प्रसूताओं के लिए खाना नहीं

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उन्नाव। सीएचसी में मरीजों और प्रसूताओं पौष्टिक भोजन नहीं मिल रहा है। तीमारदारों को खाना घर से लाना पड़ रहा है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी खाना सप्लाई करने वाली संस्था का टेंडर 31 मार्च से समाप्त होने की बात कह रहे हैं। लेकिन तीमारदार कई माह से यही स्थिति होने की बात कह रहे हैं।
जिले में संचालित 16 सीएचसी में भर्ती होने वाले मरीजों व गर्भवतियों के लिए सरकार नाश्ते के साथ दूध व खाने की व्यवस्था करती है। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग ने दो-दो ब्लॉक के हिसाब से आठ फर्मों को टेंडर किया था। लेकिन वर्तमान में सभी फर्मों ने खाने की सप्लाई बंद कर दी है।
बिछिया सीएचसी में छह माह से गर्भवतियों को खाना व नाश्ता नहीं मिल रहा है। प्रसव कराने आईं तारगांव की पूनम, पटनहन खेड़ा की रामदेवी, मऊ सुल्तानपुर की फूलजहां व रेशम ने बताया कि स्वास्थ्य केंद्र में कुछ भी नहीं मिलता। परिजन घर से भोजन व नाश्ता लाकर खिलाते हैं। सीएचसी प्रभारी डॉ. आरपी सचान ने खाना वितरण के नाम पर कुछ भी बताने से इनकार किया है।
स्वास्थ्य अधिकारी एक अप्रैल से खाना न मिलने की बात कह रहे हैं लेकिन नवाबगंज सीएचसी में एक साल से खाना नहीं बन रहा है। सीएचसी प्रभारी डॉ. अरुण कुमार ने बताया कि एक साल पहले मेसर्स शैलेंद्र प्रताप संस्था प्रसूताओं को भोजन देती थी। लेकिन शासन से निर्धारित डाइट के हिसाब से भोजन न देने पर संस्था की सेवाएं रोक दी गईं हैं। फिलहाल प्रसूताओं को सीएचसी में भोजन नहीं दिया जा रहा है।
फतेहपुर चौरासी सीएचसी में एक अप्रैल से मरीजों को खाना मिलना बंद हो गया। सीएचसी अधीक्षक डॉ. नरेंद्र कुमार ने बताया कि ठेकेदार खाने की सप्लाई नहीं कर रहा है। इससे गर्भवतियों को बाहर से खरीदकर खाना पड़ रहा है। खाना सप्लाई न करने की शिकायत सीएमओ को की जा चुकी है।
ये है मेन्यू
शासन के मेन्यू के अनुसार सीएचसी में भर्ती मरीजों को सुबह नाश्ते में एक फल अथवा अंडा, एक ग्लास दूध, दोपहर में दाल, रोटी, हरी सब्जी, सलाद व रात में भोजन दिया जाना था। लेकिन कई स्वास्थ्य केंद्रों में पहले से ही इसमें लापरवाही बरती जा रही थी। भोजन परोसने वाली संस्था मरीजों को बरगलाकर उनका हिस्से का भोजन निगल रही थी। लेकिन स्वास्थ्य अधिकारियों को इसकी भनक तक नहीं थी।
प्रति थाली 90 रुपये भुगतान
सरकारी अस्पताल में शासन की ओर से भर्ती होने वाले मरीजों को प्रति थाली भोजन देने के लिए संस्था को 90 रुपये का भुगतान होता है। भोजन परोसने वाली संस्था शासन के नियम को ठेंगा दिखाकर पहले ही खाना देना बंद किए थी। अब टेंडर समाप्त होने के बाद एक अप्रैल से पूरी तरह से खाना बंद हो गया है।
जो फर्में खाने की सप्लाई कर रहीं थी, उनका टेंडर समाप्त हो चुका है। टेंडर की प्रक्रिया चल रही है। जल्द ही टेंडर कराकर नाश्ता व खाना उपलब्ध कराया जाएगा। जिस सीएचसी में अधिक समय खाना नहीं बना, वहां कारण की जानकारी की जाएगी। – डॉ. सत्यप्रकाश, सीएमओ

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उन्नाव। सीएचसी में मरीजों और प्रसूताओं पौष्टिक भोजन नहीं मिल रहा है। तीमारदारों को खाना घर से लाना पड़ रहा है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी खाना सप्लाई करने वाली संस्था का टेंडर 31 मार्च से समाप्त होने की बात कह रहे हैं। लेकिन तीमारदार कई माह से यही स्थिति होने की बात कह रहे हैं।

जिले में संचालित 16 सीएचसी में भर्ती होने वाले मरीजों व गर्भवतियों के लिए सरकार नाश्ते के साथ दूध व खाने की व्यवस्था करती है। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग ने दो-दो ब्लॉक के हिसाब से आठ फर्मों को टेंडर किया था। लेकिन वर्तमान में सभी फर्मों ने खाने की सप्लाई बंद कर दी है।

बिछिया सीएचसी में छह माह से गर्भवतियों को खाना व नाश्ता नहीं मिल रहा है। प्रसव कराने आईं तारगांव की पूनम, पटनहन खेड़ा की रामदेवी, मऊ सुल्तानपुर की फूलजहां व रेशम ने बताया कि स्वास्थ्य केंद्र में कुछ भी नहीं मिलता। परिजन घर से भोजन व नाश्ता लाकर खिलाते हैं। सीएचसी प्रभारी डॉ. आरपी सचान ने खाना वितरण के नाम पर कुछ भी बताने से इनकार किया है।

स्वास्थ्य अधिकारी एक अप्रैल से खाना न मिलने की बात कह रहे हैं लेकिन नवाबगंज सीएचसी में एक साल से खाना नहीं बन रहा है। सीएचसी प्रभारी डॉ. अरुण कुमार ने बताया कि एक साल पहले मेसर्स शैलेंद्र प्रताप संस्था प्रसूताओं को भोजन देती थी। लेकिन शासन से निर्धारित डाइट के हिसाब से भोजन न देने पर संस्था की सेवाएं रोक दी गईं हैं। फिलहाल प्रसूताओं को सीएचसी में भोजन नहीं दिया जा रहा है।

फतेहपुर चौरासी सीएचसी में एक अप्रैल से मरीजों को खाना मिलना बंद हो गया। सीएचसी अधीक्षक डॉ. नरेंद्र कुमार ने बताया कि ठेकेदार खाने की सप्लाई नहीं कर रहा है। इससे गर्भवतियों को बाहर से खरीदकर खाना पड़ रहा है। खाना सप्लाई न करने की शिकायत सीएमओ को की जा चुकी है।

ये है मेन्यू

शासन के मेन्यू के अनुसार सीएचसी में भर्ती मरीजों को सुबह नाश्ते में एक फल अथवा अंडा, एक ग्लास दूध, दोपहर में दाल, रोटी, हरी सब्जी, सलाद व रात में भोजन दिया जाना था। लेकिन कई स्वास्थ्य केंद्रों में पहले से ही इसमें लापरवाही बरती जा रही थी। भोजन परोसने वाली संस्था मरीजों को बरगलाकर उनका हिस्से का भोजन निगल रही थी। लेकिन स्वास्थ्य अधिकारियों को इसकी भनक तक नहीं थी।

प्रति थाली 90 रुपये भुगतान

सरकारी अस्पताल में शासन की ओर से भर्ती होने वाले मरीजों को प्रति थाली भोजन देने के लिए संस्था को 90 रुपये का भुगतान होता है। भोजन परोसने वाली संस्था शासन के नियम को ठेंगा दिखाकर पहले ही खाना देना बंद किए थी। अब टेंडर समाप्त होने के बाद एक अप्रैल से पूरी तरह से खाना बंद हो गया है।

जो फर्में खाने की सप्लाई कर रहीं थी, उनका टेंडर समाप्त हो चुका है। टेंडर की प्रक्रिया चल रही है। जल्द ही टेंडर कराकर नाश्ता व खाना उपलब्ध कराया जाएगा। जिस सीएचसी में अधिक समय खाना नहीं बना, वहां कारण की जानकारी की जाएगी। – डॉ. सत्यप्रकाश, सीएमओ

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