन्हें टिकट देकर चुनावी मैदान में उतार दिया। पुरवा विधानसभा सीट पर शुरुआत से ही मुख्य मुकाबला भाजपा और सपा में ही था। बसपा और कांग्रेस के प्रत्याशी का पहला चुनाव होने और भाजपा से वर्तमान विधायक और सपा से चार बार के पूर्व विधायक के मैदान में होने से चुनावी लड़ाई इन्हीं दोनों दलों के बीच सिमट गई थी। यहां 80 हजार लोधी, 67 हजार यादव, 45 हजार ब्राह्मण 35 हजार मुस्लिम और 38 हजार रावत मतदाताओं में बसपा और कांग्रेस के प्रत्याशी पैठ बनाने में बहुत सफल नहीं हो पाए थे। इससे चुनावी लड़ाई दो के बीच ही सिमट गई थी। अनिल ने कमल खिला ही दिया।
सपा ने लगाई थी जीत की हैट्रिक
1993 में सपा ने पुरवा विधानसभा सीट पर जीत का सिलसिला शुरू किया था। इसके बाद पार्टी ने जीत की हैट्रिक लगाई थी। शायद इसी कारण पुरवा सीट सपा के लिए सबसे मजबूत सीटों में शुमार होती थी। सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव भी विधानसभा चुनावों में अपनी पहली चुनावी रैली की शुरुआत यहीं से करते रहे।
विधानसभा अध्यक्ष निर्दलीय जीत चुके हैं चुनाव
विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने वर्ष 1985 में पुरवा से ही निर्दलीय पर्चा दाखिल करके जीत दर्ज की थी। इससे पहले वर्ष 1957 में परमेश्वरदीन वर्मा ने निर्दलीय चुनाव लड़कर जीत हासिल की थी।
अब तक के विधायक
1951- रामधीन सिंह, कांग्रेस
1957-परमेश्वरदीन वर्मा, निर्दलीय
1962-रामाधीन सिंह, कांग्रेस
1967-लाखन, भारतीय जनसंघ
1969-दुलारेलाल, कांग्रेस
1974-गया सिंह, कांग्रेस
1977-चंद्रभूषण, जनता पार्टी
1980-गया सिंह, कांग्रेस
1985-हृदय नारायण दीक्षित, निर्दलीय
1989-हृदय नारायण दीक्षित, जनता दल
1991-हृदय नारायण दीक्षित, जनता पार्टी
1993-हृदय नारायण दीक्षित, सपा
1996-उदयराज यादव, सपा
2002-उदयराज यादव, सपा
2007-उदयराज यादव, सपा
2012-उदयराज यादव, सपा
2017-अनिल सिंह, बसपा
2022-अनिल सिंह, भाजपा

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उन्नाव। लखनऊ और रायबरेली जिले की सीमा से सटे पुरवा विधानसभा क्षेत्र में पहली बार कमल खिला है। इस बार हाथी छोड़कर भगवा का दामन थामने वाले अनिल ने भाजपा की झोली में जीत डाली है।

कभी पुरवा विधानसभा सीट कांग्रेस व सपा के लिए सुरक्षित मानी जाती थी। यहां की जनता ने दोनों पार्टियों के उम्मीदवारों को पांच बार जिताकर विधानसभा भेजा था। कुछ चुनावों में निर्दलीय और जनतादल तक ने कब्जा किया लेकिन भाजपा एक जीत दर्ज करने के लिए तरस गई। 2017 के चुनाव से पहले बसपा के लिए भी पुरवा सीट सपना थी लेकिन तब बसपा के टिकट पर चुनावी मैदान में उतरे निवर्तमान विधायक अनिल सिंह ने यहां पर जीत का परचम लहराया था।

इस बार चुनाव में वह पाला बदलकर भाजपा में पहुंच गए। पार्टी ने उन्हें टिकट देकर चुनावी मैदान में उतार दिया। पुरवा विधानसभा सीट पर शुरुआत से ही मुख्य मुकाबला भाजपा और सपा में ही था। बसपा और कांग्रेस के प्रत्याशी का पहला चुनाव होने और भाजपा से वर्तमान विधायक और सपा से चार बार के पूर्व विधायक के मैदान में होने से चुनावी लड़ाई इन्हीं दोनों दलों के बीच सिमट गई थी। यहां 80 हजार लोधी, 67 हजार यादव, 45 हजार ब्राह्मण 35 हजार मुस्लिम और 38 हजार रावत मतदाताओं में बसपा और कांग्रेस के प्रत्याशी पैठ बनाने में बहुत सफल नहीं हो पाए थे। इससे चुनावी लड़ाई दो के बीच ही सिमट गई थी। अनिल ने कमल खिला ही दिया।

सपा ने लगाई थी जीत की हैट्रिक

1993 में सपा ने पुरवा विधानसभा सीट पर जीत का सिलसिला शुरू किया था। इसके बाद पार्टी ने जीत की हैट्रिक लगाई थी। शायद इसी कारण पुरवा सीट सपा के लिए सबसे मजबूत सीटों में शुमार होती थी। सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव भी विधानसभा चुनावों में अपनी पहली चुनावी रैली की शुरुआत यहीं से करते रहे।

विधानसभा अध्यक्ष निर्दलीय जीत चुके हैं चुनाव

विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने वर्ष 1985 में पुरवा से ही निर्दलीय पर्चा दाखिल करके जीत दर्ज की थी। इससे पहले वर्ष 1957 में परमेश्वरदीन वर्मा ने निर्दलीय चुनाव लड़कर जीत हासिल की थी।

अब तक के विधायक

1951- रामधीन सिंह, कांग्रेस

1957-परमेश्वरदीन वर्मा, निर्दलीय

1962-रामाधीन सिंह, कांग्रेस

1967-लाखन, भारतीय जनसंघ

1969-दुलारेलाल, कांग्रेस

1974-गया सिंह, कांग्रेस

1977-चंद्रभूषण, जनता पार्टी

1980-गया सिंह, कांग्रेस

1985-हृदय नारायण दीक्षित, निर्दलीय

1989-हृदय नारायण दीक्षित, जनता दल

1991-हृदय नारायण दीक्षित, जनता पार्टी

1993-हृदय नारायण दीक्षित, सपा

1996-उदयराज यादव, सपा

2002-उदयराज यादव, सपा

2007-उदयराज यादव, सपा

2012-उदयराज यादव, सपा

2017-अनिल सिंह, बसपा

2022-अनिल सिंह, भाजपा

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